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क्या Rahul Gandhi भी दोहराएंगे 1980 वाला इतिहास, Raebareli को छोड़ देंगे 'अनाथ'?

Raebareli लोकसभा सीट से तीन बार इंदिरा गांधी। तो वहीं पांच बार सोनिया गांधी जीत कर संसद पहुंचीं। लेकिन इस बार सोनिया गांधी राज्यसभा चली गई हैं। और अब रायबरेली सीट से उनके बेटे राहुल गांधी चुनाव लड़ रहे हैं। जिससे एक बार फिर सवाल खड़ा हो गया है कि जिस तरह से कभी इंदिरा गांधी ने रायबरेली को धोखा दिया था। क्या उसी तरह से इस बार राहुल गांधी भी रायबरेली को धोखा दे सकते हैं..!
क्या Rahul Gandhi भी दोहराएंगे 1980 वाला इतिहास, Raebareli को छोड़ देंगे 'अनाथ'?
उत्तर प्रदेश की रायबरेली लोकसभा सीट गांधी परिवार का गढ़ मानी जाती रही है।  जहां से गांधी-नेहरू परिवार का कोई ना कोई सदस्य जीत कर संसद पहुंचता रहा है।  इस सीट से दो बार फिरोज गांधी।  तीन बार इंदिरा गांधी।  तो वहीं पांच बार सोनिया गांधी जीत कर संसद पहुंचीं।  लेकिन इस बार सोनिया गांधी राज्यसभा चली गई हैं।  और अब रायबरेली सीट से उनके बेटे राहुल गांधी चुनाव लड़ रहे हैं।  जिससे एक बार फिर सवाल खड़ा हो गया है कि जिस तरह से कभी इंदिरा गांधी ने रायबरेली को धोखा दिया था।  क्या उसी तरह से इस बार राहुल गांधी भी रायबरेली को धोखा दे सकते हैं। 

आजादी के बाद रायबरेली सीट पर बीस बार चुनाव हो चुके हैं।  जिनमें सिर्फ तीन बार कोई दूसरी पार्टी यहां से जीत हासिल कर सकी है।  17 बार कांग्रेस ने जीत का परचम लहराया है।  इसी बात से समझ सकते हैं कि रायबरेली सीट पर कांग्रेस कितनी मजबूत है।  यही वजह है कि राहुल गांधी को कांग्रेस ने अमेठी भेजने की बजाए सबसे सुरक्षित सीट रायबरेली भेज दिया।  जिससे वो आसानी से अपनी मां की सीट से जीत हासिल कर सकें।  लेकिन सबसे बड़ा सवाल ये है कि रायबरेली की जनता राहुल गांधी को अगर जिता भी देती है तो इसकी क्या गारंटी है कि वो अपनी दादी इंदिरा गांधी की तरह रायबरेली वालों को धोखा नहीं देंगे।  

दरअसल रायबरेली लोकसभा सीट इंदिरा गांधी 1967 और 1971 में लगातार दो बार लोकसभा चुनाव जीत चुकी थीं।  लेकिन 1971 में रायबरेली से चुनाव लड़ने वाले संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार राजनारायण इंदिरा पर धांधली का आरोप लगा कर हाईकोर्ट चले गये।  जिसने 1975 में इंदिरा का चुनाव निरस्त करने के साथ ही उन पर 6 साल तक चुनाव लड़ने पर बैन भी लगा दिया।  इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस फैसले से बुरी तरह बौखलाईं इंदिरा गांधी ने 1975 में देश पर आपातकाल थोप दिया।  करीब दो साल बाद 1977 में जब आपातकाल खत्म हुआ।  और एक बार फिर देश में चुनाव हुआ तो इस बार देश की जनता ने कांग्रेस को जहां सत्ता से उखाड़ फेंका तो वहीं इंदिरा गांधी को भी रायबरेली की जनता ने बुरी तरह हरा कर वापस दिल्ली भेज दिया।  इस सीट से राजनारायण ने जीत हासिल कर इतिहास रच दिया।  1977 में मिली इसी हार के बाद शायद इंदिरा गांधी को अहसास हो गया था कि 1980 के लोकसभा चुनाव में भी रायबरेली की जनता उन्हें हरा देगी।  इसीलिये इस बार इंदिरा गांधी दो सीटों से चुनाव लड़ीं। 

उत्तर प्रदेश की पारंपरिक सीट रायबरेली और तेलंगाना की मेडक सीट से।  और जब नतीजे आए तो इंदिरा गांधी दोनों ही सीटों से चुनाव जीत गईं।  ऐसे में नियम के मुताबिक उन्हें एक सीट से सांसदी छोड़नी थी।  क्योंकि कोई भी नेता दो सीटों से सांसद नहीं रह सकता।  इसलिये इंदिरा गांधी ने भी एक सीट से सांसदी छोड़ने का फैसला किया।  और वो सीट थी रायबरेली।  जी हां।  जिस रायबरेली की जनता ने उन्हें 1977 में चुनाव हराया था।  1980 के चुनाव में उसी जनता ने इंदिरा जिता भी दिया।  लेकिन इसके बावजूद उन्होंने रायबरेली की जनता को छोड़ दिया।  और तेलंगाना की मेडक सीट अपने पास रख ली। 

ऐसा लग रहा था जैसे उन्होंने 1977 में मिली हार का बदला लेने के लिए जीत के बावजूद 1980 में रायबरेली वालों को 'अनाथ' छोड़ दिया।  और आज करीब 44 साल बाद ऐसा लगता है इतिहास फिर से खुद को दोहराने जा रहा है।  क्योंकि इस बार के लोकसभा चुनाव में रायबरेली से मैदान में उतरे कांग्रेस नेता राहुल गांधी भी दो सीटों से चुनाव लड़ रहे हैं।  केरल की वायनाड सीट के साथ साथ राहुल गांधी अपनी दादी इंदिरा और मां सोनिया की सीट रायबरेली से भी चुनाव लड़ रहे हैं।  और अगर वायनाड के साथ साथ रायबरेली की जनता भी उन्हें चुनाव जिता देती है तो राहुल गांधी को एक सीट छोड़नी पड़ेगी। 

ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि वो कौन सी सीट छोड़ेंगे।  अपनी मां की सीट रायबरेली या फिर जिस वायनाड के लोगों को राहुल गांधी अपना परिवार बताते हैं।  उस वायनाड को छोड़ देंगे।  राहुल गांधी को दोनों में से किसी एक सीट का चुनाव करना इतना आसान नहीं होगा।  यही वजह है कि इस बात की जोरों से चर्चा हो रही है कि रायबरेली की जनता अगर राहुल गांधी को जिता भी देती है तो। 

कहीं ऐसा ना हो कि राहुल गांधी भी अपनी दादी इंदिरा की तरह रायबरेली वालों को छोड़ कर वायनाड चले जाएंगे।  वैसे आपको क्या लगता है।  राहुल गांधी अगर रायबरेली और वायनाड दोनों सीटों से जीत हासिल करते हैं तो कौन सी सीट छोड़ेंगे।  अपनी राय हमें कमेंट कर जरूर बताएं।  साथ ही पीएम मोदी ने राहुल गांधी के रायबरेली से चुनाव लड़ने पर क्या कुछ कहा।  आइये आपको सुनाते हैं। 
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