Sengol के अपमान पर Yogi बाबा का भड़का गुस्सा, भैया जी को दिन में दिखाए तारे
सनातन संस्कृति, सनातन परंपरा और सनातन विरासत इनके ख़िलाफ़ जहर उगलना आत्मघाती बीमारियों से इनकी तुलना करना और तिरस्कृत करने का सिलसिला अब देश की संसद तक पहुँच चुका है। लोकतंत्र के मंदिर में भारतीय संस्कृति की बेइज़्ज़ती की गई है। भारत के सनातन इतिहास को उखाड़ फैंकने की मांग की गई है और ये माँग कहीं और से नहीं, बल्कि समाजवादी ख़ेमे से उठी है। एक बार फिर राजदंड सेंगोल पर सियासी जंग छिड़ चुकी है।सेंगोल के अपमान में योगी बाबा को ग़ुस्सा इस कदर भड़का की, उन्होंने दिन में भैया जी को तारे दिखा दिये क्या है ये पूरा मामला, आईये आपको बताते हैं।
देश की नई संसद से 18 वीं लोकसभा के आग़ाज़ के साथ ही जैसे ही राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने अभिभाषण के लिए संसद भवन पहुँची, उनके स्वागत में सेंगोल को शामिल किया गया। लोकसभा का एक सीनियर मार्शल राष्ट्रपति के आगे-आगे सेंगोल लेकर चला और जैसे ही राष्ट्रपति मुर्मू ने अपना आसन ग्रहण किया, सेंगोल को उसकी जगह पर स्थापित कर दिया गया और अब यही सेंगोल विपक्षी नेताओं की आँखों में सबसे ज़्यादा खटक रहा है। आलम ये है कि संसद से तमिल संस्कृति को उखाड़ फैंकने के लिए स्पीकर को चिट्टी लिखी जा रही है और ये कार्य करने वाले कोई और नहीं, बल्कि समाजवादी पार्टी है। सांसद आरके चौधरी ने बक़ायदा चिट्ठी लिख संसद से सेंगोल को हटाए जाने की माँग उठाई है और इसके पीछे का तर्क दिया है।
जिस सेंगोल से देश की तमिल संस्कृति जुड़ी है, जिसे सदियों से भारतीय सम्राट की शक्ति और अधिकार के प्रतीक के तौर पर देखा गया है। जिसका इस्तेमाल मौर्य साम्राज्य से लेकर चोल साम्राज्य और गुप्त साम्राज्य में हुआ है। जिसे आज भी अंग्रेजों से सत्ता मिलने का प्रतीक माना जाता है। जिस किसी को ये सौंपा गया, उससे निष्पक्ष और न्यायपूर्ण शासन की उम्मीद की जाती है। जिसका संबंध प्राचीन भारत के गौरवशाली इतिहास से है, और उसी राजदंड से विपक्ष में बैठी समाजवादी पार्टियों को अत्याधिक दिक़्क़त हो रही है। समाजवादी पार्टी की इन्हीं दिक़्क़तों के बीच अब योगी बाबा ने सपा को दिन में तारे दिखा दिये हैं। सेंगोल के इस अपमान पर भड़के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सपा को आईना दिखाया है बक़ायदा ट्वीट कर ये कहा है।समाजवादी पार्टी के मन में भारतीय इतिहास और संस्कृति के प्रति कोई सम्मान नहीं है। सेनगोल पर उनके शीर्ष नेताओं की टिप्पणियाँ निंदनीय हैं और उनकी अज्ञानता को दर्शाती हैं। यह विशेष रूप से तमिल संस्कृति के प्रति इंडिया गठबंधन की नफरत को भी दर्शाता है। सेनगोल भारत का गौरव है और यह सम्मान की बात है कि पीएम नरेंद्र मोदी ने इसे संसद में सर्वोच्च सम्मान दिया।
सनातन को अपमानित करना, समाजवादी पार्टी का इतिहास रहा है। चुनाव से ठीक पहले पिछले साल इन्हीं के पार्टी नेता स्वामी प्रसाद मौर्य ने रामचरितमानस पर आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। हिंदुओं के इस ग्रंथ को बकवास बताते हुए इसे बैन करने की माँग की थी हालाँकि बवाल मचने पर अपने ही बयान से पलट गये और फिर कहने लगें कि ना राम का अपमान किया ना रामायण का, बस कुछ चौपाइयों पर आपत्ति जताई थी। बहरहाल संसद में अबकी बार विपक्ष मज़बूत स्थिति में है अखिलेश के करीबी राहुल गांधी नेता प्रतिपक्ष बन चुके हैं। ऐसे में संसद में स्थापित सेंगोल को हटाए जाना, कितना उचित है, इस पर कमेंट करके ज़रूर बताइयेगा।