कौन है ये IPS Officer जिसने PM Modi का Fan होने के बावजूद BJP की सांसे फुला दी?
इस बार बीजेपी ने बक्सर से उनका टिकट काट कर मिथलेश तिवारी को मैदान में उतार दिया है... जिनकी टक्कर आरजेडी उम्मीदवार सुधाकर सिंह से है... बीजेपी और कांग्रेस के बीच बक्सर में छिड़ी सियासी जंग के बीच एक और नाम की खूब चर्चा हो रही है... जिसने बक्सर के सियासी मैदान में गदर काट दिया है..!
बक्सर बिहार की वो लोकसभा सीट है जहां से बीजेपी के कद्दावर नेता अश्विनी चौबे लगातार दो बार से सांसद हैं। साल 2014 में इसी सीट से अश्विनी चौबे ने तीन लाख से ज्यादा वोट हासिल कर जीत दर्ज की। तो वहीं साल 2014 में 4 लाख 73 हजार से भी ज्यादा वोट पाकर बक्सर में जीत का भगवा गाड़ दिया। जिसका ईनाम भी उन्हें मिला और मोदी सरकार में मंत्री बना दिया गया। लेकिन इस बार बीजेपी ने बक्सर से उनका टिकट काट कर मिथलेश तिवारी को मैदान में उतार दिया है। जिनकी टक्कर आरजेडी उम्मीदवार सुधाकर सिंह से है। बीजेपी और कांग्रेस के बीच बक्सर में छिड़ी सियासी जंग के बीच एक और नाम की खूब चर्चा हो रही है। जिसने बक्सर के सियासी मैदान में गदर काट दिया है।
बिहार की बक्सर लोकसभा सीट को भाजपाइयों का गढ़ माना जाता रहा है। इस सीट पर 1996 में पहली बार बीजेपी ने जीत का भगवा लहराया था। उसके बाद कभी पीछे मुड़ कर नहीं देखा। 1996, 1998, 1999 और 2004 में जहां लालमुनी चौबे ने बक्सर सीट पर बीजेपी का विजय पताका लहराया। तो वहीं साल 2014 और 2019 में अश्विनी चौबे ने बक्सर में जीत का परचम लहराया। 1996 से 2019 के बीच हुए कुल सात चुनावों में सिर्फ एक बार साल 2009 में बक्सर सीट पर आरजेडी की लालटेन जली थी। जबकि 6 बार बीजेपी ने जीत हासिल की। लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में लगता है बीजेपी और आरजेडी। दोनों ही पार्टियों के लिए बक्सर सीट जीतना आसान नहीं होगा। क्योंकि इस बार बक्सर सीट से तेज तर्रार युवा आईपीएस अफसर आनंद मिश्रा भी चुनावी मैदान में कूद गये हैं।
महज बाइस साल की उम्र में यूपीएससी जैसी कठिन परीक्षा पास करके आईपीएस अफसर बनने वाले आनंद मिश्रा ने साल 2011 से 2023 तक देश के लिए सेवा की। और जब तक सरकारी सर्विस में रहे। कानून तोड़ने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन की वजह से चर्चाओं में बने रहे। लेकिन साल 2023 में आजादी की जिंदगी जीने के लिए आनंद शर्मा ने बारह साल बाद आईपीएस की सरकारी नौकरी ही छोड़ दी। उस वक्त ये अटकलें लगाई जाने लगी थीं कि आईपीएस की सरकारी नौकरी छोड़ने वाले आनंद मिश्रा बीजेपी में शामिल हो सकते हैं। जिन्हें पार्टी बिहार की बक्सर सीट से लोकसभा चुनाव में उतार सकती है। लेकिन जब बक्सर सीट से उम्मीदवार उतारने की बात आई तो बीजेपी ने आनंद मिश्रा की बजाए मिथिलेश तिवारी को टिकट देकर मैदान में उतार दिया। फिर क्या। आनंद मिश्रा भी कहां पीछे हटने वाले थे। बीजेपी से टिकट नहीं मिला तो वो निर्दलीय ही चुनाव मैदान में उतर गये।
जिस बक्सर सीट से मोदी के मंत्री सांसद हैं। उस बक्सर सीट से निर्दलीय ताल ठोक रहे आनंद मिश्रा को जनता का जबरदस्त समर्थन भी मिल रहा है। अपनी बुलेट से ही चुनाव प्रचार करने में जुटे आनंद मिश्रा जहां भी जा रहे हैं कारवां बनता जा रहा है। क्या युवा। क्या बच्चे। क्या बूढ़े। क्या महिलाएं। इस सियासी लड़ाई में हर कोई उनका साथ दे रहा है। जिससे गदगद आनंद मिश्रा भी हुंकार भर रहे हैं। इक रास्ता है जिन्दगी, जो थम गए तो कुछ नहीं, ये कदम किसी मुकाम पे, जो जम गये तो कुछ नहीं। एक तेज तर्रार युवा अफसर होने के साथ साथ गिटार, म्यूजिक और एडवेंचर का शौक रखने वाले आनंद मिश्रा के अब तक के करियर की बात करें तो:
कौन हैं आनंद मिश्रा ?
- आनंद मिश्रा का जन्म 1989 में बिहार के बक्सर जिले में हुआ था
- आनंद मिश्रा के पिता कोलकाता में हिंदुस्तान मोटर्स में इंजीनियर थे
- स्कूलिंग के बाद कोलकाता के जेवियर्स कॉलेज से ग्रेजुएशन किया
- 2011 में 22 साल की उम्र में आनंद मिश्रा ने UPSC क्रैक की थी
- 225 रैंक के साथ आनंद मिश्रा IPS कैडर के लिए चुने गये थे
- असम में तैनाती के वक्त ड्रग माफियाओं पर एक्शन से चर्चा में आए
- फिटनेस और आम जनता के बीच काम को लेकर चर्चा में रहते हैं
- IPS आनंद मणिपुर हिंसा की जांच के लिए बनाई गई SIT में भी थे
पिछले साल दिसंबर में आईपीएस की सेवा से वीआरएस लेने वाले आनंद मिश्रा वैसे तो भोजपुर जिले के रहने वाले हैं लेकिन उनका पैतृक गांव बक्सर जिले से बिल्कुल सटा हुआ है और पिछले परिसीमन में बक्सर संसदीय सीट का हिस्सा हुआ करता था यही वजह है कि आनंद मिश्रा ने पिछले कुछ महीनों से बक्सर में अपनी सक्रियता बढ़ा दी थी। यहां तक कि सोशल मीडिया पर भी आनंद मिश्रा पीएम मोदी की खूब तारीफ की। एक पोस्ट में तो पीएम मोदी के लिए यहां तक कह दिया था कि एक सफल टीम के पीछे कई हाथ होते हैं लेकिन दिमाग एक। बात यहीं खत्म नहीं होती। आनंद मिश्रा ने पीएम मोदी की कई वीडियो भी सोशल मीडिया पर शेयर की थी। लेकिन इसके बावजूद बीजेपी ने जब टिकट नहीं दिया तो आनंद मिश्रा निर्दलीय चुनाव में उतर गये। जिससे बक्सर का चुनाव बेहद दिलचस्प हो गया है। क्योंकि उनके उतर जाने से सबसे ज्यादा नुकसान बीजेपी को हो सकता है। जो ब्राह्मण वोट के दम पर जीतती आ रही है।
और अब आनंद मिश्रा के उतर जाने से कहीं ना कहीं बीजेपी को ब्राह्मण वोट बंटने का डर जरूर सता रहा होगा। क्योंकि बक्सर सीट ब्राह्मण बहुल सीट मानी जाती है जहां से पिछले सात लोकसभा चुनावों में 6 बार ब्राह्मण नेता ने जीत दर्ज की है। चार बार बीजेपी नेता लालमुनि चौबे और दो बार अश्विनी चौबे ने जीत हासिल की है। अब देखना ये है कि ब्राह्मण बहुल सीट बक्सर पर आईपीएस आनंद मिश्रा। बीजेपी के मिथिलेश तिवारी। और आरजेडी के सुधाकर सिंह को कैसे हराते हैं। वैसे आपको क्या लगता है क्या आनंद मिश्रा बक्सर सीट जीत पाएंगे। अपनी राय हमें कमेंट कर जरूर बताएं।