यही है Modi लहर का कहर- Sonia और Rahul gandhi अपनी ही पार्टी को वोट नहीं डाल पाएंगे!
जिस कांग्रेस ने सत्तर सालों तक देश पर राज किया। जिस कांग्रेस ने देश को नेहरू। इंदिरा। राजीव गांधी। मनमोहन सिंह जैसे प्रधानमंत्री दिये। आज उसी कांग्रेस की मोदी ने ऐसी हालत कर दी है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में गांधी परिवार अपनी ही पार्टी कांग्रेस को वोट देने के लिए तरस जाएगा..!
जिस कांग्रेस ने सत्तर सालों तक देश पर राज किया। जिस कांग्रेस ने देश को नेहरू। इंदिरा। राजीव गांधी। मनमोहन सिंह जैसे प्रधानमंत्री दिये। आज उसी कांग्रेस की मोदी ने ऐसी हालत कर दी है कि इस बार के लोकसभा चुनाव में गांधी परिवार अपनी ही पार्टी कांग्रेस को वोट देने के लिए तरस जाएगा।
इस देश ने शायद ही कभी सोचा होगा कि एक दिन ऐसा आएगा जब देश में कई बार सरकार बना चुकी कांग्रेस के सामने विपक्ष में बैठने लायक सीट हासिल करने के भी लाले पड़ जाएंगे। वो दौर आया साल 2014 में। जब गुजरात से निकल कर एक ऐसा नेता दिल्ली में आया। जिसके चेहरे पर बीजेपी लोकसभा चुनाव लड़ी। और पहली बार अकेले दम पर प्रचंड बहुमत के साथ ऐतिहासिक जीत हासिल की। ये नेता कोई और नहीं। नरेंद्र मोदी थे। जिनके नाम की ऐसी प्रचंड लहर चली कि। 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस महज 44 सीटों पर ही सिमट गई थी। तो वहीं पांच साल बाद जब साल 2019 में लोकसभा चुनाव हुआ तो इस बार भी प्रचंड मोदी लहर जारी रही। और इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस महज 52 सीटों पर ही सिमट कर रह गई।
यानि कांग्रेस को इतनी सीटें भी नसीब नहीं हुई कि वो विपक्ष का पद हासिल कर सके। क्योंकि विपक्ष का पद हासिल करने के लिए भी पार्टी के पास कम से कम कुल सीटों की 10 फीसदी संख्या यानी 55 सीटें होनी चाहिए। और कांग्रेस बेचारी 2014 में 44 जबकि 2019 में महज 52 सीटें ही हासिल कर सकी। चुनाव दर चुनाव कांग्रेस की हालत खस्ता होती गई। और इस बार के लोकसभा चुनाव में तो इस कांग्रेस की ऐसी हालत हो गई कि जिस दिल्ली में बैठ कर दशकों तक देश की सरकार चलाई। उसी दिल्ली की महज सात लोकसभा सीटों पर भी अपने दम पर चुनाव लड़ने की हिम्मत नहीं जुटा सकी। इन सात सीटों को जीतने के लिए भी कांग्रेस को उस आम आदमी पार्टी से हाथ मिलाना पड़ गया। जिसे राजनीति में उतरे ही जुम्मा जुम्मा चार दिन हुआ है। और उस पर भी तुर्रा ये कि इस नई नवेली आम आदमी पार्टी से गठबंधन भी कांग्रेस को घुटनों के बल आकर करना पड़ा। क्योंकि देश की पुरानी और बड़ी पार्टी होने के बावजूद कांग्रेस महज तीन सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है। तो वहीं आम आदमी पार्टी चार सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
इस गठबंधन में कांग्रेस छोटी पार्टी बन गई जबकि आम आदमी पार्टी। उससे बड़ी पार्टी बन गई। बात यहीं खत्म नहीं होती। गठबंधन धर्म निभाने के लिए बेबस कांग्रेस को नई दिल्ली लोकसभा सीट भी आम आदमी पार्टी को देनी पड़ गई। उसने एक बार भी शायद ये नहीं सोचा कि जिस नई दिल्ली लोकसभा सीट को कांग्रेस ने केजरीवाल की पार्टी को सौंप दिया। उसी नई दिल्ली लोकसभा क्षेत्र में गांधी परिवार दशकों से वोट डालता रहा है। लेकिन इस बार मोदी लहर के डर से आम आदमी पार्टी से गठबंधन करने को मजबूर हुई कांग्रेस ने नई दिल्ली सीट भी आम आदमी पार्टी को दे दी। जिसकी वजह से सोनिया गांधी, राहुल गांधी, प्रियंका गांधी अपनी ही पार्टी कांग्रेस को वोट नहीं दे पाएंगे, उन्हें अब आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार सोमनाथ भारती को वोट देना पड़ेगा।
यही वजह है कि पुराने कांग्रेसी रहे आचार्य प्रमोद कृष्णम ने भी इस मामले पर कांग्रेस को जबरदस्त लताड़ लगाते हुए कहा कि। इस बार सोनिया जी, खड़गे जी और राहुल गांधी जी खुद भी अपनी पार्टी को वोट नहीं देंगे क्योंकि जहां उनका आवास और दफ्तर है वहां कांग्रेस का कैंडिडेट ही नहीं है, अब इसे नेतृत्व का दिवालियापन कहो या कांग्रेस के भाग्य की विडंबना, लेकिन खबर एकदम सोलह आने सच है।
अब इसे मोदी का डर ना कहें तो। क्या कहें। क्योंकि ये मोदी का डर ही तो है। जिसकी वजह से तमाम विपक्षी पार्टियों ने पहले तो एकजुट होकर इंडिया गठबंधन बनाया। फिर इसी इंडिया गठबंधन में कांग्रेस के साथ ही आम आदमी पार्टी को भी शामिल किया गया। और अब इसी गठबंधन की वजह से कांग्रेस को नई दिल्ली लोकसभा सीट आम आदमी पार्टी को देनी पड़ गई। जिसकी वजह से शायद ऐसा पहली बार होगा कि सोनिया गांधी, राहुल गांधी और प्रियंका गांधी अपनी ही पार्टी कांग्रेस को वोट नहीं दे पाएंगी।
नई दिल्ली सीट का इतिहास
- इस सीट से BJP ने बांसुरी स्वराज को टिकट दिया है
- गठबंधन की वजह से कांग्रेस ने ये सीट AAP को दे दी
- AAP ने यहां से सोमनाथ भारती को उम्मीदवार बनाया है
- 2014, 2019 में BJP नेता मीनाक्षी लेखी यहां से जीती थीं
- 2004, 2009 में कांग्रेस नेता अजय माकन ने जीत दर्ज की
- 1992 में राजेश खन्ना ने कांग्रेस के टिकट पर जीत हासिल की
- 1989, 1991 में लाल कृष्ण आडवाणी ने जीत हासिल की
- 1977, 1980 में अटल बिहारी वाजपेयी यहां से सांसद बने
- 1951, 1957 में पहली महिला CM सुचेता कृपलानी जीतीं
नई दिल्ली लोकसभा सीट का इतिहास बता रहा है कि यहां से देश की पहली मुख्यमंत्री के तौर पर कमान संभाल चुकीं सुचेता कृपलानी से लेकर। अटल बिहारी वाजपेयी। लाल कृष्ण आडवाणी। मीनाक्षी लेखी। अजय माकन जैसे बड़े नेता चुनाव लड़ते रहे हैं। तो वहीं सात बार कांग्रेस इस सीट पर जीत हासिल कर चुकी है। यहां तक कि साल 2019 के लोकसभा चुनाव में भी दिग्गज कांग्रेसी नेता अजय माकन 2 लाख 47 हजार से भी ज्यादा वोट पाकर दूसरे नंबर पर थे। लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस इस सीट खुद लड़ने की बजाए आम आदमी पार्टी को दे दी। जो तीसरे नंबर पर थी। जिसकी वजह से अब सोनिया, राहुल और प्रियंका गांधी पहली बार अपनी पार्टी कांग्रेस को वोट नहीं दे सकेंगी। बहरहाल कांग्रेस की इस हालत के लिए आप किसे जिम्मेदार मानते हैं। अपनी राय हमें कमेंट कर जरूर बताएं।