Delhi में Kedarnath Mandir को बनता देख Shankaracharya गुस्से में क्यों हैं ?
इस विवाद पर सरकार और मंदिर ट्रस्ट की तरफ़ से क्या सफ़ाई दी जा रही है, ये भी हम आपको बताएँगे लेकिन,इस मंदिर निर्माण को तीर्थ की मर्यादा के ख़िलाफ़ क्यों कहा जा रहा है।क्या सच में केदारनाथ धाम से जुड़ी आस्था से खिलवाड़ किया जा रहा है?
धर्म ग्रंथों का हवाला देते हुए शंकराचार्य साफ़ कर चुके हैं कि केदारनाथ धाम नाम से कहीं भी मंदिर की स्थापना नहीं की जा सकती है।क्योंकि इससे तीर्थ की गरिमा का उल्लंघन होता है और जैसे ही इस पूरे विवाद पर शंकराचार्य की एंट्री हुई, धामी सरकार से लेकर मंदिर ट्रस्ट ने यू टर्न ले लिया।सफ़ाई दी की केदारनाथ धाम नहीं, बल्कि बाबा केदार का प्रतीकात्मक मंदिर बनाया जा रहा है..बक़ायदा मुख्यमंत्री धामी को ये तक कहना पड़ा है कि -
बाबा केदार के किसी भी नाम से कोई भी मंदिर बन जाए तो उस से धाम की महिमा पर कोई असर नहीं पड़ सकता। फिर भी यह आस्था से जुड़ा मामला है, इसलिए बद्री केदार मंदिर समिति को संबंधित लोगों से वार्ता कर स्थिति स्पष्ट करने को कहा गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी
हालाँकि ट्रस्ट की तरफ से भी बयान सामने आ गया है कि उत्तराखंड सरकार का इससे कोई लेना-देना नहीं है। हम केदारनाथ धाम और वहां से जुड़े भक्तों की आस्था का सम्मान करते हैं। दिल्ली में बाबा केदार के भक्त सिर्फ उनका मंदिर बनवा रहे हैं। इसलिए विवाद करने से कोई फायदा नहीं है।