दुनिया में घटती आबादी के लिए Elon Musk चिंतित, नक़्शे से ख़त्म होंगे कई देश ?
इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ रोबोटिक्स के मुताबिक़, सिंगापुर में हर 10,000 कर्मचारियों पर 770 रोबोट हैं। इस वजह से सिंगापुर में हर जगह रोबोकॉप, रोबो-क्लीनर, रोबो-वेटर और रोबो-डॉग की भरमार हो गई है। हर तरफ़ सिर्फ़ मशीनों से काम चलाया जा रहा है। कई देशों में तो आबादी बढ़ाने के लिए अलग-अलग स्कीमें लोगों के लिए निकाली जा रही हैं, जिनमें साउथ कोरिया और रूस भी शामिल हैं। साउथ कोरिया ने महिलाओं को अधिक बच्चों को जन्म देने के लिए कैश इनाम की स्कीम की शुरुआत की है। वहीं पुतिन भी रूस में घटती आबादी से बेहद परेशान हैं। रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के एक मंत्री ने नागरिकों से ऑफिस में काम के बीच शारीरिक संबंध बनाने की अपील तक कर दी थी। रूस में लोकल कॉलेज और यूनिवर्सिटी में 25 साल से कम उम्र की मां बनने वाली छात्राओं को करीब 92 हजार रुपए दिए जाने का ऐलान किया गया है।
वहीं जापान पहले ही दुनिया का सबसे तेजी से बूढ़ा होने वाला देश बन चुका है, और बाकी देश भी इसी राह पर हैं। भारत के लिए भी चिंता जताई जाने लगी है। भारत में आख़िरी बार जनगणना 2011 में हुई थी, जिसके बाद यह 2021 में होनी थी, लेकिन कोरोना की वजह से यह टाल दी गई, जो अब तक नहीं हो पाई है। 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक़ भारत की जन्म दर 2.18 फीसदी रही थी, जबकि वर्ल्ड बैंक के मुताबिक़, साल 2022 में यह दर करीब 1.63 हो गई थी। यह पिछले सालों से गिरती जा रही है। इसे लेकर RSS प्रमुख मोहन भागवत ने ऐसा बयान दिया, जिस पर खलबली मच गई। भागवत ने कहा:
"देश को आज के हिसाब से जनसंख्या नीति की जरूरत है। उन्होंने कहा कि जनसंख्या विज्ञान कहता है कि जब किसी समाज की जन्म दर 2.1 से नीचे चली जाती है, तो वह समाज खत्म हो जाता है। वह समाज तब भी खत्म हो जाता है जब कोई संकट नहीं होता। इस तरह से कई समाज और भाषाएँ खत्म हो गई हैं। भागवत ने कहा कि जनसंख्या जन्म दर 2.1 से नीचे नहीं जानी चाहिए। यदि हम इससे अधिक दर चाहते हैं, तो हमें हर परिवार में दो से अधिक बच्चों की जरूरत है। ऐसे में हर परिवार में तीन बच्चों पर जोर देना चाहिए।"
अब इसमें दो राय नहीं है कि मोहन भागवत की इस चिंता के पीछे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को हिंदुओं की घटती आबादी भी दिख रही होगी। मोहन भागवत के इस बयान से विपक्ष से भी कई सुर सुनाई दिए, लेकिन सिंगापुर और बाकी कुछ देशों में जो आबादी घट रही है, वह एक अलग चिंता का विषय है।