पेसमेकर कैसे कम करता है हार्ट अटैक का असर? जानें किन मरीजों के लिए है जरूरी?
पेसमेकर एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो हार्ट अटैक के जोखिम को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह उपकरण न केवल हार्ट के नियमित संचालन में सहायक होता है बल्कि कई बार मरीज की जान भी बचा सकता है। हालांकि, इसका उद्देश्य हार्ट अटैक का इलाज करना नहीं है, बल्कि हार्ट रेट की अनियमितता को ठीक करना है।
आज की व्यस्त और तनावपूर्ण जीवनशैली में हार्ट अटैक के मामलों में बढ़ोतरी हो रही है। हार्ट अटैक से बचाव के लिए कई तकनीकी उपाय अपनाए जाते हैं, जिसमें पेसमेकर एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। पेसमेकर हार्ट के सही तरीके से काम करने में मदद करता है, खासकर तब जब धड़कनें अनियमित हो जाती हैं या हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि पेसमेकर किस प्रकार हार्ट अटैक के प्रभाव को कम करता है और किसके लिए ये अत्यंत आवश्यक हो सकता है।
पेसमेकर क्या है और कैसे करता है काम?
पेसमेकर एक छोटा इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है जिसे हार्ट में इम्प्लांट किया जाता है। यह डिवाइस कमजोर हार्टबीट्स को नियंत्रित कर सकता है और हार्ट रेट को बनाए रखता है। इसके सेंसर्स हार्ट की धड़कनों को मॉनिटर करते हैं और जब भी दिल की धड़कन कमज़ोर होती है या रुक जाती है, पेसमेकर एक इलेक्ट्रिकल इम्पल्स भेजता है जिससे हार्टबीट को नॉर्मल बनाया जा सके।
पेसमेकर सीधे हार्ट अटैक को रोकता नहीं है, लेकिन इससे दिल की गति नियंत्रित रहती है जिससे हार्ट अटैक के असर को कम किया जा सकता है। हार्ट अटैक के बाद कई मरीजों को हार्टबीट की अनियमितता होती है, जिसे मेडिकल भाषा में अरेथमिया कहते हैं। इस स्थिति में पेसमेकर हार्ट को स्थिर करने का काम करता है, जिससे गंभीर अटैक या स्ट्रोक जैसी स्थितियों का खतरा कम होता है।
किन मरीजों के लिए जरूरी है पेसमेकर?
कुछ मरीजों का हार्ट रेट सामान्य से धीमा होता है, जिससे थकान, चक्कर और बेहोशी का खतरा होता है। पेसमेकर ऐसे मरीजों के हार्ट रेट को स्थिर रखने में मदद करता है।
अरेथमिया के दौरान हार्ट रेट कभी तेज हो जाता है तो कभी धीमा, जिससे हार्ट फेलियर का खतरा बढ़ता है। पेसमेकर इसे नियंत्रित करने में सहायक होता है।
जिन मरीजों को हार्ट फेलियर की समस्या है, उनके लिए पेसमेकर से दिल का संकुचन सुधरता है, जिससे हार्ट के फंक्शन को बेहतर किया जा सकता है।
यह स्थिति तब होती है जब हार्ट रेट बहुत कम हो जाती है। ऐसे में मरीज को पेसमेकर की आवश्यकता होती है।
पेसमेकर का इम्प्लांटेशन एक छोटा ऑपरेशन है जिसमें इसे चेस्ट की त्वचा के नीचे रखा जाता है और लीड्स को हार्ट के साथ जोड़ा जाता है। आमतौर पर यह प्रोसीजर लोकल एनेस्थेसिया में किया जाता है और इसमें अधिक समय नहीं लगता। हालांकि, पेसमेकर लगाने के बाद मरीज को सावधानी बरतनी चाहिए। इसके नियमित चेकअप और बैटरी की देखभाल आवश्यक होती है।
पेसमेकर से जुड़ी सावधानियां
बैटरी की जांच - पेसमेकर की बैटरी लगभग 5 से 15 साल तक चलती है। इसके बाद इसे बदलवाना आवश्यक होता है।
मैग्नेटिक फील्ड से दूरी - पेसमेकर के मरीजों को अधिकतर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और मैग्नेटिक फील्ड से दूर रहने की सलाह दी जाती है।
रेगुलर फॉलो-अप्स - पेसमेकर की कार्यक्षमता को सुनिश्चित करने के लिए डॉक्टर के नियमित चेकअप जरूरी हैं।
हाई-इंटेंसिटी एक्टिविटीज से दूरी - पेसमेकर इम्प्लांटेशन के बाद मरीजों को कुछ उच्च-स्तरीय शारीरिक गतिविधियों से दूर रहने की सलाह दी जाती है।
पेसमेकर एक महत्वपूर्ण उपकरण है जो हार्ट अटैक के जोखिम को नियंत्रित करने में मदद करता है। यह उपकरण न केवल हार्ट के नियमित संचालन में सहायक होता है बल्कि कई बार मरीज की जान भी बचा सकता है। हालांकि, इसका उद्देश्य हार्ट अटैक का इलाज करना नहीं है, बल्कि हार्ट रेट की अनियमितता को ठीक करना है। अगर आप या आपके परिवार में किसी को हार्ट की समस्या है, तो डॉक्टर से पेसमेकर के बारे में विस्तार से जानना और सही जानकारी प्राप्त करना बहुत जरूरी है।