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ईरान के सामने कंगाल देश का हुआ बुरा हाल, अरबों डॉलर के मुकदमें से कैसे बचेगा पाकिस्तान ?

ईरान ने पाकिस्तान की सरकार से साफ कर दिया है कि उसे अब अपने हिस्से में गैस पाइपलाइन प्रोजेक्ट को पूरा करना होगा। ऐसा नहीं करने पर पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय मध्यस्थता अदालत का सामना करने और अरबों डॉलर का जुर्माना सहने के लिए तैयार रहना चाहिए। ईरान ने पाकिस्तान को इसके लिए 'फाइनल नोटिस' दे दिया है…पाकिस्तान इस पाइपलाइन को अमेरिकी प्रतिबंधों की वजह से नहीं बना पा रहा है। ऐसे में अब उसके सामने ईरान से और समय मांगने की गुजारिश और कम जुर्माने के लिए बातचीत का विकल्प ही दिख रहा है।
ईरान के सामने कंगाल देश का हुआ बुरा हाल, अरबों डॉलर के मुकदमें से कैसे बचेगा पाकिस्तान ?

पाकिस्तान, ये सुनकर आपके मन में अब सबसे पहले क्या आता है। यही कि एक ऐसा देश जो कंगाली से जूझ रहा है। पूरी तहर बर्बादी की राह पर है, जहां ना देश की आवाम के लिए भरपूर आटा है। ना बिजली खाने की चीजों के दाम आसमान छू रहे हैं हालात ये हैं कि आटे को बंदूकों के पहरे में रख जा रहा है। गैस इतनी महंगी है कि सिलेंडर में बिकने की बजाए पॉलिथीन में बिक रही है। पूरे देश की बिजली कब गुल हो जाए पता ही नहीं एक ऐसा देश जिसके हुकमरानों को देश की कोई चिंता नहीं जिसके हुकमरानों को विदेश में रहने वाले पाकिस्तानी चोर कहकर बुलाते हैं। 

एक ऐसा देश जो आतंक के लिए जाना जाता है,जहां आतंकी पलते हैं लेकिन अब ये देश और ज्यादा मुश्किलों में घिर चुका है। वजह है ईरान की फाइनल चेतावनी। दरअसल, ईरान और पाकिस्तान के बीच दशकों पहले प्रस्तावित गैस पाइपलाइन अभी भी अधर में लटका हुआ है.हाल ही में अमेरिका ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर ईरान के साथ कोई भी डील की जाती है तो उसे प्रतिबंधों का सामना करना पड़ सकता है। अमेरिका की इस धमकी के बाद अब ईरान का भी बयान सामने आया.जिसमें ईरान ने कहा कि पाकिस्तान और ईरान प्रोजेक्ट को पूरा करना चाहते हैं लेकिन अंतरराष्ट्रीय दबाव की वजह से देरी हो रही है. लेकिन अब कंगाली झेल रहे पाकिस्तान को ईरान ने अपना आखिरी नोटिस भेज दिया है। जिससे पाकिस्तान बौखलाया हुआ है। आर्थिक तंगहाली से परेशान पाकिस्तान अब अमेरिका के दबाव में ईरान के साथ गैस पाइप लाइन प्रोजेक्ट को छोड़ने वाला है। इस प्रोजेक्ट के तहत पाकिस्तान को सस्ते दाम पर बिजली हासिल होने वाली थी। पहले भारत भी ईरान और पाकिस्तान के साथ इस गैस पाइप लाइन प्रोजेक्ट का सदस्य था। जो पहले ही इससे बाहर हो चुका है। ईरान का दावा है कि वो अपने हिस्से की गैस पाइप लाइन का काम पहले ही पूरा कर चुका है। 


इसके लिए उसने 1,150 किलोमीटर पाइप लाइन बिछाई है। 2013 में ये काम पूरा होने की सेरेमनी ईरान ने पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी की मौजूदगी में सेलिब्रेट की थी। इसमें 62 हजार करोड़ रुपए खर्च हुए हैं।पाकिस्तान ने भी जनवरी 2015 तक अपने हिस्से का काम पूरा करने का वादा किया था। जो पूरा नहीं किया गया। 2014 में पाकिस्तान के तत्कालीन पेट्रोलियम मिनिस्टर शाहिद खाकान अब्बासी ने कहा था कि अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों के चलते इस प्रोजेक्ट में परेशानियां आ रही हैं । पाकिस्‍तान के गैस डील सस्‍पेंड करने से अब पाकिस्तान को 18 अरब डॉलर यानी 1 लाख 48 हजार करोड़ रुपए का भारी-भरकम जुर्माना देना पड़ सकता है।यानि एक और मुसीबत, बदहाली झेल रहे देश पाकिस्तान के हुकमरान मुस्लिम मुल्कों के सामने कटोरा लेकर पहुंचते हैं लेकिन अब अगर ये जुर्माना पाकिस्तान को देना पड़ा तो कहां से देगा, अर्थव्यवस्था विशेषज्ञ इकराम उल हक ने निक्केई एशिया से कहा है कि ईरान का मामला बिल्कुल सीधा है कि पाकिस्तान ने द्विपक्षीय समझौते की शर्तों का उल्लंघन किया है। इसके लिए उस पर मुकदमा चलाया जा सकता है। लिखित अनुबंध में स्पष्ट रूप से उसका उल्लेख है। अगर पाकिस्तान केस हारता है तो पेरिस स्थित अदालत उस पर 18 अरब डॉलर तक का जुर्माना लगा सकती है। ऐसे में इस्लामाबाद इसे गंभीरता से ले रहा है और इससे बचने के विकल्प तलाश रहा है। 


पाकिस्तान में दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी आबादी बसती है. कुल 23 करोड़ लोग वहां रहते हैं, जिन्हें भारी मात्रा में नैचुरल गैस की ज़रूरत पड़ती है, खाना बनाने से लेकर गीज़र में पानी गर्म करने और इंडस्ट्री तक में पाकिस्तान के बलूचिस्तान में गैस के भंडार हैं, लेकिन इतने नहीं, कि पाकिस्तान अपनी घरेलू ज़रूरत पूरी कर सके। फिर बलूचिस्तान इन दिनों उग्रवाद से ग्रस्त भी है. जानकार कहते हैं कि अगले एक दशक में पाकिस्तान के ज्ञात गैस भंडार लगभग खत्म हो जाएंगे।
2023 में पाकिस्तान ने रोज़ाना लगभग 3.8 बिलियन क्यूबिक फीट गैस का उत्पादन किया था। ब्लूमबर्ग की रिपोर्ट कहती है कि आने वाले पांच सालों में पाकिस्तान में इस गैस की खपत तीन गुनी हो जाएगी। तो पाकिस्तान के पास सिर्फ एक रास्ता बचता है - गैस इम्पोर्ट करना। अभी वो ईरान, इराक़, क़तर, नाइजीरिया, UAE, कुवैत, सऊदी अरब से ये गैस ख़रीदता है, ये लिस्ट वक्त के साथ घटती बढ़ती रहती है. जैसे 2023 में उसने रूस से भी गैस ख़रीदी थी। अब यहां एक समस्या है. गैस को जहाज़ पर लादकर लाना एक महंगा सौदा है। रूस, नाइजीरिया, यूएई, इराक वगैरह पाकिस्तान से इतने दूर हैं, कि वहां से पाकिस्तान तक जहाज़ तैराकर लाने में करोड़ों डॉलर खर्च हो जाते हैं. गैस का दाम तो अलग है। इस समस्या का समाधान यही है कि पाकिस्तान किसी गैस रिच मुल्क से अपने यहां तक एक पाइपलाइन बिछा ले। आप नक्शे पर गौर करेंगे तो पाकिस्तान के ठीक बगल में गैस का बड़ा सा भंडार है - ईरान के पास. लेकिन ईरान पर पश्चिमी देशों ने प्रतिबंध लगा रखे हैं। तो पाकिस्तान दिन के उजाले में ईरान से गैस नहीं खरीद सकता। तो पाकिस्तान चोरी छिपे ईरान से गैस लेता है. ईरान हर साल पाकिस्तान को अवैध रूप से लगभग 8 हज़ार करोड़ रुपए की गैस बेचता है।

फरवरी 1999 में भारत और ईरान के बीच भी इस प्रोजेक्ट को लेकर एक डील साइन हुई. फरवरी 2007 में बात यहां तक पहुंच गई कि ईरान से गैस किस दाम में ख़रीदी जाएगी. भारत और पाकिस्तान ने इसपर ईरान से बात की. अप्रैल 2008 में ईरान ने इस प्रोजेक्ट में चीन और बांग्लादेश को भी शामिल होने के लिए आमंत्रित किया लेकिन बात नहीं बनी. फिर आई 1 अक्टूबर 2008 की तारीख। इस रोज़ भारत और अमेरिका के बीच सिविलियन न्यूक्लियर डील साइन हुई। इस डील के तहत भारत ने अपने मिलिटरी और सिविलियन न्यूक्लियर प्रोग्राम को अलग किया. और साथ ही अपने सिविलियन न्यूक्लियर प्रोग्राम को इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) के तहत लाने की भी बात कही. बदले में अमेरिका ने भारत के न्यूक्लियर प्लांट के लिए ईंधन और उसे डेवलप करने के लिए नई तकनीक देने का वादा किया अमेरिका की तरफ से प्रतिबंध की बात कहकर भी नहीं बच पाएगा पाकिस्तान। 


खास बात ये है कि फ्रांसीसी मध्यस्थता न्यायालय अमेरिकी प्रतिबंधों को मान्यता नहीं देता है। जिसका मतलब है कि पाकिस्तान हर्जाने से बचने के लिए अमेरिकी प्रतिबंधों की आड़ नहीं ले सकता है। ईरान के लिए मुश्किल यह है उसने अपने हिस्से में पाइपलाइन का काम पूर कर लिया है, लेकिन पाकिस्तान पीछे हट रहा है, जिससे तेहरान को नुकसान हो रहा है। पाकिस्तान के इंटर-स्टेट गैस सिस्टम (ISGA) और नेशनल ईरानी गैस कंपनी (NIGC) ने सितम्बर 2019 में एक संशोधित अनुबंध पर हस्ताक्षर किए थे। इसके तहत यह तय था कि पाकिस्तान 2024 तक अपनी पाइपलाइन बिछाएगा। इस दौरान ईरान किसी अंतरराष्ट्रीय अदालत का दरवाजा नहीं खटखटाएगा लकिन अब ईरान ने आखिरी नोटिस पाकिस्तान को थमा दिया है..और अब पाकिस्तान के पास कोई भी रास्ता बचा नहीं है। ऐसे में पाकिस्तान के पास ईरान के आगे गिड़गिड़ाने के अलावा कोई रास्ता भी नहीं बचा है। 

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