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कौन है PM Modi का वो तगड़ा सिपाही जिसने Dimple को हराया अब Akhilesh Yadav से लेंगे मोर्चा?

समाजवादी पार्टी की कमान संभाल रहे अखिलेश यादव लगता है इस बार के लोकसभा चुनाव में कुछ ज्यादा ही कन्फ्यूज हो गये हैं। इसीलिये अभी तक यही तय नहीं कर पा रहे हैं कि किस सीट से किस उम्मीदवार को चुनाव लड़ाया जाये। हद तो तब हो गई जब खुद अखिलेश यादव ने ही कन्नौज सीट से तेज प्रताप यादव को टिकट दिया। और फिर 25 अप्रैल को खुद ही अचानक इस सीट से नामांकन करने पहुंच गये। जिससे कन्नौज में सपा और बीजेपी के बीच तगड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है..!
कौन है PM Modi का वो तगड़ा सिपाही जिसने Dimple को हराया अब Akhilesh Yadav से लेंगे मोर्चा?
जिस समाजवादी पार्टी मुलायम सिंह यादव और राम मनोहर लोहिया जैसे खाटी समाजवादी नेताओं ने खड़ा किया। जिस समाजवादी पार्टी ने यूपी जैसे बड़े राज्य में सरकार बनाई। उसी समाजवादी पार्टी की कमान संभाल रहे अखिलेश यादव लगता है इस बार के लोकसभा चुनाव में कुछ ज्यादा ही कन्फ्यूज हो गये हैं। इसीलिये अभी तक यही तय नहीं कर पा रहे हैं कि किस सीट से किस उम्मीदवार को चुनाव लड़ाया जाये। हद तो तब हो गई जब खुद अखिलेश यादव ने ही कन्नौज सीट से तेज प्रताप यादव को टिकट दिया। और फिर 25 अप्रैल को खुद ही अचानक इस सीट से नामांकन करने पहुंच गये। जिससे कन्नौज में सपा और बीजेपी के बीच तगड़ी टक्कर देखने को मिल सकती है।

इत्र नगरी के नाम से मशहूर कन्नौज लोकसभा सीट समाजवादियों का गढ़ रहा है। राम मनोहर लोहिया। मुलायम सिंह यादव। अखिलेश यादव। और डिंपल यादव भी यहां से सांसद रह चुकी हैं। लेकिन साल 2019 के लोकसभा चुनाव में जब इसी कन्नौज सीट से सपाई मुखिया अखिलेश यादव ने अपनी पत्नी डिंपल यादव को टिकट दिया तो। इस चुनाव में डिंपल यादव बुरी तरह से हार गईं। और इस तरह से मुलायम परिवार के हाथ से समाजवादियों का गढ़ रही कन्नौज सीट बीजेपी के हाथ में चली गई। और भाजपाई नेता सुब्रत पाठक ने यहां से जीत हासिल की।

जिस कन्नौज सीट से अखिलेश यादव पहली बार सांसद बने। उनकी पत्नी डिंपल यादव भी पहली बार सांसद बनीं। वही सीट बीजेपी ने 2019 के चुनाव में सपा से छीन ली। जिसकी कसक शायद आज भी मुलायम परिवार को साल रही है। यही वजह कि अब तक वाराणसी। बदायूं। मुरादाबाद। मेरठ जैसी कई सीटों पर अब तक उम्मीदवार बदल चुके अखिलेश यादव ने इस बार कन्नौज सीट से अपने ही परिवार के तेज प्रताप यादव का टिकट काट कर खुद ही नामांकन करने पहुंच गये। और कहने लगे। मैं अभी नामांकन करके आया हूं। बड़ी संख्या में यहां के लोगों की भावना थी कि मुझे यहां से चुनाव लड़ाया जाए।

अखिलेश यादव के नामांकन के बाद ये तय हो गया है कि इस बार कन्नौज लोकसभा सीट पर सपा और बीजेपी के बीच तगड़ी टक्कर देखने को मिलेगी। क्योंकि एक तरफ जहां सपा से अखिलेश यादव होंगे। तो वहीं दूसरी तरफ डिंपल यादव को चुनाव हरा चुके बीजेपी सांसद सुब्रत पाठक होंगे। जिन्होंने अखिलेश की उम्मीदवारी पर कहा कि। अखिलेश को घमंड था कि किसी को भी भेज देंगे तो कन्नौज में जीत जाएंगे इसलिये तेज प्रताप को भेज दिया था। अब मैच भारत पाकिस्तान की तरह होगा और जीतना भारत को ही है।
 
साल 2019 के लोकसभा चुनाव में अखिलेश की पत्नी डिंपल यादव को हरा चुके बीजेपी सांसद सुब्रत पाठक के सामने इस बार खुद अखिलेश यादव चुनाव लड़ रहे हैं। इसीलिये कन्नौज में इस बार जबरदस्त मुकाबले की उम्मीद जताई जा रही हैं।

  • मोदी-योगी के भरोसेमंद हैं सुब्रत पाठक !
  • कन्नौज में परफ्यूम व्यवसाय से जुड़ा है सुब्रत का परिवार
  • 2009 में पहली बार कन्नौज सीट से चुनाव लड़े थे पाठक
  • सुब्रत पाठक पहला चुनाव अखिलेश यादव से हार गये थे
  • 2014 में मोदी लहर के बावजूद डिंपल यादव से हार गये
  • 2019 में सुब्रत ने डिंपल को हरा कर कन्नौज सीट जीत ली
  • PM मोदी के बेहद खास माने जाते हैं सांसद सुब्रत पाठक
  • 2009 में सुब्रत के प्रचार के लिए गुजरात से आए थे मोदी
  • BSP ने सुब्रत पर डोरे डाले लेकिन उन्होंने BJP नहीं छोड़ी
  • सुब्रत पाठक के पिता ओम प्रकाश RSS के कट्टर समर्थक हैं
  • 2000 में पहली बार सुब्रत पाठक BJP के संपर्क में आए थे
  • 2006 में BJP ने उन्हें जिला कार्यकारिणी का अध्यक्ष बनाया
  • मोदी के भरोसेमंद सुब्रत को काशी क्षेत्र का इंचार्ज बनाया गया
साल 2009 में नरेंद्र मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे। उस दौर से ही सुब्रत पाठक को जानते हैं। उनके चुनाव प्रचार के लिए मोदी गुजरात से यूपी आए थे। तो वहीं इस वक्त उन्हें काशी क्षेत्र का इंचार्ज बनाया गया है। जिसमें पीएम मोदी की संसदीय क्षेत्र वाराणसी भी आती है। इसी बात से समझ सकते हैं कि सुब्रत पाठक को मोदी का खास क्यों कहा जाता है। 2019 के चुनाव में डिंपल यादव को हराने के बाद बीजेपी में सुब्रत पाठक का कद और बढ़ गया। यही वजह है कि इस बार भी बीजेपी ने उन्हें कन्नौज से टिकट देकर मैदान में उतार दिया है। जिनका मुकाबला सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव से है। तो क्या इस बार अखिलेश अपनी पत्नी की हार का बदला ले पाएंगे। या फिर डिंपल की तरह अखिलेश को भी सुब्रत पाठक हराकर वापस भेजेंगे। अपनी राय हमें कमेंट कर जरूर बताएं।
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