Yogi के NO कहने पर , क्यों भड़के मुस्लिम नेता ?
मुहर्रम भारत के प्रत्येक मुसलमान के लिए क्या मायने रखता है, इसका अंदाज़ा इसी से लगाइये।इस्लामी कैलेंडर का ये पहला महीना माना गया है, इसी महीने से हिजरी साल का शुभारंभ होता है।इसी महीने को अल्लाह का महीना कहा गया है।यही वो समय है, जब हर मुसलमान इमाम हुसैन और उनके साथियों की शहादत का गम मनाकर उन्हें याद करता है।बक़ायदा मुहर्रम जुलूस यानी ताजिया निकाला जाता है।ख़ुद पर ज़ंजीरे मारी जाती है, छूरी के साथ तलवारबाजी होती है।हाई हुसैन-हाई हुसैन बोलकर मातम मनाया जाता है।जिसे देखते हुए योगी सरकार ने तलवार हथियार लहराने पर रोक लगा दी है।सख़्त निर्देश दिये हैं-
कावड़ यात्रा और मुहर्रम में किसी भी तरह के हथियारों का प्रदर्शन करना मना है। इसके अलावा ओवरसाइज डीजे पर भी बैन है।मोहर्रम के दौरान जूलुस पर कड़ी निगाह रखी जाए और लिखित रूप में अनुमति ले ली जाए।नई परम्परा न शुरू हो, इसका ध्यान रखा जाए।योगी सरकार
लेकिन क्या आप जानते हैं, योगी के इसी फ़रमान से फ़िलहाल मुस्लिम नेताओं को एतराज है। सरकार के इन निर्देशों के चलते योगी सरकार से मुस्लिम धर्मगुरु भड़के हुए हैं। आलम ये है कि सरकार के फ़रमान की धज्जियाँ उड़ाने के लिए उतावले हो रखे हैं। बक़ायदा सरकार को चैलेंज दिया जा रहा है, इस पर मौलाना सैफ अब्बास का कहना है कि हम खून बहाएंगे, जंजीरों पर कोई रोक नहीं लगी है। जंजीरों में छुरिया भी लगी रहेंगी।इसी कड़ी में मुस्लिम नेताओं का भी यही कहना है -
हम इसीलिए पैदा हुए हैं। इमाम के रसूल में खून बहा सके और इसे कोई रोक नहीं सकता है।हम किसी की बंदिशे नहीं मानेंगे, जंजीरें भी निकलेंगे और तलवारबाजी भी होगी। हमें इराक से जो कहा जाता है हम वो करते हैं, जब वहां से रोका जाएगा तब बंदिशों को माना जाएगा।
अब जो कि एक हफ्ते बाद ,यानी 17 जुलाई को ताजिया निकाला जाएगा।इसी दिन शिया मुसलमान इमामबाड़ों में जाकर मातम मनाएँगे और इस बात की पूरी उम्मीद है कि मुसलमानों के बीच कुछ अराजक तत्व सरकार के निर्देशों की धज्जियाँ ज़रूर उड़ाएँगे।ऐसे में योगी सरकार का अगला कदम क्या होगा, ये सोचने वाली बात है। सवाल उठता है कि Yogi के No कहने पर भी अगर तलवारें चलाई जाती है, तो इसका अंजाम क्या होगा?