मोदी ने मुस्लिम देश कुवैत में बजाया डंका, दुनिया हैरान !
43 साल बाद भारत के किसी प्रधानमंत्री को देखकर कुवैत में रहने वाले भारतीय खुद को रोक नहीं पाए, और हर तरफ़ मोदी- मोदी के नारे की गूंज थी। इस दौरान भारत के महत्वपूर्ण ग्रंथों रामायण और महाभारत का अरबी भाषा में अनुवाद और प्रकाशन करने वाले अब्दुल्ला अल-बैरन और अब्दुल लतीफ अल-नसेफ ने भी पीएम से मुलाकात की। मोदी ने दोनों ग्रंथों के अरबी संस्करणों की प्रतियों पर अपना ऑटोग्राफ भी दिया। इन दोनों शख्सों का जिक्र पीएम ने अक्टूबर में अपने लोकप्रिय रेडियो कार्यक्रम ‘मन की बात’ में किया था।
पीएम मोदी और कुवैत के शेख अमीर शेख मेशल अल-अहमद अल-जबर अल-सबाह के बीच मुलाकात के दौरान दोनों देशों के बीच व्यापार, निवेश, ऊर्जा, और रक्षा संबंधों पर बातचीत होने की उम्मीद है। पीएम ने यहां प्रवासी कामगारों के बीच पहुंचकर उनसे उनका हाल-चाल जानने की कोशिश की। सबसे खूबसूरत तस्वीरें पीएम की तब आईं, जब मोदी ने कामगारों को यह बताने के लिए कि वह भारत से दूर हैं, लेकिन भारत उनसे दूर नहीं है, उनके साथ खाना खाया। अपनापन जताते हुए उन्होंने उनके पास बैठकर कई बातें कीं। इसी साल जून में मज़दूरों के एक कैंप में आग लग गई थी, जिसमें 45 भारतीयों सहित 50 लोगों की जलकर मौत हो गई थी। इसके बाद कुवैत में पीएम ने हाला मोदी कार्यक्रम को संबोधित किया और कहा कि हिंदुस्तान से यहां आने में 4 घंटे लगते हैं, लेकिन प्रधानमंत्री को यहां आने में 4 दशक लग गए।
कुवैत भारत का मित्र देश रहा है। आपको यह जानकर हैरानी होगी कि दुनिया के सबसे अमीर देशों में से एक कुवैत में एक समय तक भारतीय रुपया चला करता था। 20वीं सदी के मध्य तक भारतीय रुपया का इस्तेमाल कुवैत, बहरीन, कतर और आसपास के कई देशों में होता था। कुवैत में भारतीयों की संख्या करीब 10 लाख है। कुवैत भारत का छठा सबसे बड़ा तेल सप्लायर है। कुवैत ने भारत में 84 हज़ार 952 करोड़ रुपये से ज्यादा निवेश किया है। मुस्लिम देश होने के बावजूद भी भारत के साथ कुवैत के संबंध हमेशा से अच्छे रहे हैं। और पीएम के साथ कुवैत के शेख़ की बैठक में लोकल करेंसी में व्यापार करने की चर्चा भी हो सकती है।