चुनाव से पहले Akhilesh Yadav लगा बड़ा झटका, Amit Shah ने सपा के साथ कर दिया 'खेल'
साल 2024 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव कांग्रेस की बैसाखी के सहारे मोदी को हराने का दम भर रहे हैं... लेकिन हैरानी की बात तो ये है कि मोदी को हराने चले अखिलेश यादव से अपने ही नेता नहीं संभल रहे हैं। कुछ दिनों पहले जहां मनोज पांडेय ने अखिलेश का साथ छोड़ दिया था। तो वहीं अब एक और खाटी समाजवादी नेता ने अखिलेश का साथ छोड़ दिया ।
जिस उत्तर प्रदेश के बारे में कहा जाता है कि दिल्ली का रास्ता उत्तर प्रदेश से होकर जाता है। उसी उत्तर प्रदेश में बीजेपी मोदी के चेहरे पर लगातार दो लोकसभा चुनाव लड़ी और दोनों ही चुनावों में समाजवादी पार्टी को बुरी तरह से धूल चटाई। साल 2014 के चुनाव में सपा जहां यूपी की अस्सी में से पांच सीट ही जीत पाई तो वहीं साल 2019 के चुनाव में भी सपा पांच सीटों पर सिमट कर रह गई। और अब साल 2024 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश यादव ( Akhilesh Yadav ) कांग्रेस की बैसाखी के सहारे मोदी को हराने का दम भर रहे हैं। लेकिन हैरानी की बात तो ये है कि मोदी को हराने चले अखिलेश यादव से अपने ही नेता नहीं संभल रहे हैं।कुछ दिनों पहले जहां मनोज पांडेय ने अखिलेश का साथ छोड़ दिया था । तो वहीं अब एक और खाटी समाजवादी नेता ने अखिलेश का साथ छोड़ दिया।
नारद राय समाजवादी पार्टी के दिग्गज नेताओं में थे
मैं लड़ता हूं तो ताल ठोक कर लड़ता हूं ,मदद करता हूं तो..ताल ठोक कर करता हूं और विरोध भी करता हूं तो , ताल ठोक कर करता हूं बागी बलिया की धरती से ताल ठोक कर दहाड़ने वाले ये नेता हैं नारद राय।जो दशकों से समाजवादी पार्टी के लिए बलिया में लड़ाई लड़ते रहे और सपा सरकार में दो दो बार कैबिनेट मंत्री भी बने।यहां तक कि साल 2017 में जब मुलायम सिंह यादव और अखिलेश यादव ( Akhilesh Yadav ) के बीच सपा पर कब्जे को लेकर जंग चल रही थी। उस वक्त भी नारद राय अपने नेता मुलायम सिंह यादव के साथ ही खड़े रहे।शायद यही वजह रही कि नारद राय अखिलेश की नजर में खटकते रहे।
इसीलिये पार्टी छोड़ते वक्त खुद नारद राय ने अपना दर्द बयां करते हुए कहा कि- बहुत भारी और दुखी मन से समाजवादी पार्टी छोड़ रहा हूं, 40 साल का साथ आज छोड़ दिया है, अखिलेश यादव ने मुझे बेइज्जत किया, मेरी गलती यह है कि अखिलेश यादव और मुलायम सिंह यादव में से मैंने मुलायम सिंह यादव को चुना था, पिछले 7 सालों से लगातार मुझे बेइज्जत किया गया। 2017 में मेरा टिकट अखिलेश यादव ने काटा, 2022 में टिकट दिया लेकिन साथ-साथ मेरे हारने का भी इंतजाम किया ।
चालीस साल से समाजवादी पार्टी का झंडा उठाने वाले नारद ने आखिरकार सपा को अलविदा कह दिया और इसकी सबसे बड़ी वजह रही अखिलेश यादव की वो एक गलती। जब 26 मई को अखिलेश यादव बलिया में चुनाव प्रचार करने गये और और बलिया नगर सीट से विधायक रहे नारद राय का ही नाम नहीं लिया, यहां तक कि बलिया के लिए किये गये उनके काम का भी जिक्र नहीं किया।अखिलेश यादव ने माफिया मुख्तार अंसारी के भाई सिगबतुल्लाह अंसारी का नाम तो लिय लेकिन नारद राय का नाम भूल गये। बस यही बात नारद राय को खटक गई और इस अपमान से नाराज नारद राय ने समाजवादी पार्टी ही छोड़ दी।साल 2022 के यूपी चुनाव में अखिलेश यादव ने नारद राय को बलिया नगर सीट से टिकट तो दिया था लेकिन वो चुनाव हार गये थे।और इस हार का ठीकरा भी अखिलेश पर फोड़ते हुए उन्होंने कहा 2022 में टिकट दिया लेकिन साथ-साथ मेरे हारने का भी इंतजाम कर दिया था।
चुनाव से पहले BJP में शामिल हो गये नारद राय
मंच पर अपमान झेलने वाले नारद राय पर सपा में रहते हुए बीजेपी के मदद के आरोप भी लगे।जिस पर चुप्पी तोड़ते हुए उन्होंने डंके की चोट पर कहा कि मैं सपा का झंडा लगाकर बीजेपी की मदद नहीं करूंगा, बीजेपी का झंडा लगा कर बीजेपी की मदद करूंगा।अखिलेश यादव से नारद राय इस कदर नाराज नजर आए कि बहती नाक का उदाहरण देते हुए भोजपुरी अंदाज में यहां तक कह दिया कि अब अखिलेश यादव मुलायम सिंह हो जाएंगे, वो तो पोटा हैं कभी बह जाएंगे कभी ऊपर खींच लेंगे।
अखिलेश यादव ने चुनावी मंच पर नारद राय को सम्मान नहीं दिया और अब इसी से आहत नारद राय इस कदर भड़क गये कि चौबीस घंटे के अंदर सपा का साथ छोड़ दिया। और 27 मई को ही बनारस जाकर गृहमंत्री अमित शाह से मुलाकात भी कर आए जहां योगी सरकार में मंत्री ओपी राजभर की मौजूदगी में उन्होंने अमित शाह से मुलाकात की और इस एक मुलाकात के बाद ही नारद राय मोदी के परिवार का हिस्सा हो गये।
सपा छोड़ कर बीजेपी में आए नारद राय अब बलिया में सपा उम्मीदवार सनातन पांडेय नहीं, बीजेपी उम्मीदवार नीरज शेखर को चुनाव जीतने के लिए काम करेंगे ।यानि अब तक बलिया में मजबूत नजर आने वाली सपा मोदी के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह के एक दांव से अचानक कमजोर नजर आने लगी। जिस पर पत्रकार मनीष पांडेय ने लिखा -कल सुबह तक बलिया में सब ठीक ठाक चल रहा था, लड़ाई जबरदस्त थी लेकिन ऐसा लगता था कि गठबंधन बड़ी आसानी से बीजेपी के प्रत्याशी को पटकनी दे देगा लेकिन बस एक छोटी सी गलती ने बलिया का माहौल बदल दिया, दरअसल कल तक जो नारद राय समाजवादी पार्टी के साथ थे वो अब भाजपा खेमे में जा पहुंचे, बनारस में भाजपा के थिंक टैंक अमित शाह के साथ एक मुलाकात नारद राय जी की हुई और बलिया का चुनाव और दिलचस्प हो गया, सामने वाले की एक छोटी सी गलती पर उसे दबोच लेने की जो कला हमारे गृह मंत्री में है वो मैंने अभी तक अपने कैरियर में किसी राजनेता के अंदर नहीं देखा, बलिया में भी खेला हो गया ।
बलिया समाजवादियों का गढ़ माना जाता है।यहां की लोकसभा सीट पर ज्यादातर समाजवादियों का ही कब्जा रहा है। दिग्गज समाजवादी नेता और पूर्व प्रधानमंत्री चंद्र शेखर यहां से एक दो बार नहीं, आठ बार चुनाव जीत चुके हैं।जबकि उनके बेटे नीरज शेखर भी दो बार चुनाव जीत चुके हैं। लेकिन साल 2014 से ये सीट बीजेपी के पास है।2014 में यहां से बीजेपी नेता भारत सिंह ने जीत हासिल की थी, जबकि साल 2019 में वीरेंद्र सिंह मस्त यहां से सांसद रहे।इस बार बीजेपी ने नीरज शेखर को टिकट देकर मैदान में उतारा है, तो वहीं सपा ने सनातन पांडेय को टिकट दिया है।ऐसे में सपा और बीजेपी के बीच अब तक को कड़ी टक्कर मानी जाती थी लेकिन नारद राय के बीजेपी में जाने के बाद सपा बलिया में कमजोर नजर आ रही है।