PM Modi बार-बार क्यों जाते हैं South खुल गया राज़! अब BJP जाएगी 400 पार?
लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी 400 पार का नारा दे रही है। और इसके लिए पार्टी ने देश के चार उन राज्यों में खास प्लान तैयार किया है, जहां कभी भी बीजेपी मजबूत नहीं रही। लेकिन इस बार दक्षिण और पूरब के दो-दो राज्यों में बीजेपी गेम पलटने की पूरी तैयारी में है। ये रिपोर्ट देखिए।
लोकसभा चुनाव 2024 सिर्फ सत्ता की लड़ाई नहीं है। देश में सियासत की नई लकीर को खींचने की भी लडाई है। और इसके लिए एक तरफ बीजेपी है और दूसरी तरफ बीजेपी के खिलाफ खड़ी पार्टियां। और इस राजनीतिक लड़ाई में एक साथ सियासत की कई कहानियां बनने और बिगड़ने वाली है। और इस सबके बीच बीजेपी पूरब और पश्चिम के कुछ राज्यों में रिकॉर्ड बनाने जा रही है, ये वो राज्य हैं, जहां आजाद भारत के इतिहास में पहली बार बीजेपी ऐसा करिश्मा कर पाएगी। जहां बीजेपी अपने गठन से लेकर अब तक के राजनीतिक इतिहास में बड़ा उलटफेर करने जा रही है।
बीजेपी पूर्ण विश्वास के साथ चुनावी मैदान में है कि इस बार उत्तर हो या दक्षिण, पूरब हो या पश्चिम। वोटों की बारिश तो सिर्फ उसके चुनाव चिन्ह पर ही होने वाला है। जबकि बाकी दल सिर्फ और सिर्फ बीजेपी को रोकने की कोशिश में हैं। अब सवाल ये कि बीजेपी को ऐसा क्यों लग रहा है। तो इसका जवाब जानने के लिए पहले दक्षिण भारत के तेलंगाना चलते हैं।
तेलंगाना में लोकसभा की कुल सत्रह सीटें हैं। और इसमें से बीजेपी के हिस्से में है चार सीटें। ये इस बात की गवाही है कि, बीजेपी तेलंगाना में कमजोर तो है लेकिन ऐसा नहीं है कि उसकी संभावनाएं खत्म है। पिछले विधानसभा चुनाव में भी तेलंगाना में बीजेपी ने कमाल का स्थान बनाया है, और इसका सबूत ये है कि विधानसभा चुनाव में पार्टी का वोट शेयर पहले की तुलना में काफी बढ़ा है।
किसी ने राजनीति को लेकर कमाल की बात कही है, कि संभावनाएं उसकी कभी खत्म नहीं होती जो चुनाव में या तो ठहरा हुआ या आगे बढ़ रहा है। बिल्कुल यही बात बीजेपी के साथ है। एक बात और है, राजनीति को जानने वाले कहते हैं कि, दक्षिण के राज्यों में राम मंदिर का सबसे ज्यादा प्रभाव अगर किसी राज्य में है तो उसमें से एक तेलंगाना भी है। हालांकि, इसका असर कर्नाटक के साथ-साथ तमिलनाडु में भी पड़ने वाला है।
प्रशांत किशोर ने भी इस बात की जिक्र किया है कि तेलंगाना में अयोध्या वाले राम मंदिर का असर दिखने वाला है। और कुछ आंकड़े भी इसे सच साबित कर रहे हैं।
अब दक्षिण के ही एक और राज्य तमिलनाडु की बात करते हैं। पिछले कुछ महीनों में पिछले कुछ सालों में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिलनाडु का कई बार दौरा किया है। अप्रैल 2024 के पहले हफ्ते तक ही प्रधानमंत्री ने तमिलनाडु का 6 बार दौरा किया है। सिर्फ दौरा ही नहीं किया है। तमिलनाडु और काशी को जोड़ने की भी सफल कोशिश की गई है। और सूत्र बताते हैं कि इसका असर भी तमिलनाडु की जमीन पर दिखने लगा है। बीजेपी ने इस और तेजी से बढ़ाने की जिम्मेदारी जिस शख्स को दिया है, उसका नाम है- के अन्नामलाई। अनुमान और आंकड़ों से बाहर निकलकर देखें तो तमिलनाडु में बीजेपी अपनी पार्टी को ऐतिहासिक रूप से मजबूत करती दिख रही है।
अब दक्षिण से निकलकर पूरब की तरफ चलते हैं। और बात उन राज्यों की जहां कभी बीजेपी का कोई मुख्यमंत्री नहीं रहा। ओडिशा में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव साथ-साथ हो रहे हैं। और इस बार नवीन पटनायक सरकार के लिए ये एक बड़ी परीक्षा है। कहा जा रहा है कि नवीन पटनायक इस बात को अच्छे से जानते हैं कि राज्य में उनके लिए सियासी राहें आसान नहीं है, शायद इसीलिए एक बार एनडीए गठबंधन में उनके भी जुड़ने की चर्चा चली थी। जिसके बाद से ही ये चर्चाएं चल रही है कि ओडिशा में बीजेपी के लिहाज से कोई ऐतिहासिक परिवर्तन हो जाए तो कोई बड़ी बात नहीं है।
ओडिशा के बाद बाद पश्चिम बंगाल की। बंगाल में बीजेपी अपने जनाधार को बढ़ाने में किस कदर जुटी हुई है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव में देखने को मिला था। इतिहास गवाह है कि पश्चिम बंगाल में बीजेपी की कोई चर्चा नहीं थी। लेकिन वक्त ने सिर्फ सियासत को बदला ही नहीं, विरोध में खड़ी पार्टियों में एक नया नाम जोड़ दिया। और उस पार्टी का नाम है बीजेपी।
पश्चिम बंगाल में बीजेपी का सियासत रिकॉर्ड कैसा रहा है। ये हर किसी को मालूम है। दो हजार सोलह के विधानसभा चुनाव में बीजेपी को सिर्फ तीन सीट मिली थी। लेकिन 2021 में ये आंकड़ा बढ़कर 77 पहुंच गया। मतलब 2016 से लेकर 2021 के बीच बीजेपी अपने जनाधार को बढ़ाने और उसे सीट में तब्दील करने में जबरदस्त सफलता हासिल की है।
और अब कहते हैं कि पिछले तीन साल में मतलब विधानसभा चुनाव से लेकर अब लोकसभा चुनाव के आते-आते तक बीजेपी बंगाल में ममता बनर्जी को सीधी टक्कर देने के लिए पूरी तरह से तैयार है। ऊपर से संदेशखाली जैसे मुद्दों ने ममता बनर्जी की छवि को पहले से ज्यादा धूमिल कर दिया है। ऐसे में लोकसभा चुनाव में बीजेपी नंबर एक की पार्टी बन जाए तो कोई हैरानी की बात नहीं होगी।
अगर दक्षिण और पूरब के दो-दो राज्यों में बीजेपी ऐसा कर पाती है, जैसा अनुमान है तो इसका बड़ा असर देश के और भी राज्यों पर पड़ेगा। और फिर ये तय हो जाएगा कि बीजेपी ने चार सौ सीटों को जीतने का जो संकल्प लिया है। उसमें कहीं कोई रुकावट नहीं आएगी।