क्या है हिंदुओं के नरसंहार की वो कहानी जिससे जुड़ा है Bangladesh के जनक Sheikh Mujibur Rahman का नाम ?
बांग्लादेश में जिस मुजीब-उर-रहमान की मूर्ति तोड़ी गई, क्या आपको पता है उन पर डायरेक्ट एक्शन डे के नाम पर हिंदुओं पर हिंसा के आरोप भी लग चुके हैं, क्या है पूरी कहानी इस रिपोर्ट में देखिये !
आपमें से बहुत सारे लोग शेख मुजीबुर्रहमान (Sheikh Mujibur Rahman) को 1970 या उसके बाद से जानते होंगे, जब 1967 में चुनाव हुए तो शेख मुजीबुर्रहमान ईस्ट पाकिस्तान में जीत गये, पूरे पाकिस्तान को मिलाकर इनकी पार्टी को बहुमत मिली लेकिन बेनजीर भुट्टो के पिता जुल्फिकार अली भुट्टो ने मुजीबुर्रहमान को मानने से इंकार कर दिया। एक बंगाली, पंजाबी और पश्तूनों पर राज करेगा? ये एक superior race कैसे बर्दाश्त कर सकती थी? इसके बाद की कहानी आप जानते हैं ?
लेकिन शेख मुजीबुर्रहमान का एक और चेहरा है। 16 अगस्त 1946 को कलकत्ता में हुए "डायरेक्ट एक्शन डे" नाम से जो नरसंहार हुआ था। उसके मास्टरमाइंड दो नरपिशाचों में एक का नाम हसन शहीद सुहरावर्दी था, और दूसरे का नाम शेख मुजीबुर्रहमान था।
दूसरे नरपिशाच (शेख मुजीबुर्रहमान) को नियति ने दंड दिया था। जिन मज़हबी लफंगों को नया देश पाकिस्तान देने के उन्माद में मुजीबुर्रहमान ने अपने दंगाई साथियों के साथ मिलकर 10 हजार हिन्दुओं की बर्बर हत्या की थी, उसी मुजीबुर्रहमान को उसके पूरे खानदान सहित मौत के घाट उतार दिया था। बेटी शेख हसीना बच गई क्योंकि वो उस वक्त लंदन में थी।
आज उसी बांग्लादेश में मज़हबी दंगाई/लफंगों द्वारा शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति की खोपड़ी पर बरसाया जा रहा हथौड़ा देख कर मुझे कोई कष्ट या दुःख की अनुभूति नहीं हुई
शेख मुजीबुर्रहमान चाहे कैसा भी हो, लेकिन जीवन के अंतिम समय में वो भारत और हिंदुओं के साथ किए अपने व्यवहार के लिए शर्मिंदा था। उसकी बेटी शेख हसीना भारत की दोस्त थी। शेख हसीना के शासन में बांग्लादेश में कट्टरपंथी दुबके पड़े थे, वहां की GDP लगातार बढ़ रही थी। आम बांग्लादेशी खुशहाल हो रहे थे।
मेरे लिए चिंता का विषय केवल यह है कि शेख हसीना के हटने के बाद अब बांग्लादेश में अमरीका, चीन और पाकिस्तान की कोई कठपुतली ही सत्ता संभालेगी। इस खुशी में भारत में नाच रहे देश की आस्तीन के सांपों, चीन/पाकिस्तान के दलालों/गद्दारों की यह खुशी चीख चीखकर संदेश दे रही है कि भारत की सीमाओं पर खतरा कितना बढ़ गया है।