तालिबान के मंत्री को बम से उड़ाया, अमेरिका ने कर दिया खेल ?
अफ़ग़ानिस्तान में आने के बाद मान्यता के लिए भारत के साथ साथ दुनिया में भटक रहे तालिबान सरकार के मंत्री को एक हमले में मौत के घाट उतार दिया है…ये हमला मंत्रालय के अंदर हुआ जो तालिबान के लिए एक बड़ी चुनौती मानी जा रही है..तालिबान सरकार के प्रमुख चेहरों में से एक और हक्कानी नेटवर्क के डिप्टी चीफ खलील हक्कानी को काबुल में मार दिया गया..
2021 में अशरफ़ गनी की सरकार का तख्तापलट कर अफ़ग़ानिस्तान पर क़ाबिज़ होने वाली तालीबान सरकार को बड़ा और तगड़ा झटका लगा है। अफ़ग़ानिस्तान में आने के बाद मान्यता के लिए भारत के साथ साथ दुनिया में भटक रहे तालिबान सरकार के मंत्री को एक हमले में मौत के घाट उतार दिया है। ये हमला मंत्रालय के अंदर हुआ जो तालिबान के लिए एक बड़ी चुनौती मानी जा रही है। तालिबान सरकार के प्रमुख चेहरों में से एक और हक्कानी नेटवर्क के डिप्टी चीफ खलील हक्कानी को काबुल में मार दिया गया। खलील उर-रहमान हक्कानी तालिबान सरकार के रिफ्यूजी मिनिस्टर था। तीन साल पहले काबुल की सत्ता पर कब्जा करने वाले तालिबान के लिए के लिए यह गहरी चोट है। क्योंकि पहली बार सरकार के किसी बड़े नेता को निशाना बनाया गया है। सबसे खास बात ये कि खलील हक्कानी तालिबान सरकार के गृहमंत्री सिराजुद्दीन हक्कानी का चाचा था। हालंकि अभी तक किसी संगठन ने हमले की जिम्मेदारी नहीं ली है लेकिन इस हमले के बाद तालिबान सरकार में चल रही राजनीतिक उठापटक खुलकर सामने आ गई है। खलील हक्कानी को अमेरिका और संयुक्त राष्ट्र ने लंबे समय से एक खतरनाक आतंकी माना है। उस पर आतंक फैलाने और हक्कानी नेटवर्क को मजबूत करने का आरोप था।
तालिबान सरकार के प्रवक्ता जबीहुल्लाह मुजाहिद ने हक्कानी को एक योद्धा बताते हुए x पर पोस्ट करते हुए लिखा। हक्कानी की मौत बहुत बड़ी क्षति है। वे एक योद्धा थे, जिन्होंने अपना जीवन इस्लाम की रक्षा के लिए समर्पित कर दिया। हमले के बाद पाकिस्तान से भी इसपर प्रतिक्रिया सामने आई। हमले के बाद पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने इस घटना की कड़ी निंदा की और इसे आतंकवादी हमला करार दिया। डार ने कहा कि पाकिस्तान आतंकवाद के सभी रूपों का विरोध करता है और काबुल के साथ संपर्क में है। रिपोर्टर के मुताबिक़ ख़लील हक्कानी पाकिस्तान से नाराज़ था। और ये हमले की बड़ी वज़ह हो सकती है।
इस्लामिक स्टेट से जुड़ा एक आतंकी संगठन तालिबान को अपना दुश्मन मानता है। वो लगातार पूरे अफगानिस्तान में हमले कर रहा है। सितंबर की शुरुआत में उसके आत्मघाती हमलावर ने दक्षिण-पश्चिमी काबुल में छह लोगों को बम से उड़ा दिया था और 13 लोगों को घायल कर दिया था। हालंकि काबुल में आत्मघाती हमले पहले की तुलना में कम हुए हैं, लेकिन अब शिया मुस्लिम अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। अब इस हमले के पीछे क्या इस्लामिक स्टेट खुरासान प्रांत का हाथ है ये सत्ता का संघर्ष है ये अबतक साफ़ नहीं हो पाया है। लेकिन ख़लील हक्कानी की हत्या तालिबान के लिए किसी झटके से कम नहीं है। ये घटना ना सिर्फ़ अंदर की कलह को सामने लाती है बल्कि उसकी पकड़ कमजोर होने का संकेत भी है।