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25 दिसंबर नहीं इस गांव में 18 फरवरी को मनाया जाता है क्रिसमस

कोलंबिया के दक्षिण-पश्चिम में स्थित एक छोटे से गांव क्वनामायो में क्रिसमस 25 दिसंबर की बजाय 18 फरवरी को मनाया जाता है। इस परंपरा की जड़ें उस समय से जुड़ी हैं जब अफ्रीकी मूल के लोग गुलामी के दौर से गुजर रहे थे।
25 दिसंबर नहीं इस गांव में 18 फरवरी को मनाया जाता है क्रिसमस
क्रिसमस का नाम सुनते ही मन में 25 दिसंबर की तारीख कौंध जाती है। यह वह दिन है जब पूरी दुनिया यीशु मसीह के जन्म का जश्न मनाती है। चर्च सजाए जाते हैं, क्रिसमस ट्री की चमक हर जगह दिखती है, और लोग आपस में खुशियां बांटते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत के एक गांव में क्रिसमस 25 दिसंबर को नहीं, बल्कि 18 फरवरी को मनाया जाता है? यह परंपरा न केवल अद्वितीय है, बल्कि इसके पीछे छुपी कहानी भी बेहद रोचक है।

जब पूरी दुनिया 25 दिसंबर को क्रिसमस का त्योहार मनाती है, कोलंबिया के क्वनामायो (Quinamayó) नामक गांव में यह त्योहार 18 फरवरी को मनाया जाता है। यह परंपरा अपनी अद्वितीयता के लिए प्रसिद्ध है और इसके पीछे की कहानी गहरी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक जड़ों से जुड़ी है।
क्वनामायो की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
क्वनामायो गांव कोलंबिया के दक्षिण-पश्चिम क्षेत्र में स्थित है, जो मुख्य रूप से अफ्रीकी मूल के समुदायों का घर है। यह क्षेत्र उन लोगों से भरा हुआ है जिनके पूर्वज गुलामी के युग में यहां लाए गए थे। क्रिसमस का यह अलग दिन उनकी सांस्कृतिक पहचान और उनकी ऐतिहासिक यात्रा का प्रतीक है।
क्यों 18 फरवरी को मनाया जाता है क्रिसमस?
इतिहास बताता है कि गुलामी के युग में, अफ्रीकी मूल के लोगों को धार्मिक स्वतंत्रता नहीं थी। उन्हें अपने मालिकों द्वारा तय की गई सीमाओं के भीतर रहकर काम करना पड़ता था। 25 दिसंबर का दिन उन मालिकों के लिए बड़ा उत्सव होता था, जिसमें दासों को शामिल होने का मौका नहीं दिया जाता था।

गुलामों को क्रिसमस का जश्न मनाने की अनुमति फरवरी के महीने में दी गई। इस वजह से, उन्होंने 18 फरवरी को क्रिसमस मनाने का फैसला किया, और यह दिन उनके लिए एक परंपरा में बदल गया। यह सिर्फ धार्मिक उत्सव नहीं, बल्कि उनकी आजादी और सामुदायिक एकता का प्रतीक भी है। क्वनामायो में 18 फरवरी का क्रिसमस एक सांस्कृतिक उत्सव के रूप में मनाया जाता है। यहां की परंपराएं अन्य स्थानों से काफी अलग हैं, जो इसे और भी खास बनाती हैं।

धार्मिक आस्था और परंपरा: इस दिन चर्च में विशेष प्रार्थना सभाएं होती हैं। लोग ईसा मसीह की शिक्षाओं का पाठ करते हैं और उनके जीवन से प्रेरणा लेते हैं।
सांस्कृतिक रंग: अफ्रीकी ड्रम की धुनों पर पारंपरिक नृत्य और गीत प्रस्तुत किए जाते हैं। ये नृत्य और संगीत उनके पूर्वजों की याद दिलाते हैं।
सामुदायिक भोज: गांव के सभी लोग मिलकर पारंपरिक व्यंजन बनाते हैं और साझा करते हैं। यह उनके सामुदायिक प्रेम और एकता का प्रतीक है।

क्वनामायो का यह त्योहार अब केवल गांव तक सीमित नहीं है। हर साल बड़ी संख्या में पर्यटक इस परंपरा को देखने और इसमें शामिल होने के लिए आते हैं। यह उनकी संस्कृति और इतिहास को वैश्विक मंच पर पहचान दिलाने का एक महत्वपूर्ण माध्यम बन चुका है।
यह परंपरा क्यों महत्वपूर्ण है?
क्वनामायो में 18 फरवरी को क्रिसमस मनाने की परंपरा हमें इतिहास के उन अनछुए पहलुओं की याद दिलाती है, जो गुलामी के कठिन समय से जुड़े हैं। यह उन लोगों की कहानी है जिन्होंने अपनी आस्था, संस्कृति और सामुदायिक एकता को हर हाल में बचाए रखा।

क्वनामायो गांव का 18 फरवरी को क्रिसमस मनाना केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि यह स्वतंत्रता, प्रेम और एकजुटता का प्रतीक है। यह कहानी हमें सिखाती है कि कैसे कठिन समय में भी लोग अपनी आस्था और संस्कृति को बनाए रख सकते हैं। तो, अगली बार जब आप क्रिसमस के बारे में सोचें, क्वनामायो गांव की इस प्रेरणादायक कहानी को जरूर याद करें।
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