इस फ़िल्म को देखने बुर्के में जाती थी महिलाएं और खूब रोया करती थी !
ये लाइनें हैं 1958 में आई फ़िल्म साधना के एक गाने की।गाने की इन लाइनों से पता चल रहा है की ये फ़िल्म वेश्यावृति पर बेस्ड थी।आख़िर क्यों इस फ़िल्म को देखने के लिए महिलाएँ बुर्क़ा पहनकर जाती थी और खूब रोया करती थी। इसी से जुड़ा एक क़िस्सा आज हम आपको बताने जा रहे हैं,जिसके बारे शायद ही जानते होंगे। बात 1957 के टाइम की है ।जब बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर और प्रोड्यूसर B.R Chopra पर वेश्यावृति पर फ़िल्म बना रहे थे।

औरत ने जन्म दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया
जब जी चाहा मसला कुचला जब जी चाहा धुत्कार दिया
तुलती है कहीं दीनारों में बिकती है कहीं बाज़ारों में
नंगी नचवाई जाती है अय्याशों के दरबारों में
ये वो बे-इज़्ज़त चीज़ है जो बट जाती है इज़्ज़त-दारों में
औरत ने जन्म दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया
फिल्म साधना से जुड़ा दिलचस्प किस्सा !
ये लाइनें हैं 1958 में आई फ़िल्म साधना के एक गाने की।गाने की इन लाइनों से पता चल रहा है की ये फ़िल्म वेश्यावृति पर बेस्ड थी।आख़िर क्यों इस फ़िल्म को देखने के लिए महिलाएँ बुर्क़ा पहनकर जाती थी और खूब रोया करती थी। इसी से जुड़ा एक क़िस्सा आज हम आपको बताने जा रहे हैं,जिसके बारे शायद ही जानते होंगे। बात 1957 के टाइम की है ।जब बॉलीवुड के मशहूर डायरेक्टर और प्रोड्यूसर B.R Chopra पर वेश्यावृति पर फ़िल्म बना रहे थे।
जैसे ही B. R Chopra ने अपनी इस फ़िल्म की एनाउंसमेंट की बॉलीवुड के बड़े बड़े डिस्ट्रीब्यूटर्स भड़क गए थे।सभी ने B.R Chopra को ये फ़िल्म ना बनने की हिदायत दी थी। डिस्ट्रीब्यूटर्स ने B.R Chopra से कहा था की ऐसी फ़िल्म बनाओगे तो तुम तो बर्बाद होगे ही, हम भी बर्बाद हो जाएंगे ये फ़िल्म मत बनाना बहुत बड़ी सुपर फ्लॉफ साबित होगी।
बाद में एक डिस्ट्रीब्यूटर B.R Chopra के पास आया था और उन्होंने डायरेक्टर कहा था की तुम्हें याद है सालो पहले एक फ़िल्म बनी थी Nartaki जो की फ्लॉफ हो गई थी।जिसके वाडिया नाम के एक डायरेक्टर ने फ़िल्म बनाई थी Raj Nartaki ये फ़िल्म फ्लॉफ साबित हुई थी।वहीं Purnima नाम की भी एक फ़िल्म बनी थी,ये भी फ्लॉफ ही साबित हुई।वहीं उन दिनों अपने टाइम की मशहूर एक्ट्रेस ज़ुबैदा को लेकर भी वेश्यावृति पर बेस्ड एक फ़िल्म बनाई गई थी,लेकिन ये फ़िल्म भी नहीं चल पाई थी। डिस्ट्रीब्यूटर ने कहा चार चार फ़िल्मों के फ्लॉफ हो जाने के बाद भी तुम वेश्यावृति पर फ़िल्म बना रहे हो।तब इस डिस्ट्रीब्यूटर का जवाब देते हुए B.R Chopra ने कहा था की जब पहली फ़िल्म बनाई थी तब ये नहीं सोचा था की हिट होगी या फ्लॉफ। मेरा मन है की मैं ये फ़िल्म साधना बनाऊँ|
फिल्म साधना देख क्यों रोया करती थी महिलाएं !
वो कहते हैं ना अगर किसी चीज को शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात तुम्हें उससे मिलाने में लग जाती है।ऐसा ही कुछ B.R Chopra के साथ भी हुआ।उन्होंने ये फ़िल्म बनाई और ये 1958 में रिलीज़ हुई।फ़िल्म में सुनील दत्त और वजंयतीमाला लीड रोल में नज़र आए थे।ये फ़िल्म लोगों को काफ़ी पसंद आ रही थी, एक दिन मंदिर माराठा में इस फ़िल्म को देखने ख़ुद B.R Chopra पहुंच गए।इंटरवल के बाद उन्होंने देखा की कई महिलाएँ फ़िल्म देखकर फूट-फूट को रही थी।बाद में B.R Chopra एक बार फिर से इस फ़िल्म को देखने मंदिर माराठा पहुँचे।इस दौरान उन्होंने देखा की बुर्के में कई महीलाएं इस फ़िल्म को देखने पहुंची रही थी।बुर्के में आई कई महीलाएं इस फ़िल्म को देखने के बाद खूब रो रही थी । फ़िल्म के साथ साथ इसका एक गाना भी था। जिसे सुनकर भी महीलाए खूब रोया करती थी।
थियेटर में 25 हफ्तों तक लगी रही थी ये फिल्म !
B.R Chopra की इस फ़िल्म का म्यूज़िक Datta Naik ने दिया था और इस फ़िल्म के गाने मशहूर लीरिक्स राइटर साहिर लुधियानवी ने लिखे थे । जब B.R Chopra ये फ़िल्म बना रहे थे तब उन्होंने इसके बारे में साहिर लुधियानवी को बताया था।फ़िल्म की कहानी सुनने के बाद साहिर लुधियानवी ने उनसे कहा था की मेरे पास एक गाना लिखा है तुम इसे अपनी फ़िल्म में इस्तेमाल कर लो। साहिर की इस बात को मानते हुए B.R Chopra ने फ़िल्म ये गाना डाला दिया। इस गाने के बोल थे औरत ने जन्म दिया मर्दों को मर्दों ने उसे बाज़ार दिया ,जब जी चाहा मसला कुचला जब जी चाहा धुत्कार दिया। फ़िल्म में ये गाना लाता मंगेशकर ने गाया। इस फ़िल्म के साथ साथ इसके गानों को सुनकर भी महिलाएं खूब रोया करती थी । B.R Chopra की ये फ़िल्म सुपरहिट साबित हुई थी, और मंदिर माराठा में ये 25 हफ़्तों लगी रही थी । तो ये था B.R Chopra की फ़िल्म साधना से जुड़ा वो क़िस्सा जो आज भी काफ़ी सुर्खियों में हैं ।