मरीज को गलत ब्लड चढ़ाने पर शरीर कैसे प्रतिक्रिया करता है? जानिए
ब्लड ट्रांसफ्यूजन एक सामान्य प्रक्रिया है, लेकिन इसमें सावधानी न बरतने पर गलत ब्लड ग्रुप चढ़ाने जैसी गंभीर गलती हो सकती है। यह गलती मरीज की जान के लिए बेहद खतरनाक साबित हो सकती है, जिससे इम्यूनोलॉजिकल प्रतिक्रिया, अंग विफलता और यहां तक कि मौत का खतरा हो सकता है।
ब्लड ट्रांसफ्यूजन चिकित्सा जगत में एक आम प्रक्रिया है, लेकिन यह उतनी ही संवेदनशील भी है। अगर किसी मरीज को गलत ब्लड ग्रुप चढ़ा दिया जाए, तो इसके परिणाम जीवन के लिए खतरनाक हो सकते हैं। यह विषय सुनने में जितना डरावना लगता है, वास्तविकता में उससे कहीं ज्यादा गंभीर है। आज हम इस लेख में जानेंगे कि यदि किसी व्यक्ति को उसके ब्लड ग्रुप के विपरीत रक्त चढ़ा दिया जाए, तो उसके शरीर में क्या होता है, इसका कितना असर पड़ता है, और इस गलती से कैसे बचा जा सकता है।
हमारे खून में चार प्रमुख ब्लड ग्रुप होते हैं—A, B, AB, और O। ये ब्लड ग्रुप एंटीजन और एंटीबॉडी के आधार पर निर्धारित होते हैं। इसके अलावा, प्रत्येक ब्लड ग्रुप का RH फैक्टर (पॉजिटिव या नेगेटिव) होता है। ब्लड ट्रांसफ्यूजन के दौरान यह जरूरी है कि मरीज को उसके ब्लड ग्रुप के अनुरूप ही खून चढ़ाया जाए। यदि ब्लड ग्रुप का मिलान सही नहीं हुआ, तो शरीर इसे विदेशी पदार्थ मानकर प्रतिक्रिया करता है।
गलत ब्लड ग्रुप चढ़ाने के कारण क्या हो सकता है?
अगर किसी मरीज को गलत ब्लड ग्रुप चढ़ा दिया जाए, तो सबसे पहले उसके शरीर में एक इम्यूनोलॉजिकल प्रतिक्रिया शुरू हो जाती है। खून में मौजूद एंटीबॉडी नए खून के एंटीजन पर हमला करना शुरू कर देती हैं। इसे हेमोलाइटिक ट्रांसफ्यूजन रिएक्शन कहते हैं। इस प्रक्रिया में लाल रक्त कणिकाएं (RBCs) टूटने लगती हैं, जिससे शरीर में जहरीले पदार्थ (टॉक्सिन्स) फैलते हैं। यह प्रतिक्रिया इतनी तेज और खतरनाक हो सकती है कि मरीज को तुरंत इलाज न मिले, तो उसकी जान भी जा सकती है।
गलत ब्लड ग्रुप चढ़ाने के लक्षण
बुखार और ठंड लगना
ब्लड प्रेशर का अचानक गिरना
दिल की धड़कन तेज होना
पेट में तेज दर्द और उल्टी
पेशाब में कमी या खून आना
शरीर में सूजन और पीली त्वचा
यदि मरीज को इन लक्षणों की पहचान समय पर नहीं होती, तो यह स्थिति और गंभीर हो सकती है। ऐसे में सवाल यह उठता है कि ऐसे मामलों में मरीज की जान को कैसे बचाया जाए? गलत ब्लड ग्रुप ट्रांसफ्यूजन की स्थिति में मरीज को तुरंत इलाज की जरूरत होती है। डॉक्टर सबसे पहले ब्लड ट्रांसफ्यूजन को रोक देते हैं और मरीज को तरल पदार्थ (IV Fluids) देते हैं, जिससे जहरीले तत्व शरीर से बाहर निकल सकें। इसके अलावा, मरीज की किडनी को सपोर्ट देने के लिए डायलिसिस का सहारा लिया जा सकता है।
वैसे आपको बता दें कि साल 2018 में मुंबई के एक निजी अस्पताल में एक मरीज को गलत ब्लड ग्रुप चढ़ाने की घटना सामने आई थी। इस गलती के कारण मरीज को किडनी फेल्योर हो गया और उसकी जान बचाने के लिए महीनों तक इलाज करना पड़ा। इस घटना ने पूरे देश में ब्लड ट्रांसफ्यूजन प्रक्रियाओं की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर दिए। ब्लड ट्रांसफ्यूजन से पहले मरीज के ब्लड ग्रुप की जांच अनिवार्य है। डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ को ब्लड सैंपल लेने से लेकर ट्रांसफ्यूजन प्रक्रिया तक हर चरण में सतर्क रहना चाहिए। इसके अलावा, मरीज के परिवार को भी इस प्रक्रिया पर नजर रखनी चाहिए।
गलत ब्लड ग्रुप चढ़ाना न केवल एक गंभीर चिकित्सीय गलती है, बल्कि यह मरीज के जीवन के लिए भी खतरा बन सकता है। इसलिए, ब्लड ट्रांसफ्यूजन के दौरान सावधानी और सतर्कता बेहद जरूरी है। आधुनिक तकनीकों और प्रक्रियाओं की मदद से ऐसी घटनाओं को रोका जा सकता है। हमें यह समझना चाहिए कि हर मरीज की जान अनमोल है, और छोटी-सी लापरवाही भी बड़े नुकसान का कारण बन सकती है।