चारों पीठों के शंकराचार्यों ने रमहाकुंभ रचा एक नया इतिहास ! योगी पर तोड़ी चुप्पी

अबकी बार महाकुंभ की भव्यता ऐसी है कि ना सिर्फ़ देश के कोने-कोने से..बल्कि विश्वभर के साधु-संन्यासी यहाँ पहुँचे हुए हैं। महा मंडलेश्वर से लेकर जगत गुरु और तमाम अघोरी और नागा सन्यासियों का मेला यहाँ लगा हुआ है। इन सबके बीच चार पीठ के चारों शंकराचार्य महाकुंभ की धरातल पर मौजूद है, जो अपने आप में एक नया इतिहास है। सैकड़ों वर्ष पहले जिन चार पीठों की नींव आदि शंकराचार्य ने ख़ुद अपने हाथ से रखी, ताकी सनातन के वेदांत सिद्धांत का प्रचार प्रसार हो सके। उन्हीं चार पीठों के चार शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती जी, स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद जी, स्वामी सदानंद सरस्वती जी और भारती तीर्थ महाराज जी पवित्र संगम तट पर एक साथ पधारे हुए हैं। इनकी मौजूदगी से महाकुंभ का आयोजन और भी ज़्यादा गौरवपूर्ण बन चुका है। इन सबके बीच पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने योगी को लेकर अपनी 35 सालों की चुप्पी तोड़ी है।या फिर यूँ कहे कि 35 साल बाद जाकर शंकराचार्य ने योगी बाबा के संदर्भ में कुछ ऐसा बोला, जिसे सुन योगी विरोधी ख़ेमे में सन्नाटा पसर जाए
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने की योगी की प्रशंसा
देश के चार शंकराचार्यों में से एक पुरी पीठ के शंकराचार्य निश्चलानंद सरस्वती महाराज इन दिनों प्रयागराज पधारे हुए हैं। संगम तट से महज़ कुछ दूरी पर शंकराचार्य जी का शिवर लगा हुआ है और यही से ज्ञान की धारा बह रही है। पुरी से प्रयागराज आए स्वामी निश्चलानंद सरस्वती से जब प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा किये गए इंतज़ाम पर सवाल पूछा गया , तो उन्होंने योगी जी की जमकर प्रशंसा की… ये बताया कि योगी जी उनसे पिछले 35 सालों से परिचित हैं , इस बार खुलकर काम किया गया है। 30-35 साल से हम परिचित है, उन्होंने तत्परता का परिचय दिया है, ना कोई नास्तिकता का और ना ही उपेक्षा का परिचय दिया है।बहुत ही सतर्क होकर और धन की दृष्टि से भी अच्छा काम किया है, केंद्र में भी भाजपा है, प्रांत में भी भाजपा है, उधर मोदी जी भी सहयोगी हैं, इसलिए योगी जी ने बहुत भव्य आयोजन किया है। सब कुछ ठीक है। हम धर्मनिरपेक्ष हैं, ऐसा सिद्ध करने का प्रयास नहीं किया , खुलकर योगी जी ने यहाँ काम किया है।
हालाँकि ये बात दूसरी है कि परंपरा से नक़ली व्यक्ति भी आतंकवादी भी शंकराचार्य बनकर घूम रहे हैं।उन पर नियंत्रण तो ना मोदी जी का है और ना ही योगी जी का है।अंग्रेजों के शासन काल में, मुसलमानों के शासन काल में कोई आतंकवादी शंकराचार्य बनकर घूम रहे थे क्या ? नरसिंह राव ने मेरे विरोध में एक आतंकवादी को शंकराचार्य बनाकर घुमाना शुरु किया, फिर अटल बिहारी वाजपेयी जी ने उसे प्रश्रय दिया। अब मोदी उसे प्रश्रय दे रहे हैं, योगी चाहते तो नहीं प्रश्रय देना लेकिन दमन करने की क्षमता भी उसके पास नहीं है, इस प्रकार से इनके द्वारा भी गुप्त तरीक़े से पोषित है ही, हमको चुनौती देने में इन सबकी की प्रज्ञा शक्ति का विलोक हो जाता है।
स्वामी निश्चलानंद सरस्वती का ये बयान ये दर्शाता है कि महाकुंभ की व्यवस्था से वो पूरी तरह संतुष्ट हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का ख़ुद उनके शिवर में आकर उनसे भेंट करना, संतों के प्रति उनके सम्मानजनक बर्ताव को दिखाता है..हालाँकि शंकराचार्य का ये कहना है कि योगी ने धर्मनिरपेक्षता को साइड में रखकर महाकुंभ आने वाले सनातनियों के लिए काम किया, ये बताता है कि योगी हिंदू-मुस्लिम वाली राजनीति से ऊपर उठ चुके हैं। उनमें अपने धर्म के प्रति जितनी गहरी आस्था है, उसी संकल्प के साथ अपना कर्म भी करते हैं। दिखावे की राजनीति से हटकर काम करने वाले कर्मशील मुख्यमंत्री हैं। .गौर करने वाली बात ये कि स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ना ही किसी सरकार के पक्ष में बोलते हैं और ना भी किसी की अन्न भक्त भक्ति करना उन्हें पसंद है।जहां ग़लत दिखा, वहाँ उन्होंने आवाज़ उठाई है। महाकुंभ में आकर कश्मीर में कश्मीरी पंडितों के साथ बाहरी हिंदुओं को भी बसाने की पैरवी कर रहे हैं। हिंदुओं का धर्मांतरण कराने वाली ताक़तों पर सख़्ती से प्रतिबंध लगाने की माँग कर रहे हैं और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की प्रशंसा