टूटा गठबंधन, जेल से बाहर आए या लाए गए, आते ही मोदी की राह पर चल पड़े !
अरविंद केजरीवाल ने जेल से बाहर आते ही राहुल गांधी की जमीन छीन ली है ।और खुद को प्रधानमंत्री के तौर पर पेश कर दिया है ।
दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल जब से जेल से बाहर आए है ।राहुल, ममता, अखिलेश, उद्धव घबराए हुए है । केजरीवाल लगातार मीडिया की सुर्खियों में बने हुए है ।गठबंधन के नेताओं का भी कहना था कि केजरीवाल के आने के चुनाव मजबूत हो गया है । मतलब नेता मान रहे है अब तक चुनाव कमजोर था ।गठबंधन के नेता कह रहे है कि अब चुनाव में जान आ गई है ।मतलब मान रहे है कि अब तक चुनाव बेजान था ।और जैसा ये नेता कह रहे थे कि चुनाव में जान आ गई ।वो देखकर लग भी रहा है ।लेकिन इन नेताओं के हलक सूखे हुए भी है ।जिसे बयान नहीं कर पा रहे है ।केजरीवाल ने कहा कि अगले साल देश का प्रधानमंत्री बदल जाएगा ।मोदी अमित शाह को प्रधानमंत्री बना देंगे ।और सरकार बनने के दो महीने बाद योगी आदित्यनाथ को भी हटा दिया जाएगा ।लेकिन केजरीवाल मोदी के लिए नहीं राहुल के लिए आए है ।
तो केजरीवाल के ये जो बयान है वो दिखाते है कि केजरीवाल सब कुछ मीडिया की सुर्खियां बटोरने के लिए कर रहे है ।और उन्होंने सुर्खियां बटोरी भी ।लेकिन नैरेटिव को कुछ खास बदल नही पाए ।हवा को बीजेपी के खिलाफ मोड़ नहीं पाए ।और अपनी ही धज्जियां उड़वा ली ।लेकिन हां केजरीवाल ने जेल से बाहर आने के बाद कुछ सवाल भी छोड़ दिए ।और पहला सवाल तो यही है कि क्या जेल से आने के बाद केजरीवाल ने खुद को गठबंधन का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दिया है ।और दुसरा सवाल ये है कि केजरीवाल जेल से बाहर आए है या लाए गए है ।तो चलिए पहले सवाल से शुरु करते है ।
सवाल है कि क्या केजरीवाल राहुल के चेहरे को खत्म करके अपने चेहरे को सामने रख देना चाहते है ।क्योंकि केजरीवाल के भीतर महत्वकांशाए तो है प्रधानमंत्री बनने की।
केजरीवाल अब प्रधानमंत्री मोदी की तरह बोलने लगे है ।जिस तरह मोदी अपने भाषणों में कहते है कि ये मोदी की गारंटी है ।
केजरीवाल भी ठीक इसी तरह से केजरीवाल केजरीवाल करने लगे है। केजरीवाल भ्रष्टाचार खत्म करेगा, केजरीवाल के बार में मोदी बात करने करने लगे है ।
केजरीवाल ने अपने प्रचार के दौरान ये साबित कर दिया है कि मोदी के सामने अगर कोई लड़ सकता है तो वो राहुल गांधी नहीं है, जिन्हें सोनिया गांधी 20 साल से लांच करने की कोशिश कर रही है ।बल्कि वो अरविंद केजरीवाल है ।क्योंकि जिस तरह से केजरीवाल ने आते ही मीडिया की सुर्खियों पर कब्जा किया उस तरह से कभी राहुल गांधी नहीं कर पाए ।
अब यहां सवाल ये उठता है कि क्या केजरीवाल इतने बड़े नेता हो गए है कि मोदी को विपक्ष को संदेश देने के लिए केजरीवाल को गिरफ्तार करवाना पड़ेगा ।क्या हेमंत सोरेन मुख्यमंत्री नहीं थे ।जो केजरीवाल से पहले से जेल में बंद है ।
तो क्या मोदी के खिलाफ सिर्फ केजरीवाल लड़ रहे है ।गठबंधन के जो दल है वो क्या टाइम पास कर रहे है ।बेचारे राहुल तो भारत को जोड़ने के लिए और भारत को न्याय दिलाने के लिए दो दो यात्रा कर चुके है । राहुल-सोनिया, खड़गे लगातार रैलिया कर रहे है..रोड़ शो कर रहे है । क्या वो सब बेकार है ।केजरीवाल के नजरिए से अगर सोंचे तो ऐसा ही लगता है ।
वैसे ऐसा चमत्कार केजरीवाल ही कर सकते है 24 घंटे में 36 घंटे काम कर सकते है ।और साथ ही अगर वो देशभर में घुमकर प्रचार करेंगे और 36 घंटे काम करेंगे तो क्या गठबंधन के बाकी नेता बैछकर मटर छीलने का काम करेंगे ।
उसूलों के लिए 49 दिन में इस्तीफा देने वाले और इनकम टैक्स की नौकरी छोड़ने वाले केजरीवाल ये बताएं कि पार्टी बनाने से पहले उनकी जो संस्था थी जिसका नाम था संपूर्ण परिवर्तन, और एक और संस्था थी जिसका नाम था कबीर इन दोनों संस्थाओं को विदेशो से लाखों डालर की फंडिग मिली थी ।जितनी केजरीवाल ने इनकम टैक्स में रहते हुए तनख्वा ली होगी उससे ज्यादा विदेशों से फंडिग ली गई थी ।तो केजरीवाल साहब इस बात की दुहाई ना दें तो बेहतर रहेगा ।लेकिन अपने भाषण में केजरीवाल ने जिस तरह से दर्जनों बार खुद की प्रसंशा की है, खुद की पीठ थपथपाई है ।साथ ही गठबंधन की एक बार भी बात नहीं की ।दूसरी तरफ राहुल की कितनी वैल्यू केजरीवाल समझते है, उसका अंदाजा आप इस बात से लगा लिजिए कि पंजाब में केजरीवाल ने गठबंधन करने से इंकार कर दिया ।दिल्ली में भी सिर्फ तीन सीटें दी है। तो केजरीवाल जिस हिसाब से आगे बढ रहे है ।वो राहुल गांधी की ही जमीन पर कब्जा कर रहे है। जिससे उनका पंगा अब सीधे तौर पर सोनिया गांधी से है। और इन हालातों में गठबंधन बहुत ज्यादा नुकसान बीजेपी को पहुंचा पाए उसकी उम्मीद कम नजर आती है।
अब आते है दुसरे सवाल पर ।कि केजरीवाल जेल से बाहर आए है या लाए गए है। तो समझिए केजरीवाल की पार्टी कुल 22 सीटों पर चुनाव लड़ रही है ।चार पर चुनाव हो चुका है और 18 पर बाकी है ।अगले चार चरणों में इन सीटों पर मतदान होना है ।पंजाब भी इनमें शामिल है ।और पंजाब में गठबंधन नहीं है ।और पंजाब में अगर केजरीवाल प्रचार करते है तो फिर मुकाबला रोचक होगा, बीजेपी की जीत की संभावना ज्यादा होगी ।दिल्ली में भी बीजेपी का वोटर एकजुट होगा ।चुनाव में जो उदासीनता थी उसमें भी फर्क पड़ सकता है ।हालांकि इस सवाल का जवाब अभी पुख़्ता तो हो नहीं पाया है ।फि भी राजनीतिक गलियारों में चर्चाए तो है कि ।क्योंकि कोर्ट ने जिस आधार पर केजरीवाल को जमानत दी है वो सवालों के घेरे में है ।लेकिन जिस तरीके से केजरीवाल ने राहुल की जमीन हड़पी है ।राहुल जिस पद के विकल्प थे, वहां अपना भी नाम दर्ज करवा दिया ।ममता, उद्धव, शरद पवार, अखिलेश ।जितने भी बड़े नाम थे ।सबको किनारे लगाने वाले केजरीवाल के इस स्टंट पर आपकी क्या राय है ।