अमेरिकी में अब हिन्दू महिला का जलवा, ट्रंप को ‘तुलसी’ पर पूरा भरोसा
तुलसी गबार्ड को ट्रंप ने नेशनल इंटेलिजेंस का डायरेक्टर बनाया है। यानि राष्ट्रीय खुफिया विभाग का निदेशक नियुक्त किया है। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान तुलसी गबार्ड चर्चा में बनी हुई थीं। उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी को छोड़कर रिपब्लिकन पार्टी का हाथ थामा और राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप का साथ दिया।
अमेरिका में ट्रंप की जीत के बाद। गदगद हुए ट्रंप अब अपनी टीम बनाने में लगे हैं। अपनी टीम में वो एक से बढ़कर एक होनहार लोगों को जगह दे रहे हैं। बड़ी गंभीर सोच विचार कर वो अपने साथियों को चुन रहे हैं। लेकिन इस टीम में भी कई ज़बरदस्त लोगों का बोलबाला है। और अब अगर कहें कि हिन्दुओं का तो ज़्यादा सही होगा। क्योंकि अब ट्रंप की टीम में एक ऐसी महिला नेता को शामिल किया गया है जो हिन्दू हैं जो अपनी संस्कृति और धर्म को मानती है और जानती भी। जो हरे कृष्ण हरे राम का जाप करती हैं। माथे पर तिलक लगाती हैं। और गर्व से कहती हैं कि मैं हिन्दू हूँ। हम बात कर रहे हैं। ट्रंप की टीम में बेहद अहम पद पाने वाली तुलसी गबार्ड की। तुलसी गबार्ड को ट्रंप ने नेशनल इंटेलिजेंस का डायरेक्टर बनाया है। यानि राष्ट्रीय खुफिया विभाग का निदेशक नियुक्त किया है। राष्ट्रपति चुनाव के दौरान तुलसी गबार्ड चर्चा में बनी हुई थीं। उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी को छोड़कर रिपब्लिकन पार्टी का हाथ थामा और राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप का साथ दिया। सेना में तैनात रहीं तुलसी चुनाव तक आर्मी रिजर्व में लेफ्टिनेंट कर्नल के तौर पर सेवा दे रही थीं वो एक डेमोक्रेट के तौर पर 2020 के राष्ट्रपति चुनाव में भी उतरी थीं। हालांकि असफल रहीं। 2022 में उन्होंने डेमोक्रेटिक पार्टी छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने ट्रंप के लिए कैंपेनिंग की। वह सबके सामने हिंदू धर्म का पालन करती हैं और मंच से राम-राम भजन भी गाती हैं।
उनके नाम से यह कन्फ्यूजन जरूर हो जाता है। लोग उन्हें भारतीय मूल का समझ लेते हैं जबकि उनके नाम के पहले शब्द का ओरिजिन हिंदू है। गबार्ड का भारत से कोई कनेक्शन नहीं हैं। दरअसल, 1983 में जब गबार्ड दो साल की थीं तो उनका परिवार अमेरिका के हवाई राज्य में आकर बस गया था। हवाई में आने के बाद उनकी मां कैरल ने हिन्दू धर्म अपना लिया जबकि उनके पिता रोमन कैथोलिक ईसाई थे। हिन्दू धर्म के प्रभाव के कारण ही कैरल ने अपने बच्चों के हिन्दू नाम रखे। तुलसी गबार्ड ख़ुद को हिन्दू बताती हैं, लेकिन वो भारतीय मूल की नहीं हैं। माथे पर तिलक लगाती हैं और हाल में इस्कॉन मंदिर के कार्यक्रम में भी शामिल हुई थीं। उस समय उन्होंने हिंदी में जयकारा लगाया था। बाद में हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे। ट्रंप ने तुलसी के नाम की घोषणा करते हुए सोशल मीडिया प्लेटफ़ॉर्म एक्स पर लिखा। "मुझे यह बताते हुए ख़ुशी हो रही है कि पूर्व सांसद लेफ़्टिनेंट कर्नल तुलसी गबार्ड नेशनल इंटेलिजेंस के डायरेक्टर के रूप में काम करेंगी. डेमोक्रेट राष्ट्रपति नामांकन की पूर्व उम्मीदवार होने के नाते उन्हें दोनों पार्टियों (डेमोक्रेटिक और रिपब्लिकन) से व्यापक समर्थन हैं और अब वो एक प्राउड रिपब्लिकन हैं."
तुलसी ने डोनाल्ड ट्रंप का शुक्रिया अदा करते हुए अमेरिकी नागरिकों की अभिव्यक्ति की आज़ादी और सुरक्षा के लिए काम करने की बात कही है। सोशल मीडिया पर तुलसी की पीएम मोदी के साथ मुलाक़ात की तस्वीरें भी शेयर की जा रही है। वहीं आपको ये भी बता दें कि तुलसी को चीन का कट्टर विरोधी माना जाता है। शायद इसलिए ही ट्रंप ने अपनी टीम में उन्हें ये बड़ी और बेहद अहम ज़िम्मेदारी सौंपी है। हिन्दू पहचान को लेकर हमेशा मुखर रहीं तुलसी ने बांग्लादेश में हिन्दुओं को और मंदिरों को निशाने बनाने की आलोचना भी की थी। अब एक हिन्दू महिला का एस तरह अमेरिका में राष्ट्रपति की टीम में शामिल होना अपने आप में एक बड़ी बात मानी जा रही है।