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सपा के 2 नेताओं ने अखिलेश को बर्बाद करने की ठानी! औरंगज़ेब और राणा सांगा पर बयान यूपी 2027 चुनाव में पहुंचाएगा नुकसान

सपा सांसद रामजीलाल सुमन ने हाल ही में राणा सांगा को गद्दार और देशद्रोही बताया। इसके बाद पूरे यूपी में भयंकर हंगामा हुआ। इस मामले पर राजपूत समाज में भयंकर नाराजगी है। यूपी के कई बड़े राजपूत समाज के दिग्गज नेताओं ने अपनी नाराजगी व्यक्त की है। ऐसे में आने वाली 2027 विधानसभा चुनाव में इसका खामियाजा अखिलेश यादव को भुगतना पड़ सकता है।
सपा के 2 नेताओं ने अखिलेश को बर्बाद करने की ठानी! औरंगज़ेब और राणा सांगा पर बयान यूपी 2027 चुनाव में पहुंचाएगा नुकसान
मुंबई से लेकर यूपी तक सपा नेताओं के बयान ने अखिलेश की चिंता बढ़ा दी है। कोई औरंगजेब की तारीफ करते नहीं थक रहा। तो दूसरी तरफ राणा सांगा को गद्दार बताया जा रहा। 8 सालों से यूपी की सत्ता से बेदखल हो चुके अखिलेश यादव को एक बार फिर से 2027 में भी गहरा जख्म मिल सकता है। भले ही सपा को लोकसभा चुनाव में प्रचंड जीत मिली। लेकिन इस बात का ध्यान रखना होगा कि वह लोकसभा चुनाव था। यूपी का  विधानसभा चुनाव काफी हटकर होने वाला है।‌ 

यहां जनता सिर्फ योगी आदित्यनाथ की सुनेगी। जहां अखिलेश अपनी पीडीए वाली पॉलिटिक्स से 2027 में वापसी के सपने संजो रहे हैं। तो दूसरी तरफ उन्हीं के नेता आए दिन अपने बयानों से पार्टी की नाक कटा रहे। पहले महाराष्ट्र से सपा विधायक अबू आजमी ने  औरंगजेब की तारीफ करते हुए बड़ा बयान दिया। जिस पर पूरे देश में भयंकर विरोध-प्रदर्शन हुआ। दूसरी तरफ सपा सांसद रामजीलाल सुमन ने राजपूत समुदाय को गहरी चोट पहुंचाई है। उन्होंने राणा सांगा को देशद्रोही और गद्दार बताया है। हालांकि अबू आजमी द्वारा औरंगजेब पर दिया गया बयान यूपी की राजनीति में उतनी हलचल पैदा नहीं करेगा। न ही सपा के मुस्लिम वोटर्स के खिसकने का कोई डर है। लेकिन रामजीलाल सुमन द्वारा दिया गया बयान अखिलेश के लिए 2027 के लिए करारा झटका साबित हो सकता है। आइए जानते हैं कि दोनों के बयानों का यूपी की राजनीति पर कितना असर डालेगा और राजपूत समुदाय ने किस तरीके से नाराजगी प्रकट की है। 

क्या अबू आजमी द्वारा दिया गया बयान सपा के लिए घातक साबित होगा

सबसे पहले बात करते हैं। महाराष्ट्र के विधायक अबू आजमी द्वारा औरंगजेब पर दिए गए बयान को लेकर, यूपी में मुस्लिम वोट बैंक 19 प्रतिशत है। लेकिन साल 2017 के बाद में यूपी के मुस्लिम मतदाता अखिलेश के समर्थन में हमेशा खड़े नजर आए। यूपी की मुस्लिम आबादी हर एक चुनाव में सपा के साथ खड़ी नजर आती है। इसकी वजह है योगी आदित्यनाथ की कट्टर हिंदुत्व छवि होना। यह बात बीजेपी को भी पता है कि मुस्लिम वोटर्स उसके पक्ष में नहीं है। 

अबू आजमी के औरंगजेब वाले बयान का बीजेपी को मिलेगा फायदा 

एक बात ध्यान देने वाली है कि अबू आजमी द्वारा औरंगजेब पर दिया गया बयान बीजेपी के लिए फायदेमंद साबित होगा। क्योंकि योगी आदित्यनाथ यह मुद्दा हर एक मंच से उठा रहे हैं। अधिकतर भाषणों में वह औरंगजेब के मुद्दे का जिक्र करते हैं। हाल ही में योगी आदित्यनाथ ने बहराइच का दौरा किया। वहां पर उन्होंने कहा कि "जो लोग महापुरुषों का अपमान करते हैं। आक्रांताओं का महिमामंडन  करते हैं। भारत की सनातन संस्कृति को रोकने का काम किया। बेटियों की इज्जत पर हाथ डालने और हमारी आस्था पर प्रहार किया। आक्रांता का महिमामंडन करना  मतलब देशद्रोह की नींव को पुख्ता करना। स्वतंत्र भारत किसी भी देशद्रोही को बर्दाश्त नहीं करेगा।"

सपा सांसद ने अखिलेश के राजपूत वोटर्स को चोट पहुंचाई

सपा सांसद रामजीलाल सुमन ने हाल ही में राणा सांगा को गद्दार और देशद्रोही बताया। इसके बाद पूरे यूपी में भयंकर हंगामा हुआ। इस मामले पर राजपूत समाज में भयंकर नाराजगी है। यूपी के कई बड़े राजपूत समाज के दिग्गज नेताओं ने अपनी नाराजगी व्यक्त  की है। यूपी की राजनीति के बड़े क्षत्रिय नेता कुंडा के विधायक राजा भैया ने अच्छी खासी पोस्ट लिखी। उन्होंने लिखा कि "समाजवादी पार्टी के सांसद रामजीलाल सुमन ने राज्यसभा में राणा सांगा के विषय में जो अभद्र टिप्पणी की है। वह सत्य से परे तो है ही, लेकिन हर एक देशभक्त हर राष्ट्रवादी के लिए बहुत ही कष्टप्रद है। तुष्टिकरण के लिए हमारे महानायकों को खलनायक और गद्दार बताया जा रहा है। देश का दुर्भाग्य है कि कुछ लोग औरंगजेब जैसे आततायी शासको के महिमा मंडन के खातिर अपने ही महानायकों को छोटा दिखाने की होड़ में लगे हुए हैं।" भाजपा के पूर्व सांसद और क्षत्रिय समाज के एक और बड़े नेता बृजभूषण शरण सिंह ने भी इस मामले पर अपनी प्रक्रिया दी है उन्होंने कहा कि "सपा नेताओं के शरीर में दैत्यगुरु और शुक्राचार्य की आत्मा बसी हुई है। सुमन जी को अपना बयान वापस लेना चाहिए। वरना इसका भुगतान करने के लिए समाजवादी पार्टी तैयार रहे।" 

क्या रामजी लाल सुमन के बयान से सपा को खामियाजा भुगतना पड़ेगा ? 

यूपी का क्षत्रिय वोट बैंक करीब 6 से 7 प्रतिशत है। हालांकि देखने में यह काफी कम लग रहा है। लेकिन यूपी की राजनीति में रसूक के मामले में क्षत्रियों की भूमिका काफी बड़ी रही है। सरकार चाहे किसी की भी हो इस बिरादरी ने हमेशा अपनी बड़ी भूमिका निभाई है। आप इस बात का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि अब तक यूपी में 5 राजपूत बिरादरी के मुख्यमंत्री रहे हैं। इनमें विश्वनाथ प्रताप सिंह, वीर बहादुर सिंह, राजनाथ सिंह, त्रिभुवन नारायण सिंह और वर्तमान में योगी आदित्यनाथ हैं। सीएम योगी राजपूत बिरादरी के एकमात्र ऐसे मुख्यमंत्री हैं। जिन्होंने अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा किया। वहीं राजपूत बिरादरी से अब तक दो प्रधानमंत्री भी रहे हैं।इनमें चंद्रशेखर और विश्वनाथ प्रताप सिंह का नाम शामिल है। मुलायम सिंह यादव ने भी क्षत्रियों के रसूख को हमेशा से प्रमुखता दी। यही वजह रहा कि उन्हें राजपूत बिरादरी का हमेशा से समर्थन मिला। वर्तमान में पश्चिम से लेकर पूरब तक राजनाथ सिंह और योगी आदित्यनाथ का ठाकुर बिरादरी में अच्छा खासा रसूख देखने को मिलता है। 

यूपी की इन सीटों पर राजपूत बिरादरी का दबदबा 

यूपी के सीटों की बात की जाए। तो पश्चिम क्षेत्र में गाजियाबाद, गौतम बुद्धनगर,  सहारनपुर, हमीरपुर, फतेहपुर और पूर्वांचल में बलिया,गोरखपुर,वाराणसी,जौनपुर और गाजीपुर जैसे कई ऐसे जिले हैं। जहां राजपूत बिरादरी का दबदबा है। इन सभी सीटों में हार या जीत में यह बिरादरी बड़ी भूमिका निभाती है। 

कई बयानों का असर यूपी की राजनीति में देखने को मिला 

साल 2024 में पुरुषोत्तम रुपाला के बयान ने यूपी की राजनीति में राजपूत बिरादरी को काफी चोट पहुंचाई थी। उनका बयान था कि "अंग्रेजों ने राज किया और राजा भी उनके आगे झुक गए। उनके साथ रोटियां तोड़ी और उन्हीं के साथ अपनी बेटियों की शादी की। दलितों पर सबसे ज्यादा अत्याचार हुआ।" अब आप इसी से अंदाजा लगाइए कि यह बयान गुजरात के नेता ने दिया था। लेकिन इसका असर यूपी में देखने को मिला। राजपूत समाज का भयंकर विरोध देखने को मिला। हालांकि उन्होंने माफी मांग ली। लेकिन इसकी आंच यूपी तक पहुंच चुकी थी और कई जिलों में राजपूत बिरादरी ने बीजेपी का कड़ा विरोध जताया। हालांकि योगी आदित्यनाथ, राजनाथ सिंह और संजीव बालियान ने इस मसले को कम करने की कोशिश की। लेकिन मामला हाथ से निकल चुका था। इसका पूरा असर चुनावी नतीजे में देखने को मिला। जहां साल 2019 के चुनाव में 62 सीटों पर रहने वाली बीजेपी खिसककर 33 पर पहुंच गई। वहीं 5 सीटों पर रहने वाली सपा 37 सीटों पर जीत दर्ज करने में कामयाब रही। यूपी में पूरी तरीके से साफ हो चुकी कांग्रेस को भी संजीवनी बूटी मिल गई। उसने 6 सीटों पर जीत दर्ज की। वही कौशांबी,प्रतापगढ़,प्रयागराज,जौनपुर सीटों पर राजा भैया का दबदबा देखने को मिलता है। लेकिन राजा भैया की नाराजगी ने भी इन सीटों पर बीजेपी को करारा झटका दिया। हालांकि बीजेपी ने काफी जल्द राजपूत समाज की नाराजगी को रिकवर किया। हाल ही में खत्म हुए यूपी की 10 विधानसभा सीटों के उपचुनाव में बीजेपी को 8 सीटों पर प्रचंड जीत मिली। अब अखिलेश अपने नेताओं के बयान से कैसे निपटते हैं। यह देखने वाली बात होगी। 
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