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PM मोदी के रहते अब कब हिंदू राष्ट्र का समय आएगा ? निश्चलानंद सरस्वती जी

एक बार फिर हिंदू राष्ट्र की माँग ने रफ़्तार पकड़ ली है लेकिन क्या देश के कर्मशील प्रधानमंत्री हिंदू राष्ट्र के अधूरे सपने को साकार कर पायेंगे। ना मुमकिन को मुमकिन कर दिखाने वाले पीएम मोदी की मंशा पर अचानक सवाल क्यों उठने लगे है। इसके पीछे का कारण है, पीएम मोदी को लेकर पुरी पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज की एक ऐसी भविष्यवाणी , जिसे सुनकार आज हर कोई अचंभित है।
PM मोदी के रहते अब कब हिंदू राष्ट्र का समय आएगा ? निश्चलानंद सरस्वती जी

संसद से सड़क तक बाबासाहेब अंबेडकर पर देश के गृहमंत्री अमित शाह की जिस टिप्पणी पर बवाल मचा हुआ है, हम उस पर ना जाकर ये आबको ज़रूर बताएँगे कि हिंदू राष्ट्र से अंबेडकर जी को एतराज़ क्यों ? बाबासाहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर, संविधान निर्माता और एक ऐसी प्रभावशाली शख़्सियत , जिन्होंने सदैव समाज में स्वतंत्रता, समानता और भाईचारा का संदेश दिया…लेकिन जहां बात हिंदू राष्ट्र की आती है, वहाँ अंबेडकर साहब की सोच में भिन्नता पाई जाती है।

कांग्रेस के लोकसभा सांसद शशि थरूर की लिखी किताब Ambedkar: A Life' में इस बात का ज़िक्र है कि उन्होंने कभी हिंदू राष्ट्र के कांसेप्ट को नहीं अपनाया किताब से लिखा है।जब अंबेडकर को यह आभास हो गया कि दलितों को हिंदू व्यवस्था में समान दर्जा नहीं मिल पाएगा, तब वह एक वैकल्पिक धर्म की तलाश करने में जुट गए. वे ऐसा धर्म चुनना चाह रहे थे जिसमें धार्मिक और आध्यात्मिक मूल्यों के लिए जगह हो. साथ ही नैतिक सामाजिक व्यवस्था की अवधारणा हो, जिसमें किसी के साथ भी भेदभाव और शोषण स्वीकृति न दी जाए. जहां जन्म के आधार पर सामाजिक वर्गीकरण न हो. लिहाजा, उन्होंने बौद्ध धर्म को मुफीद पाया और 4 अक्टूबर, 1956 को इसे अपना लिया।


हमने यहाँ  डॉ. भीमराव अंबेडकर का उदाहरण इसलिए दिया, क्योंकि जो लोग हिंदू राष्ट्र की बात करते हैं, वो ये मानते हैं कि भारत हिंदू राष्ट्र तभी घोषित हो सकता है, जब संविधान से सेक्युलर शब्द हटेगा लेकिन क्या ये पीएम मोदी के बस में है ? क्योंकि पुरी पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती ने हिंदू राष्ट्र को लेकर भाजपा के इरादों पर सवाल खड़े किये हैं। इस बात पर ज़ोर देकर कहा है कि बीजेपी कभी नहीं कहती हिंदू राष्ट्र बनाएंगे और सबसे बडी भविष्यवाणी कि है कि पीएम मोदी देश को हिंदू राष्ट्र घोषित नहीं कर सकते हैं।  दरअसल जब संसद में सांसदों के बीच संविधान पर चर्चा हुई, उसी वक़्त मोदी सरकार पर हमलावर शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज ने बड़ा बयान दिया। 


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश को हिंदू राष्ट्र घोषित नहीं कर सकते। संविधान की सीमाओं के भीतर ऐसा नहीं हो सकता। मजबूरी की स्थिति में मोदी हिंदू राष्ट्र की घोषणा नहीं कर सकते।विकास का नाम लेते हुए विकास ने ही उन्हें हरा दिया है. मोदी को एक तरफ नीतीश कुमार और दूसरी तरफ चंद्रबाबू नायडू के कंधे पर हाथ रखकर चलना पड़ा। उन्होंने भगवान श्री राम का मंदिर भी बनवाया, लेकिन अयोध्या में हार गए, बीजेपी कई अन्य जगहों पर भी हारती नजर आई।शंकराचार्य के इसी बयान के आधार पर मोदी आलोचकों का यही कहना है कि हिंदू राष्ट्र पर जब शंकराचार्य को पीएम मोदी पर भरोसी नहीं, तो फिर भला देश कैसे कर सकता है हालाँकि हिंदू राष्ट्र को देश की ज़रूरत बताते हुए , उन्होंने ये ज्ञान भी दिया  हिंदू राष्ट्र बनना संभव है, क्योंकि हमारे पूर्वज सनातन वैदिक आर्य हिंदू थे। इसलिए भारत के हिंदू राष्ट्र बनने में कोई समस्या नहीं है। भारत विश्व गुरु है. संयुक्त राष्ट्र जैसे संगठन भी अपनी समस्याओं के समाधान के लिए भारत आते हैं, इसलिए भारत विश्व गुरु है।”


ऐसा पहली बार नहीं है, जब पीएम मोदी के प्रति पुरी के शंकराचार्य की नाराज़गी दिखी हो..इससे पहले रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दौरान भी शंकराचार्य ने मोदी सरकार का घेराव किया था…मुखर होकर बोले थे कि राम मंदिर न तो सही स्थान पर बना है, न सही नक्षत्र में बना है और न ही सही व्यक्ति द्वारा इसकी प्राण प्रतिष्ठा हुई है। तब लोगों ने उन्होंने एंटी मोदी बुलाना शुरु कर दिया था, और इन्हीं लोगों को आड़े हाथ लेते हुए शंकराचार्य ने ये बताया कि शंकराचार्य किसी के पक्षधर नहीं होते, इसको जो भी लांछित करेगा वह खुद भी लांछित हो जाएगा। हिंदू राष्ट्र को लेकर शंकराचार्य की इसी भविष्यवाणी हो , लोग भयावह बता रहे हैं…क्योंकि जिन लोगों को पीएम मोदी की सत्ता में हिंदू राष्ट्र का उगता सूरज दिखता है। उन्हें शंकराचार्य के इसी बयान से आपत्ति है हालाँकि कुछ लोग ऐसे भी होंगे, जो शंकराचार्य की बातों से सहमत होंगे। इन सबके बीच सबसे बड़ा सवाल ये कि अगर पीएम मोदी नहीं, तो फिर कौन ? 

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