क्या है मल्टीपल मायलोमा, जिससे जूझ रही थीं भारत की मशहूर लोकगायिका शारदा सिन्हा
भारत की प्रसिद्ध लोकगायिका शारदा सिन्हा जब से इस दुनिया को अलविदा कह गई हैं तब से हर कोई उन्हें और उनके लोकगीतों को याद कर भावुक हो रहा है। वो भारत की एक ऐसी लोकगायिका थी जो करोड़ों लोगों के दिलों में राज़ करती हैं और वो हमेशा अपने लोकगीतों के माध्यम से अमर रहेंगी। लेकिन इस बीच शारदा सिन्हा की बीमारी को लेकर भी खूब चर्चा की जा रही है। जिससे वो काफी लम्बे वक्त से जूझ रही थी।
भारत की जानी-मानी लोकगायिका शारदा सिन्हा, जिनके गीतों ने करोड़ों लोगों के दिलों में अपनी जगह बनाई, अब इस दुनिया में नहीं रहीं। उनके जाने के बाद से ही उनके जीवन और संघर्ष को लेकर चर्चाएँ हो रही हैं। खासकर उनकी बीमारी मल्टीपल मायलोमा, जो एक दुर्लभ और गंभीर प्रकार का कैंसर है। और इसे लेकर लोगों के बीच काफी चर्चा की जा रही है, साथ ही काफी जागरूकता बढ़ रही है।
आपको बता दें ख़बरों के मुताबिक लोकप्रिय लोक गायिका शारदा सिन्हा मल्टीपल मायलोमा नामक एक गंभीर बीमारी से जूझ रही थीं। इस खबर ने उनके प्रशंसकों और लोक संगीत प्रेमियों को चौंका दिया था। आपको बता दें मल्टीपल मायलोमा एक प्रकार का रक्त कैंसर है, जो बोन मैरो में पाए जाने वाले प्लाज्मा कोशिकाओं को प्रभावित करता है। यह बीमारी गंभीर होने के साथ ही दुर्लभ भी है और इसका उपचार काफी कठिन है। चलिए विस्तार से जानते हैं मल्टीपल मायलोमा के लक्षण, बचाव, और उपचार के बारे में।
क्या है मल्टीपल मायलोमा ?
मल्टीपल मायलोमा एक कैंसर है जो कि Bone Marrow में बनने वाली प्लाज्मा कोशिकाओं को प्रभावित करता है। प्लाज्मा कोशिकाएं हमारे शरीर की डिफेंस सिस्टम का हिस्सा होती हैं और एंटीबॉडी बनाती हैं जो शरीर को संक्रमण से लड़ने में मदद करती हैं। लेकिन जब ये प्लाज्मा कोशिकाएं अनियंत्रित तरीके से बढ़ने लगती हैं, तो इसे मल्टीपल मायलोमा कहा जाता है। इससे प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है और शरीर संक्रमण से प्रभावी रूप से नहीं लड़ पाता।
क्या हैं मल्टीपल मायलोमा के लक्षण -
मल्टीपल मायलोमा के लक्षण धीरे-धीरे बढ़ते हैं, और शुरुआती स्तर पर इनका पता लगाना काफी कठिन होता है, लेकिन जैसे-जैसे यह बीमारी बढ़ती है, कुछ मुख्य लक्षण दिखाई देते हैं।
अस्थियों में दर्द - खासकर रीढ़, पसलियों और हड्डियों में दर्द रहना।
थकान - शरीर में अत्यधिक कमजोरी और थकान होना।
खून की कमी (एनीमिया) - रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं की कमी होना।
बार-बार संक्रमण - कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के कारण जल्दी-जल्दी बीमार होना।
किडनी की समस्या - असामान्य प्रोटीन उत्पादन से किडनी पर दबाव, जिससे उनकी कार्यक्षमता में कमी।
वजन में गिरावट - भूख की कमी और अचानक वजन कम होना।
मल्टीपल मायलोमा से बचाव के उपाय -
हालांकि मल्टीपल मायलोमा का मुख्य कारण अभी पूरी तरह से स्पष्ट नहीं है, लेकिन कुछ उपाय हैं जो इस तरह की बीमारियों से बचाव में सहायक हो सकते हैं:
स्वस्थ आहार - पौष्टिक आहार लें, ताजे फल, सब्जियाँ, और साबुत अनाज का सेवन करें ।
धूम्रपान और शराब से बचाव - धूम्रपान और शराब से दूर रहें, ये कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।
नियमित स्वास्थ्य जांच - समय पर ब्लड टेस्ट और हेल्थ चेक उप कराते रहें ताकि बीमारी का शुरुआती स्तर पर पता लग सके।
व्यायाम - प्रतिदिन व्यायाम करें ताकि Defence system मजबूत बनी रहे।
नींद और तनाव प्रबंधन - पर्याप्त नींद लें और स्ट्रेस कम करने के लिए योग और ध्यान करें ।
मल्टीपल मायलोमा का उपचार -
मल्टीपल मायलोमा का इलाज कठिन होता है, लेकिन मौजूदा चिकित्सा विज्ञान में इसके कई तरह के उपचार उपलब्ध हैं।
कीमोथेरेपी - इस पद्धति में कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए कुछ विशेष दवाओं का उपयोग किया जाता है।
रेडिएशन थेरेपी - इसे खासतौर पर तब इस्तेमाल किया जाता है जब मायलोमा कोशिकाएं हड्डियों में होती हैं, जिससे दर्द कम करने में मदद मिलती है।
स्टेम सेल प्रत्यारोपण - इस प्रक्रिया में Bone Marrow में स्वस्थ स्टेम कोशिकाएं प्रत्यारोपित की जाती हैं ताकि नई, स्वस्थ कोशिकाओं का निर्माण हो सके।
इम्यूनोथेरेपी - इसमें डिफेंस सिस्टम को मजबूत करने वाली दवाओं का उपयोग किया जाता है ताकि शरीर खुद से कैंसर कोशिकाओं से लड़ सके।
टार्गेटेड थेरेपी - यह विशेष प्रोटीन को टारगेट करती है जो कैंसर कोशिकाओं को बढ़ने में मदद करते हैं, जिससे उनकी वृद्धि को रोका जा सकता है।