Haryana में Congress की जाट कराएंगे बल्ले-बल्ले, सिर पकड़कर बैठेगी BJP
हरियाणा में इस बार जाटों ने बीजेपी की एग्जिट के लिए कर लिया है प्लान तैयार , क्या होने वाला है खेल?
हरियाणा में बेशक 10 लोकसभा की सीटें हैं लेकिन इन 10 सीटों ने बीजेपी की रातों की नींद उड़ा रखी है। इस बार जाटों ने ठान लिया है कि जाट किसानों और जाट बेटियों के अपमान करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। लोकसभा की दस सीटों पर बीजेपी की मुश्किले लगातार बढ़ती जा रही है। सियासी सयानों का कहना है कि इस बार हरियाणा के निर्णायक वोटर जाटों ने बीजेपी को हराने और कांग्रेस को जीताने की ठान ली है। इस बार बीजेपी का जाट वोट बैंक खिसकता नजर आ रहा है ।हरियाणा की राजनीति जाटों के आस पास घूमती नजर आती है। हरियाणा में 6 महीने के भीतर विधानसभा चुनाव भी है। बीजेपी ने साल 2014 और 2019 में लगातार हरियाणा में अपनी सरकार बनाई है ।वहीं इससे पहले साल 2005 से 2014 तक कांग्रेस ने भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में राज्य में सरकार बनाई। हरियाणा में राजनीति जाट बनाम गैर जाट के आस पास घूमती है। बीते लोकसभा चुनावों में कांग्रेस का जाट वोट बैंक बीजेपी में खिसका जरुर था लेकिन अब धीरे धीरे कांग्रेस का दौर वापस आ रहा है ।
किसान आंदोलन , पहलवानों का प्रदर्शन के बाद बीजेपी जान चुकी है कि पूरी ताकत लगाने के बाद भी जाट वोटरों के बहुत बड़े हिस्से को बीजेपी के पाले में लाना लगभग नामुकिन है। पिछले चार चुनावों में कांग्रेस को जाट समुदाय का 40 प्रतिशत वोट मिलता रहा है । इसके अलावा जेजेपी और इनेलो के पास भी है। बीते लोकसभा में जेजेपी और बीजेपी ने मिलकर सरकार बनाई थी। लेकिन इस साल बीजेपी ने जेजेपी से गठबंधन तोड़ दिया। जेजेपी का भी जाट समुदाय में मजबूत आधार देखा जाता है। दुष्यंत चौटाला के पक्ष में युवा जाट दिखाई देते हैं । जाटों से नाता तोड़ते हुए बीजेपी ने जेजेपी को भी बाय बाय कह दिया क्योंकि पार्टी ने गैर जाट यानि 74 प्रतिशत आबादी वाले समुदाय पर भरोसा किया। यही कारण है कि मनोहर लाल को हटाकर नायब सैनी को सीएम बना दिया गया। अब इस बात से भी जाट खफा नजर आ रहे हैं।
क्योंकि हरियाणा के जातीय समीकरण पर अगर आप नजर डालेंगे तो 26 % आबादी जाटों की है। 1966 में हरियाणा बनने के बाद से अब तक 58 साल में यहां जाट समुदाय से आने वाले नेताओं ने 33 साल तक सीएम की कुर्सी संभाली है । मुख्यमंत्रियों में बंसी लाल, देवी लाल, ओम प्रकाश चौटाला, हुकुम सिंह, भूपेंद्र सिंह हुड्डा शामिल है। वहीं गैर जाट में मुख्यमंत्रियों की सूची मे भगवत दयाल शर्मा, राव बीरेंद्र सिंह, भजन लाल , मनोहर लाल और वर्तमान सीएम नायब सैनी हैं
वीओ
लेकिन इस बार हरियाणा में जाटों को जाट सीएम ही चाहिए ना कि ऐसी पार्टी जो जाटों से परहेज करे। जो किसानों और पहलवानों को सड़क पर ला दे। कहा जा रहा है कि इस बार जाटों ने बीजेपी का सुपड़ा साफ करने की ठान ली है । वहीं कांग्रेस की तरफ से सियासी सयाने इस बात का अंदाजा लगा रहे हैं कि कांग्रेस की तरफ से भूपेंद्र सिंह हुड्डा अगर जीते तो सीएम बनाए जाएगे. हालांकि जीत हार अभी भविष्य के गर्त में हैं । आपकी क्या राय है कि क्या हरियाणा के जाट इस बार बीजेपी की खाट खड़ी कर पाएंगे या नहीं हमें कमेंट करके जरुर बताए ।