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दुनिया के 9 मुस्लिम देशों ने माना Modi का लोहा, अपने देश का दिया सबसे बड़ा सम्मान !

साल 2014 में पहली बार देश की सत्ता में आए पीएम मोदी से भारत में ही कुछ कट्टरपंथी मुसलमान भले ही नफरत करते हों लेकिन दुनिया के नौ मुस्लिम देश ऐसे हैं जिन्होंने पीएम मोदी को अपने देश के सर्वोच्च सम्मान से नवाजा !
दुनिया के 9 मुस्लिम देशों ने माना Modi का लोहा, अपने देश का दिया सबसे बड़ा सम्मान !
दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश हिंदुस्तान की लगातार तीसरी बार सत्ता संभाल रहे नरेंद्र मोदी पर भारत ही नहीं पूरी दुनिया का भरोसा बढ़ता ही जा रहा है। जिसका सबसे बड़ा सबूत है। पिछले दस सालों में 20 देशों से पीएम मोदी को मिला सर्वोच्च सम्मान। जिनमें बड़ी संख्या में मुस्लिम देश भी शामिल हैं। लेकिन इसके बावजूद दुर्भाग्य की बात ये है कि अपने ही देश हिंदुस्तान में कुछ कट्टरपंथी मौलानाओं और नेताओं की एक ऐसी जमात है जो साल 2002 से भारत के मुसलमानों में मोदी का डर दिखा कर अपनी दुकान चलाने में लगे हुए हैं। और आज भी इससे आगे नहीं बढ़ पाए। तो वहीं दूसरी तरफ सऊदी अरब। मालदीव। बहरीन जैसे नौ देशों ने मोदी का भौकाल माना और उन्हें अपने देश का सर्वोच्च सम्मान दिया।

सऊदी अरब


दुनिया के नक्शे पर मिडिल ईस्ट क्षेत्र में मौजूद सऊदी अरब एक ऐसा देश है। जहां इस्लाम धर्म में सबसे पवित्र धार्मिक स्थल मक्का और मदीना स्थित है। जिसकी वजह से मुस्लिमों में सऊदी अरब के लिए एक बड़ा सम्मान रहता है। और इसी देश में जब साल 2016 में पीएम मोदी ने कदम रखा तो सऊदी अरब की तत्कालीन सरकार ने उन्हें अपने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान किंग अब्दुल अजीज सैश से नवाजा। जो भारत के कट्टरपंथी मुसलमानों के पेट में दर्द के लिए काफी था। लेकिन सऊदी अरब को इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। उसने मोदी को अपने देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान देना बेहतर समझा।

अफगानिस्तान

साल 2016 में जब अफगानिस्तान में एक चुनी हुई सरकार थी। उस वक्त पीएम मोदी अफगानिस्तान के दौरे पर गये थे और तत्कालीन राष्ट्रपति अशरफ गनी की सरकार ने उन्हें अपने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान अमीर अमानुल्लाह खान पुरस्कार से नवाजा था। हालांकि एक वक्त ऐसा भी आया जब अशरफ गनी को देश छोड़ कर भागना पड़ा और आज अफगानिस्तान में तालिबान का राज है।

फिलिस्तीन

बात जब भी फिलिस्तीन और इजरायल की आती है। भारत दो धड़ों में बंट जाता है। हिंदू जहां इजरायल के समर्थन में उतर जाते हैं तो वहीं मुसलमान फिलिस्तीन के समर्थन में उतर जाते हैं। लेकिन बात जब कूटनीति की आती है तो भारत दो कदम आगे नजर आता है। यही वजह है कि पीएम मोदी जब साल 2018 में फिलिस्तीन गये तो वहां के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने उन्हें अपने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ग्रैंड कॉलर ऑफ द स्टेट ऑफ फिलिस्तीन पुरस्कार से नवाजा।महमूद अब्बास की सरकार ने पीएम मोदी को अपने देश का सर्वोच्च सम्मान दिया जिसे देख कर भारत के कुछ कट्टरपंथियों के पेट में दर्द जरूर हुआ होगा लेकिन फिलिस्तीन को इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। इसीलिये उन्होंने पीएम मोदी को सम्मानित किया।


संयुक्त अरब अमीरात


देश की सत्ता में आने के बाद पीएम मोदी ने मुस्लिम देशों से दूरी बनाने की बजाए उन्हें अपना दोस्त बनाने की नीति पर काम किया जिसमें एक नाम यूएई का भी है। क्योंकि यहां भारी संख्या में भारत के लोग काम करते हैं। यही वजह है कि पीएम मोदी ने यूएई से दोस्ती बढ़ाने पर जोर दिया। और आज यूएई और भारत में इस कदर दोस्ती है कि साल 2019 में जब पीएम मोदी यूएई के दौरे पर गये थे तो उन्हें यूएई के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ऑर्डर ऑफ जायद से नवाजा गया था।


मालदीव         

    
समंदर के बीचोंबीच बसे मुस्लिम देश मालदीव के साथ लक्षद्वीप को लेकर भले ही कुछ वक्त के लिए विवाद रहा हो लेकिन वैसे तो भारत और मालदीव के रिश्ते बहुत ही बेहतर रहे हैं, यहां तक कि मुश्किल वक्त में भारत मालदीव को पानी भी पिला चुका है। यही वजह है कि मुश्किल वक्त में साथ निभाने वाले भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जब साल 2019 में मालदीव के दौरे पर गये थे तो उस वक्त तत्कालीन राष्ट्रपति इब्राहिम मोहम्मद सोलिह की सरकार ने उन्हें मालदीव के सर्वोच्च नागरिक सम्मान रूल ऑफ निशान इज्जुद्दीन से नवाजा था।

बहरीन


साल 2019 में ही पीएम मोदी द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर बात करने के लिए बहरीन के दौरे पर गये थे। उस वक्त पीएम मोदी को बहरीन के सर्वोच्च नागरिक सम्मान द किंग हमाद ऑर्डर ऑफ दे रेनेसां अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था। जिस पर पीएम मोदी ने कहा था कि। "मैं किंग हमाद ऑर्डर ऑफ द रेनेसां से सम्मानित होने पर बहुत सम्मानित और भाग्यशाली महसूस कर रहा हूं, मैं अपने और अपने देश के प्रति आपकी मित्रता से भी उतना ही सम्मानित महसूस कर रहा हूं, मैं 1.3 अरब भारतीयों की ओर से इस प्रतिष्ठित सम्मान को विनम्रतापूर्वक स्वीकार करता हूं" बहरीन से मिला ये सम्मान बता रहा है कि मुस्लिम देश भी पीएम मोदी पर भरोसा जताने लगे हैं लेकिन भारत के कुछ कट्टरपंथी मौलाना ये बात नहीं समझ रहे हैं और आज भी मुस्लिमों को मोदी के नाम पर डराने में लगे हुए हैं।

इजिप्त      

       
जिन मुस्लिम देशों ने पीएम मोदी को अपने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान से नवाजा है उनमें एक नाम मिस्र का भी है जिसे आज लोग इजिप्त के नाम से जानते हैं। जहां 90 फीसदी से ज्यादा मुस्लिम आबादी है। लेकिन इसके बावजूद पीएम मोदी जब साल 2023 में इजिप्त के दौरे पर गये थे तो उस वक्त इजिप्त की सरकार ने उन्हें अपने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ऑर्डर ऑफ द नाइल से सम्मानित किया था। ये पुरस्कार साल 1915 में शुरू किया गया था जिसे उन राष्ट्राध्यक्षों, राजकुमारों और उपराष्ट्रपतियों को प्रदान किया जाता है जो मिस्र या मानवता को अमूल्य सेवाएं प्रदान करते हैं।

नाइजीरिया


भारत का प्रधानमंत्री बनने के बाद पहली बार पीएम मोदी इसी साल नवंबर में जब नाइजीरिया के दौरे पर गये तो वहां की सरकार ने उन्हें अपने राष्ट्रीय पुरस्कार ग्रैंड कमांडर ऑफ द ऑर्डर ऑफ द नाइजर से नवाजा था। ये सम्मान पाने वाले पीएम मोदी सिर्फ दूसरे विदेशी शख्सियत थे। इससे पहले 1969 में क्वीन एलिजाबेथ को ये सम्मान दिया गया था।

कुवैत   


दुनिया के आठ मुस्लिम देशों से सर्वोच्च सम्मान पाने वाले पीएम मोदी इसी साल 22 दिसंबर को जब कुवैत की यात्रा पर पहुंचे तो उन्हें यहां भी बड़े सम्मान से नवाजा गया। कुवैत सरकार ने पीएम मोदी के इस ऐतिहासिक दौरे पर उन्हें अपने सर्वोच्च सम्मान द ऑर्डर ऑफ मुबारक अल कबीर से नवाजा। यानि अब तक कुल नौ मुस्लिम देशों ने पीएम मोदी को अपने देश के बड़े सम्मान से नवाजा है। जिसका मतलब साफ है कि वो भी पीएम मोदी का न सिर्फ एहतराम कर रहे हैं बल्कि उनकी सोच और विजन को आगे ले जाने में उनके संग चल पड़े हैं। लेकिन दुर्भाग्य ये है कि अपने ही मुल्क भारत के बड़े-बडे मुस्लिम नेता और उलेमा मुसलमानों को मोदी से डराने के अलावा कुछ और कर ही नहीं पाए हैं। ऐसे में सबसे बड़ा सवाल ये है कि आखिर कब तक ये लोग इस तरह से डर पर खेलेंगे? कब तक इस झूठ को परोस कर राजनीति चमकाएंगे। और कब तक मोदी के नाम पर मुसलमानों को डराएंगे। 
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