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IIT बॉम्बे टॉपर कैसे बना IIT बाबा? अभय सिंह से मसानी गोरख तक की यात्रा कैसे की तय?

महाकुंभ 2025 का आयोजन भारतीय संस्कृति और धर्म का सबसे बड़ा पर्व है। इस बार का महाकुंभ न केवल अपने धार्मिक महत्व के लिए चर्चा में है, बल्कि एक खास व्यक्ति की उपस्थिति ने इसे और भी खास बना दिया है। हरियाणा के अभय सिंह, जो अब मसानी गोरख या आईआईटी बाबा के नाम से जाने जाते हैं, जिनअपनी अनोखी यात्रा से हर किसी को चकित कर दिया है।

IIT बॉम्बे टॉपर कैसे बना IIT बाबा? अभय सिंह से मसानी गोरख तक की यात्रा कैसे की तय?
महाकुंभ जो सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, आध्यात्म और भक्ति का सबसे बड़ा उत्सव है। जहां 1.6 करोड़ से ज्यादा श्रद्धालु पहले दिन ही गंगा में डुबकी लगाने पहुंचे, वहीं इस बार महाकुंभ का आकर्षण बने हैं आईआईटी बाबा। यह बाबा न केवल अपनी आध्यात्मिक उपस्थिति के कारण चर्चा में हैं, बल्कि उनकी अनोखी यात्रा ने हर किसी को प्रेरित और चकित कर दिया है।

कौन हैं आईआईटी बाबा?

हरियाणा के रहने वाले अभय सिंह, जिन्हें अब लोग मसानी गोरख या आईआईटी बाबा के नाम से जानते हैं, पहले भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) बॉम्बे में एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के छात्र थे। चार साल की कठिन पढ़ाई और एक सुनहरे करियर की संभावनाओं के बावजूद, अभय ने वह रास्ता चुना, जिसे लोग अक्सर अनदेखा कर देते हैं। आईआईटी की पढ़ाई पूरी करने के बाद अभय ने फोटोग्राफी और डिजाइन में मास्टर्स किया और कुछ समय के लिए भौतिकी के छात्रों को पढ़ाने का भी कार्य किया। इसके बाद उन्होंने दर्शन और मानसिक स्वास्थ्य पर गहराई से विचार करना शुरू किया। उन्होंने प्लेटो, सुकरात और उत्तर-आधुनिक दर्शन जैसे विषयों पर अध्ययन किया।

लेकिन जीवन की बाहरी सफलता और वैज्ञानिक ज्ञान के बावजूद, उनके मन में एक शून्य था। इसी शून्य को भरने के लिए अभय ने आध्यात्म की राह चुनी और अपने नाम को बदलकर मसानी गोरख रख लिया। आईआईटी बाबा का मानना है कि भौतिक ज्ञान और बाहरी सफलता के बावजूद, असली खुशी और संतोष आध्यात्म में है। बाबा ने दिए अपने इंटरव्यू में कहा, “अगर आपको मन को समझना है या मानसिक स्वास्थ्य को सुधारना है, तो इसे आध्यात्म के माध्यम से किया जा सकता है। असली ज्ञान वही है, जो आत्मा को जानने में मदद करे।”

उनकी यह यात्रा न केवल अद्भुत है, बल्कि यह इस बात का प्रमाण भी है कि ज्ञान और भक्ति एक दूसरे के पूरक हैं। उन्होंने बताया कि शिव ही सत्य हैं, और यह शून्यता हर व्यक्ति के भीतर होती है। यही वह सत्य है, जिसे उन्होंने समझा और इसे अब दूसरों के साथ साझा कर रहे हैं। आईआईटी बाबा का सादगी भरा जीवन और गहरी सोच सोशल मीडिया पर वायरल हो गई। कई लोगों ने उनकी तारीफ करते हुए कहा, "इतना ज्ञान होने के बावजूद भी उन्होंने सादगी और सच्चाई को चुना।" वहीं एक यूजर ने लिखा, "आईआईटी से लेकर शिव की शरण तक की यात्रा वास्तव में प्रेरणादायक है।"

महाकुंभ का ऐतिहासिक महत्व 

महाकुंभ, जो हर 12 साल में चार पवित्र स्थानों में से एक पर आयोजित होता है, इस बार और भी विशेष है। 2025 के महाकुंभ में ज्योतिषियों के अनुसार 144 वर्षों बाद ऐसी खगोलीय स्थिति बनी है। इस दौरान गंगा में डुबकी लगाने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। आईआईटी बाबा की इस महाकुंभ में उपस्थिति ने आध्यात्म के साथ आधुनिक ज्ञान का एक नया मेल प्रस्तुत किया है। वह बताते हैं कि ज्ञान केवल पुस्तकों या प्रयोगशालाओं तक सीमित नहीं है, बल्कि यह आत्मा और ब्रह्मांड के भीतर छिपा है।

आईआईटी बाबा की कहानी हमें यह सिखाती है कि जीवन का असली उद्देश्य केवल धन या भौतिक सुखों की प्राप्ति नहीं है। असली ज्ञान वह है, जो हमारे भीतर के सत्य को उजागर करे। उनकी यात्रा हर उस व्यक्ति के लिए प्रेरणा है, जो जीवन के उद्देश्य को समझने के लिए संघर्ष कर रहा है। बाबा के अनुसार, “यह स्टेज सबसे बेहतरीन है, क्योंकि यह मुझे खुद को समझने और दूसरों को आध्यात्म का मार्ग दिखाने का मौका देता है।”

महाकुंभ 2025 का यह अद्भुत मेला न केवल धार्मिक आस्था का प्रतीक है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति और ज्ञान का सबसे बड़ा उत्सव है। आईआईटी बाबा की कहानी इस बात का प्रतीक है कि चाहे आप कितने भी पढ़े-लिखे क्यों न हों, असली सफलता आत्मा की शांति में है।

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