Advertisement

राम राज्य में 2024 का लोकसभा चुनाव अबकी बार कौन जीतेगा? Robert Vadra की भविष्यवाणी

वाड्रा कहते हैं कि कांग्रेस धर्म की राजनीति नहीं करती...लेकिन एक सच ये भी है कि अपने वोट बैंक के चलते कांग्रेस ने रामलला के दूरी बनाई.. राहुल जब इफ़्तार पार्टी में शामिल हो सकते हैं, तो फिर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में शरीक क्या नहीं हुए।
राम राज्य में 2024 का लोकसभा चुनाव अबकी बार कौन जीतेगा? Robert Vadra की भविष्यवाणी
रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को 79 दिन बीत चुके हैं।लेकिन देश की राजनीति अभी तक राम मंदिर के ईद-गिर्द घूम रही है । 22 जनवरी का दिन स्वर्ण अक्षरों के साथ इतिहासके पन्नों पर दर्ज किया जा चुका है।दशकों के इंतज़ार के बाद इसी दिन रामलला मंदिर की गर्भगृह में विराजे

इस ऐतिहासिक पल की साक्षी पूरी दुनिया बनी, जिन्हें इस मौक़े पर मंदिर के प्रांगण से रामलला के दर्शन करने का मौक़ा मिला, वो आज भी ख़ुद को खुशनसीब मानते हैं। लेकिन जिन्होंने इस मौक़े को जानबूझकर गँवाया या फिर यूँ कहे कि जिन्होंने राम के काज को ठोकर मारी।आज उन्हीं को देश की जनता ठोकर मारने के मूड में दिख रही है।तभी तो देश की 138 साल पुरानी कांग्रेस अपने सबसे बुरे दौर से गुजर रही हैं।

एक -एक नेता और कार्यकर्ता पार्टी को छोड़कर जा रहे हैं। इस चुनावी मौसम में दर्जनभर नेताओं ने कांग्रेस को टाटा-बाय-बाय बोल दिया है। इस बीच 79 दिन बाद कांग्रेस के सबसे करीबी और गांधी परिवार के दामाद रॉबर्ट वाड्रा ने अपनी चुप्पी तोड़ी है। पहली दफ़ा वाड्रा ने राम मंदिर को लेकर जो बयान दिया है, उसमें कांग्रेस की फ्यूचर पिक्चर क्या कहती है। देखिये धर्म ज्ञान की इस ख़ास रिपोर्ट में ।

इन दिनों कांग्रेस में भगदड़ मची हुई है, जिसे देखे वो भगवा ओढ़ने में लगा हुआ है।जिस कांग्रेस की सत्ता में राम जन्मभूमि परिसर के ताले खुलवाये गये।जिस कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में राम मंदिर को सर्वोपरी बताया।जिस कांग्रेस ने सर्वोच्च अदालत के फ़ैसले को ऐतिहासिक बताया । जिस कांग्रेस ने भूमि पूजन को राष्ट्रीय एकता का कार्यक्रम करार दिया।उसी कांग्रेस ने ऐन मौक़े पर राम मंदिर उद्धाटन का न्यौता ठुकराकर अपने ही पैरों पर कुल्हाड़ी मार दी।मंदिर न्यौता का तिरस्कार करने वाली कांग्रेस आज खोखली होती जा रही है। 

क्या नेता और क्या कार्यकर्ता, जिसे देखो हर कोई पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम रहा है। बीते दिनों चौबिस घटों के अंदर बॉक्सर विजेंदर सिंह, पूर्व सांसद संजय निरूपम और प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने कांग्रेस से मुँह क्या मोड़ा। पार्टी का शीर्ष नेतृत्व टेंशन में आ गया।राजनीतिक पंडितों से लेकर सत्ताधारी भाजपा।.हर किसी को यही लगता है कि  न्यौता ठुकराने वाली कांग्रेस आज राम भरोसे है।लेकिन गांधी परिवार के दामाद ..और कांग्रेस के चहेते ..राबर्ट वाड्रा को ऐसा बिलकुल नहीं लगता है।. चुनाव से ठीक पहले रॉबर्ट वाड्र ने कांग्रेस के प्राण प्रतिष्ठा में ना जाने की वजह बताई है।.एक न्यूज चैनल को दिये इंटरव्यू में वाड्रा ने क्या कुछ कहा।आईये आपको बताते हैं।.

कांग्रेस का रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में ना जाने के पीछे की वजह बताते हुए वाड्रा कहते हैं: "कांग्रेस एक सेक्युलर पार्टी है और हर मजहब का सम्मान करती है।मुझे यही लगता है कि कांग्रेस धर्म की राजनीति से दूर रहती है. ऐसे में कांग्रेस के नेता नहीं चाहते हैं कि देश टूटे।जब लोग मुश्किल में होते हैं तो वो भगवान के पास जाते हैं. अगर उनको बांटा जाएगा कि आपको मंदिर आना है या मस्जिद आना है या गुरुद्वारे आना है तो ये गलत होगा।"

वाड्रा कहते हैं कि कांग्रेस धर्म की राजनीति नहीं करती...लेकिन एक सच ये भी है कि अपने वोट बैंक के चलते कांग्रेस ने रामलला के दूरी बनाई.. राहुल जब इफ़्तार पार्टी में शामिल हो सकते हैं, तो फिर रामलला की प्राण प्रतिष्ठा में शरीक क्या नहीं हुए।

जिस रफ़्तार से नेताओं और कार्यकर्ताओं का कांग्रेस से मोहभंग हो रहा है, उस पर सफ़ाई देते हुए रॉबर्ट वाड्रा का कहना है।
जो भी नेता छोड़कर जा रहे हैं या तो उनमें मेहनत करने की क्षमता नहीं है या कोई लालच देकर उनको खींचा जा रहा है या जो मंत्री पद उनको मिलता है, वो अगर मंत्री नहीं है तो उससे उनको परेशानी है। ऐसे नेताओं को बस टिकट चाहिए या पद चाहिए तभी उस पार्टी में रहेंगे।।. 

देखा जाए, तो अब तक कांग्रेस के कई विकेट गिर चुके हैं।राम मंदिर कार्यक्रम का बहिष्कार करना, क्या कांग्रेस की अब तक की सबसे बड़ी गलती है।कांग्रेस में जो नेता अब तक है, उन्हें राहुल गांधी में देश का भविष्य नज़र आता है।.फिर चाहे इस लिस्ट में रॉबर्ट वाड्रा टॉप पर क्यों ना हो।क्योंकि वो ख़ुद ये मानते हैं कि राहुल में बहुत समझदारी है, लेकिन क्या देश की जनता भी यहीं सोचती है ? कमेंट करके ज़रूर बताइयेगा।
Advertisement

Related articles

Advertisement