73 साल की उम्र में तबला सम्राट ज़ाकिर हुसैन का हुआ निधन
मशहूर तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन का 73 साल की उम्र में अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में निधन हो गया। संगीत जगत के इस अनमोल रत्न ने तबले को विश्व मंच पर नई पहचान दिलाई। बचपन से ही संगीत में रुचि रखने वाले जाकिर ने अपनी प्रतिभा और रचनात्मकता से देश-विदेश में करोड़ों लोगों का दिल जीता।
संगीत की दुनिया में जब भी तबले का जिक्र होता है, उस्ताद जाकिर हुसैन का नाम अदब और इज्जत के साथ लिया जाता है। लेकिन अब यह महान आवाज़ हमेशा के लिए खामोश हो गई। 73 साल की उम्र में, इस जादुई तबला वादक ने अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को में अपनी आखिरी सांस ली। उनका निधन न केवल संगीत जगत बल्कि पूरे विश्व के लिए एक अपूरणीय क्षति है।
ज़ाकिर हुसैन का जन्म एक संगीत परिवार में हुआ। उनके पिता, अल्ला रखा खां, खुद एक विश्व प्रसिद्ध तबला वादक थे। ज़ाकिर ने महज 7 साल की उम्र में तबला बजाना शुरू कर दिया था। उनका बचपन इस वाद्य यंत्र की धुनों और लय-ताल के साथ बीता। 12 साल की उम्र तक उन्होंने देशभर में अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन शुरू कर दिया था। उनकी संगीत साधना ने न केवल भारत बल्कि विदेशों में भी उनका डंका बजवाया। लगभग चार दशक पहले, ज़ाकिर हुसैन ने अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को को अपना घर बना लिया, लेकिन उनकी जड़ें हमेशा भारतीय संस्कृति और संगीत में ही रहीं।
ज़ाकिर हुसैन का जीवन उपलब्धियों से भरा रहा। उन्हें 1988 में पद्मश्री, 2002 में पद्मभूषण, और 2023 में पद्मविभूषण जैसे भारत के सर्वोच्च नागरिक सम्मान दिए गए। संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार और 4 बार का ग्रैमी अवॉर्ड उनके संगीत के वैश्विक प्रभाव का प्रमाण हैं। उनकी धुनें 'ग्लोबल ड्रम प्रोजेक्ट' जैसे एलबम्स के जरिए दुनिया भर के संगीत प्रेमियों के दिलों में जगह बना चुकी हैं।
दिल की बीमारी से संघर्ष
पिछले कुछ वर्षों से ज़ाकिर हुसैन दिल की गंभीर बीमारी से जूझ रहे थे। करीब दो साल पहले उन्हें हार्ट ब्लॉकेज के कारण स्टेंट लगाया गया था। हालांकि, उनका हौसला कभी कम नहीं हुआ। वे संगीत के प्रति अपने समर्पण और प्यार के कारण हर चुनौती का सामना करते रहे। उनके निधन की खबर से संगीत जगत और उनके चाहने वालों में गहरा शोक फैल गया है। सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने उनके योगदान को याद करते हुए कहा, "दुनिया ने एक सच्चे संगीतज्ञ को खो दिया है।" फिल्म निर्माता हंसल मेहता और राजनेताओं जैसे राहुल गांधी और योगी आदित्यनाथ ने सोशल मीडिया के जरिए अपने शोक संदेश व्यक्त किए।
ज़ाकिर हुसैन का संगीत उनकी पहचान था। उन्होंने तबले को केवल वाद्य यंत्र नहीं, बल्कि एक जीते-जागते कलाकार की तरह दुनिया के सामने प्रस्तुत किया। उनकी हर थाप, हर धुन, और हर रचना में एक कहानी थी। उनके जाने के बाद भी, उनका संगीत और उनकी धुनें हमें याद दिलाती रहेंगी कि ज़ाकिर हुसैन जैसे कलाकार कभी मरते नहीं। वे अपनी कला में हमेशा जीवित रहते हैं।