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Ravindra Bhati से लेकर IPS Anand Mishra तक, इन निर्दलीयों ने बढ़ाई Modi-Shah की टेंशन

400 सीटें पार वाले नारे में सेंध लगाने के लिए ना सिर्फ़ सारे विरोधी दल एक साथ आ गए हैं बल्कि कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों ने बीजेपी की टेंशन को बढ़ा दिया है। आप कहेंगे हर चुनाव में निर्दलीय होता है तो इस बार नया क्या है ? इस बार नया ये है कि ये निर्दलीय अपने अपने क्षेत्रों में इतने मज़बूत हैं, इतने मज़बूत हैं कि इनका तोड़ कर पाना बीजेपी के लिए किसी बड़े चैलेंज से कम नहीं होने वाला।
Ravindra Bhati से लेकर IPS Anand Mishra तक, इन निर्दलीयों ने बढ़ाई Modi-Shah की टेंशन
देश का माहौल राजनीति के रंग में रंगा हुआ है। चूंकि लोकसभा चुनाव हैं ऐसे में किसी भी राज्य में चले जाइये आपको नेताओं राजनेताओें पर चर्चा होती हुई मिल जाएगी।  चुनावी लहर के बीच कौन प्रधानमंत्री होगा इस सवाल पर तो ज़्यादातर लोग मोदी का नाम ले रहे हैं लेकिन सीटों का आंकड़ा कैसा होगा इसे लेकर बहुत ज़्यादा श्योरिटी किसी के पास नहीं है। वो अलग बात है कि बीजेपी ख़ासकर ख़ुद नरेंद्र मोदी 400 पार का नारा दे रहे हैं लेकिन कहना और मुमकिन हो जाना- दोनों में बहुत अंतर है।

400 सीटें पार वाले नारे में सेंध लगाने के लिए ना सिर्फ़ सारे विरोधी दल एक साथ आ गए हैं बल्कि कुछ निर्दलीय उम्मीदवारों ने बीजेपी की टेंशन को बढ़ा दिया है। आप कहेंगे हर चुनाव में निर्दलीय होता है तो इस बार नया क्या है ? इस बार नया ये है कि ये निर्दलीय अपने अपने क्षेत्रों में इतने मज़बूत हैं, इतने मज़बूत हैं कि इनका तोड़ कर पाना बीजेपी के लिए किसी बड़े चैलेंज से कम नहीं होने वाला। कौन कौन हैं ये निर्दलीय उम्मीदवार जो किसी के टिकट पर नहीं बल्कि अपने दम पर हुंकार भर रहे हैं, एक एक करके आपको उनके बारे में बताते हैं।

रविंद्र सिंह भाटी


26 साल के इस लड़के ने राजस्थान ही नहीं पूरे देश में भौकाल टाइट कर रखा है। लोकप्रियता के मामले में ऐसा लट्ठ गाढ़ा है कि बीजेपी समेत बाक़ी सारे दलों की टेंशन का पारा हाई कर दिया है। पहले शिव सीट से विधायकी लड़ी तो वो जीत गए और अब सांसदी का चुनाव ना सिर्फ़ लड़ रहे हैं बल्कि जीतेंगे भी- ऐसा कहना है राजस्थान की जनता का। रविंद्र सिंह भाटी का जलवा ऐसा है कि जहां जाते हैं वहीं पर सैकड़ों की तादाद में भीड़ जमा हो जाती है। राजपूत समाज का प्रतिनिधित्व करने वाले रविंद्र सिंह भाटी के साथ जिस मज़बूती के साथ पूरे राजस्थान की जनता खड़ी है, उसने बीजेपी के कैलाश चौधरी समेत हर किसी की मुश्किलें बढ़ा रखी हैं।

पप्पू यादव


बड़ी उम्मीदों के साथ राजीव रंजन उर्फ़ पप्पू यादव अपनी पार्टी का कांग्रेस में विलय कर उसी में शामिल हो गए थे। सोचा था टिकट बंटवारा होगा तो पूर्णिया सीट से उनको मैदान में उतारा जाएगा, लेकिन बिना देर किए लालू की RJD ने इस सीट से बीमा भारत को मैदान में उतार दिया। RJD का सीधा फ़ंडा है एक ही यादव आगे बढ़ेगा ना…किसी पप्पू यादव को अपने सामने क्यों आगे बढ़ने देंगे ? RJD का कैंडिडेट घोषित होते ही पूरी INDIA गठबंधन इस फ़ैसले पर चुप हो गया। फिर क्या, पप्पू को ठगा सा महसूस हुआ। फिर उन्होंने इसी सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने का फ़ैसला किया। अब वो पूर्णिया से ना सिर्फ़ NDA की तरफ़ से संतोष कुशवाहा को बल्कि RJD की बीमा भारती को भी टक्कर दे रहे हैं क्योंकि हर कोई जानता है कि पप्पू यादव का भी ज़बरदस्त वोटबैंक हैं।

पवन सिंह


पवन सिंह को बीजेपी ने बंगाल की आसनसोल सीट से टिकट दिया था लेकिन 24 घंटे के अंदर अंदर वो वापस हो गया। कहा गया कि बीजेपी बंगाल में महिला सम्मान को मुद्दा बनाना चाहती थी और चूंकि कभी पवन सिंह ने बंगाली महिलाओं पर गाने गाए थे इसलिए उनके साथ ऐसा हुआ, सच क्या है ये तो बीजेपी ही जाने लेकिन इस टिकट वापसी के बाद पवन सिंह ने बिहार के काराकाट से चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। पवन सिंह की फ़ैन फॉलोविंग इतनी ज़बरदस्त है कि अब बीजेपी टेंशन में है। कहा तो ये तक जा रहा है कि अगर पवन सिंह नहीं भी जीते तो कम से कम बीजेपी के लिए वोट काटने का काम तो कर ही देंगे।

गुंजन सिंह


जब बिहार की बात होती है तो फिर नवादा सीट का भी ज़िक्र आता है। नवादा में चुनाव हो चुका है। इस बार में मैदान में सारे प्रत्याशियों के सामने एक निर्दलीय ने हुंकार भरी जिसका नाम है गुंजन सिंह। गुंजन जाने माने भोजपुरी गायक हैं और बेहद लोकप्रिय हैं।

आनंद मिश्रा


अब बात करते हैं IPS अधिकारी आनंद मिश्रा की। चुनाव लड़ने का मन था इसलिए VRS ले लिया, उम्मीद थी बीजेपी से टिकट मिलेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। फिर क्या आनंद ने बक्सर लोकसभा सीट से निर्दलीय अपनी क़िस्मत आज़माने का फ़ैसला किया है। जहां जहां वो जा रहे हैं वहाँ वहाँ हुजूम उमड़ रहा है, लेकिन ये हुजूम बाक़ी दलों की टेंशन बढ़ाने के लिए तो काफ़ी है लेकिन क्या जीत दिला पाएगा ?

मनीष कश्यप


इसी लिस्ट में बिहार के पश्चिम चंपारण से हुंकार भर रहे मनीष कश्यप का नाम भी था, लेकिन मनीष ने अपनी मां के कहने पर बीजेपी का दामन थाम लिया। अब वो चुनाव लड़ने का फ़ैसला भी टाल चुके हैं लेकिन हां बीजेपी का दामन थामने के बाद वो बिहार में लोगों के लिए काम जरुर करेंगे।
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