PM Modi ने वो कर दिखाया जो आज तक कोई भी प्रधानमंत्री नहीं कर सका?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी निर्विवाद रूप से देश के लोकप्रिय प्रधानमंत्री हैं। लेकिन सवाल है कि प्रधानमंत्री मोदी की इतनी लोकप्रियता क्यों है ? देश की जनता नरेंद्र मोदी की किसी भी बात पर आंख बंद करके क्यों भरोसा करते हैं ? हमारी ये रिपोर्ट आपको बताएगी कि देश में इतने प्रधानमंत्री हुए लेकिन मोदी ही इतने लोकप्रिय कैसे और क्यों हुए।
पूरी दुनिया में पैसे के बाद सबसे ज़्यादा चाही जाने वाली चीज अगर कुछ है तो वो है लोकप्रियता। लेकिन संबंध सियासत से हो तो लोकप्रिय होना और भी कठिन हो जाता है। एक बात और ख़ुद के चाह भर लेने से भी आप इसे अपने हिस्से में नहीं ला सकते हैं। अगर, ऐसा होता तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पहले भी इस देश के प्रधानमंत्री की लोकप्रियता पूरी दुनिया में होती।
ये आपका सवाल ज़रूर हो सकता है कि, आख़िर नरेंद्र मोदी की इतनी लोकप्रियता क्यों है ? इस सवाल का जवाब आपको पिछले कुछ सालों में देश में आए बदलाव के ज़रिए मिल जाएँगे। नरेंद्र मोदी साल 2014 से देश के प्रधानमंत्री हैं। और जब सबसे पहली बार उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया था, तभी उन्होंने कहा था कि भ्रष्टाचार करने वालों पर कोई नरमी नहीं बरती जाएगी। और यही बात उनके मुँह से आज भी निकलती है।
देश की सियासत को जानने के लिए पीछे मुड़कर देखेंगे तो पता चलेगा कि लोकप्रिय होने की कोशिश कई प्रधानमंत्री ने की। कुछ बिल्कुल सफल नहीं हुए। कुछ सफल होते होते रह गए। और किसी को लोकप्रियता मिली भी तो उतनी नहीं, जितनी की उनकी चाहत थी। लेकिन नरेंद्र मोदी ने पिछले सारे रिकॉर्ड को ध्वस्त कर एक नया रिकॉर्ड बना दिया है।
विपक्ष में बैठे नेताओं ने कई बार मोदी सरकार पर साज़िश का आरोप लगाया। लेकिन नरेंद्र मोदी की विश्वसनीयता हर साल बढ़ती जा रही है। ऊपर से बेदाग़ छवि और नीयत पर किसी तरह का सवाल नहीं होना, नरेंद्र मोदी के क़द को देश ही नहीं विश्व के कई देशों के नेताओं से ऊपर की श्रेणी में रखता है। अब इसे उदाहरण सहित समझिए..जिस कोरोना काल में देश गंभीर संकट में फँसा था। लोगों ने नरेंद्र मोदी पर खूब विश्वास किया। इस विशाल देश में लॉकडाउन कोई आसान काम नहीं था। लेकिन नरेंद्र मोदी के एक मैसेज से हर किसी ने इसे मान लिया। जब-जब लोगों से थाली या ताली बजाने को कहा गया, हर कोई सामने आया। श्न्ये इस बात का प्रमाण था कि नरेंद्र मोदी जो कहेंगे देश की जनता उसे ही सच मानेगी। साथ ही देश की जनता ये मैसेज देने में भी कामयाब रही कि नरेंद्र मोदी अच्छी नीयत से देश सेवा में जुटे हैं। इससे पहले भी, वो चाहे सर्जिकल स्ट्राइक हो, बालाकोट स्ट्राइक हो, नोटबंदी हो, जीएसटी का फ़ैसला हो लोगों ने मोदी सरकार पर विश्वास जताया।
विपक्ष ख़ुद को मुसीबत में समझ रहा है। और इसके लिए विपक्षी नेता ज़िम्मेदार भी नरेंद्र मोदी को ही ठहराते हैं बावजूद इसके देश के वोटरों के बीच संदेश यही है कि विपक्ष के नेताओं ने कुछ तो गोलमोल किया होगा, तभी उनके साथ ऐसी कार्रवाई हो रही है। इसका मतलब ये कि, हर तरह से देश की जनता नरेंद्र मोदी को इस बात का क्रेडिट दे रही कि वो भ्रष्टाचार के ख़िलाफ़ बड़ी लड़ाई लड़ रहे हैं। दूसरी तरफ़ जाँच एजेंसियाँ जिस तरह से प्रमाण जुटाकर अदालत की चौखट पर रख रही है, वो भी विपक्ष के नेताओं की एक छवि लोगों के मन में सेट कर रही है। जिसका असर ये हो रहा है कि विपक्ष के नेताओं को जनता की सहानुभूति भी नहीं मिल रही है।
नरेंद्र मोदी जैसी लोकप्रियता पाने की कोशिश देश में पहले भी हो चुकी है। ये अलग बात है कि इसमें सफलता नहीं मिली। जिसमें एक नाम तो इंदिरा गांधी का है। और दूसरा नाम है पी वी नरसिम्हा राव का। दोनों ही प्रधानमंत्री ने लोकप्रिय होने के लिए वो काम किए, जिसे पॉलिटिक्स में सबसे आसान काम माना जाता है। लेकिन दोनों में से किसी को सफलता नहीं मिली।
सत्ता में बैठे लोग लोकप्रिय होने के लिए सबसे आसान रास्ता चुनते हैं, विपक्ष के नेताओं को कटघरे में खड़ा करना, आम लोगों की नज़र में विपक्ष के नेताओं की छवि को ख़राब करना, फिर आख़िर में ख़ुद को मसीहा बताकर, सारी महफ़िल ही लूट लेना। लेकिन जो महफ़िल आसानी से आपके हिस्से में आ जाए, वो महफ़िल ही क्या..तो इसके लिए कुछ शर्तें भी हैं। जैसे कि सत्ता में बैठे लोगों की छवि बिल्कुल साफ़ हो। लोगों के बीच किसी तरह का कोई संदेह नहीं हो। और सबसे ज़रूरी बात बातों पर लोगों को भरोसा हो। तो लोगों के बीच वो भरोसा ना तो इंदिरा गांधी बना पाईं और ना ही वीपी नरसिम्हा राव।
अब फिर से लौटते हैं, नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता पर। पिछले कुछ महीनों में देश के दो राज़्य के मुख्यमंत्री जेल भेजे गए। एक झारखंड के मुख्यमंत्री और दूसरे दिल्ली के मुख्यमंत्री। दोनों का आरोप है कि मोदी सरकार ने उन्हें जेल में डाल दिया है। लेकिन दोनों की ही बातों पर जनता को कोई भरोसा नहीं है। ना तो झारखंड में इसका कोई असर है और ना ही दिल्ली में। इस तरह से देखा जाए तो देश में पहली बार विपक्ष के ज़्यादातर नेता किसी न किसी तरह से जाल में उलझे हुए हैं, और जनता इस बात को स्वीकार भी कर रही है। ये सबसे बड़ा कारण है कि नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता लोगों के बीच हर दिन बढ़ती जा रही है और ये कहने में भी कोई हर्ज नहीं कि हो सकता है इस लोकप्रियता का असर आपको लोकसभा चुनाव 2024 के परिणाम में भी दिखे।