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राज्यसभा में गरजे अमित शाह, बोले- 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद मुक्त हो जाएगा भारत

गृह मंत्रालय के कार्यप्रणाली पर चर्चा के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह राज्य सभा में जमकर गरजे, शाह ने राज्यसभा को संबोधित करते हुए विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि पिछले 10 साल में वो काम हुए हैं जो आज़ादी के बाद अब तक नहीं हुए। उन्होंने सदन में ये वादा भी किया कि 31 मार्च 2026 तक देश नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा।
राज्यसभा में गरजे अमित शाह, बोले- 31 मार्च 2026 तक नक्सलवाद मुक्त हो जाएगा भारत
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने आज राज्यसभा में गृह मंत्रालय के कार्य पर चर्चा का जवाब दिया। दो दिन तक चली चर्चा का जवाब देते हुए केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में पिछले 10 वर्षों में गृह मंत्रालय ने दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति और एक मज़बूत विधायी खाका खड़ा कर हमारे सुरक्षाकर्मियों के हौंसले में वृद्धि करने का प्रयास किया है। 

गृह मंत्री ने कहा कि इस देश की सुरक्षा, विकास और सार्वभौमित्व को - जम्मू कश्मीर में आतंकवाद, वामपंथी उग्रवाद और उत्तरपूर्व के उग्रवाद – की तीन बड़ी समस्याओं से हमेशा चुनौती मिलती रही। उन्होंने कहा कि ये तीन नासूर लगभग 4 दशकों से देश की शांति में खलल डालते रहे, देश की सुरक्षा पर सवालिया निशान लगाते रहे और देश के विकास की गति को अवरूद्ध करते रहे। श्री शाह ने कहा कि इन तीन समस्याओं के कारण 4 दशकों में देश के लगभग 92 हज़ार नागरिक मारे गए। उन्होंने कहा कि 2014 में श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रधानमंत्री  बनने से पहले इन नासूरों के संपूर्ण उन्मूलन के लिए कोई सुनियोजित प्रयास नहीं हुआ था। 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पहले कश्मीर में पड़ोसी देश से आए दिन आतंकी घुसते थे, बम धमाके और हत्याएं करते थे और इन घटनाओं के प्रति तत्कालीन केन्द्र सरकारों का रवैया लचीला होता था। वे चुप्पी साध जाते थे, उन्हें बोलने में डर लगता था और साथ ही वोट बैंक का डर भी था। उन्होंने कहा कि श्री नरेन्द्र मोदी जी के प्रधानमंत्री बनने के बाद आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई गई है। हमारी सरकार आने के बाद उरी और पुलवामा में हमला हुआ, लेकिन हमने 10 ही दिन में पाकिस्तान के घर में घुसकर सर्जिकल और एयर स्ट्राइक से जवाब दिया। उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया में पहले इज़रायल और अमेरिका ही दो ऐसे देश थे जो अपनी सीमा और सेना की सुरक्षा के लिए हमेशा तत्पर रहते थे, इन दोनों देशों की सूची में हमारे महान भारत का नाम जोड़ने का काम प्रधानमंत्री मोदी जी ने किया और वहीं से आतंकवाद के खिलाफ ज़ीरो टॉलरेंस की नीति की शुरूआत हुई।

श्री अमित शाह ने कहा कि कश्मीर में अलगाववाद का मूल कारण धारा 370 थी। उन्होंने कहा कि राजनीतिक मजबूरी और वोट बैंक की पॉलिटिक्स के कारण धारा 370 कई वर्षों तक चलती रही। गृह मंत्री ने कहा कि इसी संसद में 5 अगस्त, 2019 में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने धारा 370 को समाप्त कर दिया। उन्होंने कहा कि हमारे संविधान निर्माताओं का स्वप्न था कि एक देश में दो प्रधान, दो निशान और दो विधान नहीं होने चाहिए और मोदी जी ने इस स्वप्न को पूरा किया। श्री शाह ने कहा कि 5-6 अगस्त, 2019 में एक विधान, एक निशान और एक प्रधान का नया दौर शुरू हुआ और वहीं से कश्मीर को हमेशा के लिए भारत के साथ जोड़ने की प्रक्रिया शुरू हुई। 

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि जम्मू और कश्मीर में डोगरी, हिंदी और उर्दू को राज्य की भाषा का स्टेटस दिया गया। भ्रष्टाचार को रोकने के लिए एंटी करप्शन ब्यूरो बनाया गया और वहाँ देश के सारे कानून भी स्वीकार कर लिए गए। मोदी जी ने पठानकोट की नाका परमिट को भी समाप्त कर दिया और लोकतंत्र, विकास ओर खुशहाली का नया दौर शुरू हुआ। उन्होंने कहा कि पिछली सरकारों के 33 साल के शासन में वहां सिनेमाहॉल नहीं खुलते थे, हमारे शासन में खुले। 34 साल से मुहर्रम पर ताजिया की अनुमति नहीं थी, हमारे समय में दी गई। पहले लाल चौक तक पर तिरंगा फहराना बहुत मुश्किल था अब एक भी घर वहां ऐसा नहीं था जहां हर घर तिरंगा अभियान में तिरंगा नहीं फहराया गया हो। उन्होंने कहा कि श्रीनगर में फॉर्मूला 4 कार रेसिंग हुई, लाल चौक पर कष्ण जन्माष्टमी का महोत्सव मनाया गया। 
श्री अमित शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने कई ऐसे कदम उठाए जिनसे आतंकियों के साथ भारतीय बच्चों के जुड़ने की संख्या करीब करीब शून्य हो गई है। उन्होंने कहा कि 10 साल पहले आतंकियों का महिमामंडन होता था औऱ बड़े जुलूस निकलते थे, लेकिन हमारी सरकार के  समय में एक का भी जुलूस नहीं निकला, जहां मारे गए वहीं दफना दिए जाते हैं। उन्होंने कहा कि कई आंतकियों के रिश्तेदारों को रूथलैसली सरकारी नौकरी से निकालने का काम किया।

आतंकवाद और आतंकवादी दोनों के समर्थकों को सरकारी नौकरी, पासपोर्ट देने और सरकारी अनुबंध के लिए प्रतिबंधित कर दिया। गृह मंत्री ने कहा कि 2004 से 2014 के बीच 7217 आतंकी घटनाएं  हुई जो 2014-2024 के बीच घटकर 2242 रह गईं। इसी अवधि में कुल मृत्यु में 70 प्रतिशत की कमी आई है, नागरिकों की मृत्यु में 81 प्रतिशत और सुरक्षाबलों की मृत्यु में 50 प्रतिशत की कमी आई है। 2010 से 2014 में हर साल औसतन संगठित पथराव की 2654 घटनाएं हुईं, जबकि 2024 में एक भी नहीं हुई। 132 संगठित हड़ताल हुई, आज एक भी नहीं होती है। पथराव में 112 नागरिकों की मृत्यु और 6000 घायल हुए थे, लेकिन अब पथराव ही नहीं होता। वर्ष 2004 में कुल 1587 आतंकी घटनाएं हुई थीं, जबकि 2024 में कुल 85 घटनाएं हुईं। 2004 में नागरिकों की मृत्यु की संख्या 733 थी, जबकि 2024 में यह 26 थी, 2004 में सुरक्षाबलों की मृत्यु 331 थीं, जबकि 2024 में 31 रह गईं। 

श्री अमित शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने कश्मीर के विकास के लिए 2015 में 80 हज़ार करोड़ की 63 परियोजनाएं मंज़ूर कीं। इनमें से 51 हज़ार करोड़ रूपए खर्च हो से 53 परियोजनाएं पूरी तरह से क्रियान्वित हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि 2019 से 2024 के बीच 40 हज़ार सरकारी नौकरियां दीं, 1,51,000 ओबीसी बच्चों को विश्वकर्मा योजना से स्वरोजगार दिया, 5184 यूथ क्लब स्किलिंग का काम कर रहे हैं, 18 हज़ार युवाओं को खुद की टैक्सियां देने का काम हुआ। उन्होंने कहा कि आकर्षक उद्योग नीति लाकर आज कश्मीर में 12 हज़ार करोड़ रूपए का निवेश ज़मीन पर उतरा है और 1 लाख 10 हज़ार के MoU अभी क्रियान्वयन में हैं। श्री शाह ने कहा कि पूरे 70 साल में 14 हज़ार करोड़ रूपए का निवेश आया था, जबकि मोदी जी के इन 10 साल में 12 हज़ार करोड़ के निवेश से उत्पादन भी शुरू हो चुका है। कश्मीर में पर्यटन फिर शुरू हुआ और 2023 में रिकॉर्ड 2 करोड़ 11 लाख पर्यटक कश्मीर में आए। उन्होंने कहा कि पर्यटन में 250 करोड़ रूपए का निवेश हुआ है। 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि कश्मीर में पहली बार लोकतंत्र की नींव डालने का काम प्रधानमंत्री मोदी जी ने किया। उन्होंने कहा कि पिछली सरकार के शासन में जम्मू कश्मीर में 90 विधायक और 6 सांसद होते थे, लेकिन अब 34,262 चुने हुए जनप्रतिनिधि जम्मू कश्मीर में हैं। 2024 में जम्मू कश्मीर में हुए लोकसभा के चुनावों में एक भी गोली नहीं चली और 98 प्रतिशत लोगों ने वोट डाले। श्री शाह ने कहा कि आज जम्मू और कश्मीर में में एम्स हैं, आईआईटी, आईआईएम हैं। पहले 4 मेडिकल कॉलेज  थे, अब 15 हैं और 15 नर्सिंग कॉलेज और बने हैं। उन्होंने कहा कि पहले एमबीबीएस की 500 सीटें थी, हमने 800 और जोड़ी हैं, पीजी की 767 सीटों में 297 नई जोड़ी हैं। श्री शाह ने कहा कि जो काला चश्मा पहनकर और आंखें मूंदकर बैठते हैं, उन्हें विकास नहीं दिखा सकते। गृह मंत्री ने कहा कि हम आतंकी देखते ही सीधा दोनों आंखों के बीच में गोली मारते हैं। हमारी सरकार न आतंकवाद को सह सकती है और न ही आतंकवादियों को क्योंकि देश के नागरिकों के खून की होली खेलने वालों के लिए देश में कोई जगह नहीं है। 
श्री अमित शाह ने कहा कि वामपंथी उग्रवाद भी एक गंभीर समस्या है। कुछ लोग इसे राजनीतिक समस्या कहते हैं, लेकिन इस सोच पर दया आती है। विकास की दृष्टि से कई जिले और तहसीलें पिछड़े हैं, पहले की सरकारों ने भी पिछड़े इलाकों तक विकास पहुंचाने के काम किए हैं और हमारी सरकार भी कर रही है। श्री शाह ने कहा कि हो सकता है कुछ क्षेत्र में अभी भी विकास नहीं पहुंचा हो, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि हम देश की व्यवस्था और संविधान को ही न मानें और सरकार लाचार बनकर देखती रहे। 

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि अब तक हजारों लोग वामपंथी उग्रवाद की बलि चढ़ चुके हैं। पशुपतिनाथ से लेकर तिरुपति तक का लाल कॉरिडोर में कई जिलों, तहसीलों और थानों पर कब्जा कर लिया गया था और पूरी व्यवस्था समाप्त कर दी गई थी। पैरलेल करेंसी और स्टेम्प पेपर चलाए जा रहे थे। सरकारें बनाई गई, लेकिन कोई बोलने वाला नहीं था। उन्होंने कहा कि वह सदन को जिम्मेदारी के साथ बताना चाहते हैं कि 31 मार्च 2026 तक देश से नक्सलवाद समाप्त हो जाएगा। उन्होंने कहा कि इस वादे के पीछे मोदी सरकार का 10 साल का परिश्रम, बारीक प्लैनिंग, विकास की भूख और पैसों का आवंटन है। उन्होंने कहा कि हमने सुरक्षा ग्रिड को इस तरह से पुख्ता किया है कि एक भी जगह से कोई गैप न रह जाए। 

गृह मंत्री ने कहा कि संवाद, सुरक्षा और समन्वय के सिद्धांतों को अपना कर हमने नक्सलवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई जारी रखी है। उन्होंने कहा कि वे डीआरजी, एसटीएफ, पुलिस, सीआरपीएफ, आईटीबीपी और बीएसएफ के जवानों को बधाई देते हैं जिन्होंने घंटों-घंटों तक उन इलाकों में भूखे-प्यासे रहकर इस समस्या के समाधान के लिए अपना बलिदान दिया है, जहां सूर्य की किरणें भी नहीं पड़तीं। 
श्री अमित शाह ने कहा कि हमने नवीनतम तकनीक के साथ नक्सलवाद के खिलाफ लड़ने की शुरुआत की। लोकेशन ट्रेसिंग, मोबाइल फोन की गतिविधियां, साइंटिफिक कॉल लॉग्स की एनालिसिस, सोशल मीडिया अनैलिसिस, उनकी कूरियर सर्विस का रेखांकन, उनके परिवार की आवाजाही का रेखांकन जैसी चीजें एकत्रित करके हमने अपने सुरक्षा बलों को सूचना से लैस करने का काम किया। ड्रोन सर्विलांस और सैटेलाइट इमेजिंग का आर्टिफ़िशियल इंटेलिजेंस के साथ मिलकर सोल्यूशन निकाला, नतीजे निकाले और इसके आधार पर डाटा एनालिसिस करके हमने सटीक जगहों से अपने सुरक्षा बलों को लैस किया, जिसके आधार पर उन्होंने काम किया।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि वर्ष 2004 से 2014 तक 16,463 हिंसक घटनाएं हुई थीं, लेकिन पिछले दस साल में इसमें 53 प्रतिशत कमी आई है। वर्ष 2004 से 2014 तक 1851 सुरक्षा कर्मी मारे गए, लेकिन पिछले दस साल में मारे गए सुरक्षा कर्मियों की संख्या घटकर 509 रही, जो 73 प्रतिशत की कमी है। नागरिकों की मृत्यु का आंकड़ा 4766 से घटकर 1495 रह गया है, जो 70 प्रतिशत की कमी है।  

श्री अमित शाह ने कहा कि दिसंबर 2023 में छत्तीसगढ़ में शासन बदला, जिसके बाद एक ही साल के भीतर 380 नक्सली मारे गए। 1194 नक्सली गिरफ्तार हुए और 1045 ने सरेन्डर किया। उन्होंने कहा कि इस पूरी कारवाई में हताहत होने वाले सुरक्षा कर्मियों की संख्या सिर्फ 26 रही। श्री शाह ने कहा कि पिछली सरकार और मौजूदा सरकार की अप्रोच का ही फर्क था कि 2619 नक्सली ने या तो सरेन्डर कर दिया या गिरफ्तार हुए या मारे गए।

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि 2014 तक 66 फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन थे, जिनमें 32 पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी जी की सरकार में भी थे। लेकिन मोदी सरकार ने 10 साल में 612 फोर्टिफाइड पुलिस स्टेशन बनाए। वर्ष 2014 में सबसे अधिक नक्सल प्रभावित जिलों की संख्या 126 थी, जो अब कम होकर 12 रह गए हैं और मार्च 2026 में इनकी संख्या शून्य हो जाएगी। वर्ष 2014 में ऐसे पुलिस स्टेशन की संख्या 330 थी जहां नक्सल घटनाएं घटी हैं, लेकिन अब इनकी संख्या कम होकर 104 रह गई है। नक्सल प्रभावित क्षेत्र 18 हजार वर्ग किलोमीटर से ज्यादा था, अब 4200 वर्ग किलोमीटर बचा हुआ है। उन्होंने कहा कि नाइट लैन्डिंग हेलिपैड्स एक भी नहीं थे, लेकिन हमने 68 बनाए हैं। श्री शाह ने कहा कि सुरक्षा कैंपों के खुलने की संख्या पहले दयनीय थी, लेकिन हमने पिछले 5 साल में 302 नए सुरक्षा कैंप खोल कर पूरे एरिया को सुरक्षित करने का काम किया है। 

श्री अमित शाह ने कहा कि फाइनेंशियल चोकिंग यानि माली तौर पर नक्सलियों की कमर तोड़ने के लिए हमने राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) और प्रवर्तन निदेशालय का उपयोग किया और उनके कई करोड़ रुपए जब्त किए। धनशोधन रोकथाम कानून (पीएमअलए) के तहत केस करके उन्हें धन मुहैया कराने वालों को जेल की सलाखों के पीछे भेजा। केंद्र और राज्य सरकारों के बीच लगातार बैठकें हुईं। गृह मंत्री ने कहा कि उनके स्तर पर सभी मुख्यमंत्रियों के साथ 11 और पुलिस महानिदेशकों के साथ 12 मीटिंग हुई। श्री शाह ने कहा कि हमने डाइनैमिक रणनीति बनाकर स्ट्रटीजिक लोकेशंस पर सुरक्षा बलों को तैनात किया। नक्सल प्रभावित इलाकों में विकास पहुंचाने के लिए बजट में भी 300 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी की। 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि वर्ष 2014 से 2024 तक नक्सल प्रभावित इलाकों में 11,503 किलोमीटर हाईवे का निर्माण किया गया। 20000 किलोमीटर ग्रामीण सड़कें बनाई गई। पहले चरण में 2343 और दूसरे चरण में 2545 मोबाईल टावर लगाए। 4000 मोबाईल टावर लगाने का काम जारी है। श्री शाह ने कहा कि पूरा नक्सल क्षेत्र एक दिसंबर से पहले मोबाईल कनेक्टिविटी से लैस हो जाएगा।  
श्री अमित शाह ने कहा कि नक्सल प्रभावित इलाकों में बैंकों की 1007 शाखाएं बीते पाँच साल में खोली गई हैं। 937 एटीएम शुरू किए गए। बैंकिंग सेवा से युक्त 5731 डाकघर खोले गए। उन्होंने कहा कि सभी 48 जिलों में कौशल विकास योजना पहुंची, राष्ट्रीय जांच एजेंसी का मजबूत वर्टिकल बना। 1143 आदिवासी युवाओं को सुरक्षा बलों में भर्ती किया गया। जवानों के रेस्क्यू और रिहैबिलीटेशन के लिए 6 हेलिपैड बनाए, ताकि जवानों के घायल होने पर उन्हें तुरंत अस्पताल ले जाने में मदद मिले। इसका परिणाम हुआ कि नक्सलवाद अब धीरे-धीरे सिमटता जा रहा है। गृह मंत्री ने कहा कि मारे गए नक्सलियों में उनके कई प्रमुख नेता भी शामिल हैं, जिसके कारण उनका पूरा आंदोलन चरमरा गया है। कई ऐसे नक्सलियों ने सरेन्डर किया है, जिन पर करोड़ों रुपए का इनाम था। श्री शाह ने कहा कि मारे गए नक्सली नेताओं में जोनल कमिटी के एक सदस्य, सब-जोनल कमिटी के पाँच सदस्य, राज्य स्तरीय कमिटी के दो सदस्य, डिवीजनल कमिटी के 31 सदस्य और एरिया कमिटी के 59 सदस्य शामिल हैं। उन्होंने कहा कि सरेन्डर के लिए भी सरकार लचीली नीति लेकर आई है। गृह मंत्री ने कहा कि जो हमारी घोषणाओं का मजाक उड़ाते हैं, उन्हें वे पूरे विश्वास के साथ कहना चाहते हैं कि मोदी सरकार के रहते ही यह देश नक्सल समस्या से मुक्त हो जाएगा।                 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पूर्वोत्तर की समस्या को भी हम समाप्त करने की कगार पर हैं। वहाँ भी हिंसक घटनाओं में 70 प्रतिशत की कमी आई है। हताहत सुरक्षा कर्मियों की संख्या में 72 प्रतिशत और हताहत नागरिकों की संख्या में 85 प्रतिशत की कमी आई है। हमारी सरकार आने के बाद सभी हथियारबंद समूहों से बात की। वर्ष 2019 से लेकर अब तक 12 महत्वपूर्ण शांति समझौते किए। उन्होंने कहा कि वर्ष 2020 में एनएलएफटी के साथ समझौता, 2021 में ब्रू-रियांग के साथ समझौता, 2022 में कार्बी समझौता और आदिवासी संगठनों के साथ समझौता, 2022 में असम और मेघालय का अंतर-राज्यीय सीमा समझौता, 2023 में डीएनएलए, यूएनएलएफ और उल्फा का समझौता, असम और अरुणाचल का अंतर-राज्यीय सीमा समझौता, 2024 में तिपरा के साथ समझौता और एनएलएफटी तथा एटीटीएफ का समझौता हुआ। 

श्री अमित शाह ने कहा कि कुल मिलाकर 10900 युवा हथियार डाल कर मुख्यधारा में आए हैं। बोडोलैंड में हजारों युवा विकास के रास्ते पर चल पड़े हैं। वे अपनी ही भाषा में पढ़ते हैं और अपने ही धर्म का अनुसरण करते हैं। उन्होंने कहा कि बोडोलैंड समझौता जब हुआ तब सब मजाक उड़ा रहे थे, लेकिन अब परिस्थिति बदल गई है। असम में पाँच लाख करोड़ रुपए के निवेश के समझौते हुए हैं। एक जमाने में असम में इंडस्ट्री स्वप्न माना जाता था, लेकिन आज वहाँ शांति है। पूर्वोत्तर में सशस्त्र बल विशेषाधिकार कानून की परिधि को भी 70 प्रतिशत तक कम कर दिया गया है। मिजोरम से भागकर त्रिपुरा में बसने को विवश हुए आदिवासी भाइयों-बहनों के लिए ब्रू पुनर्वास समझौता हुआ, जिसके तहत सभी 37000 ब्रू-रेयांग परिवारों को 150 गज का घर दिया, एक सामुदायिक भवन, स्कूल और दवा खाना दिया गया। साथ ही सभी घरों से दो युवाओं को स्किल्ड बना कर उन्हे स्व-रोजगार की दिशा में आगे बढ़ाया। श्री शाह ने कहा कि आठ महीने पहले वे त्रिपुरा में उसी क्षेत्र को देखकर आए, जहां वे पांच साल पहले गए थे। आज उसमे जमीन-आसमान का फर्क हैं। उन्होंने कहा कि सारे ब्रू रियांग भाई-बहन दोनों हाथ जोड़-जोड़ कर अपने ईश्वर से श्री नरेन्द्र मोदी जी को दुआ देते हैं। 

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि 6935 परिवार और 37584 लोगों को नर्क के जीवन से निकालने का काम नरेन्द्र मोदी सरकार ने किया है। उन्होंने कहा कि हमने विकास के बजट में भी 153 प्रतिशत की वृद्धि की है और पूर्वोत्तर के आठों राज्यों को तेल मिश्न, बांस मिश्न, जैविक खेती, और अंडा, मच्छली तथा दूध में आत्मनिर्भर बनाने की कार्ययोजना से उनके लिए समृद्धि के रास्ते खोले हैं। श्री शाह ने कहा कि 17 विघुत्त परियोजनाए, जल आपूर्ति की 40, शिक्षा की 44, स्वास्थ्य की 43, खेल की 7 और पर्यटन की 4 नई परियोजनाएं शत-प्रतिशत भारत सरकार के बजट से बनाई गईं हैं। 

श्री अमित शाह ने कहां कि रेलवे में 81900 करोड़ का इंवेस्टमेंट, सड़क में हाईवे में, 41500 करोड़, ग्रामीण सड़क में 47 हजार करोड़ और 64 नए एयर रुट और हेलिकॉप्टर रुट की शुरुआत कर सरकार ने पूर्वोत्तर में कनेक्टिविटी को मजबूत किया है। उन्होंने कहा कि इससे दिल्ली और पूर्वोत्तर का भौतिक अंतर तो कम हुआ है, साथ ही मोदी जी ने दिल्ली और पूर्वोत्तर के दिलों का अंतर भी कम कर दिया है। गृह मंत्री ने कहा कि वाईब्रेन्ट विलेज कार्यक्रम के तहत भारत सरकार ने अकेले अरुणाचल में 4800 करोड़ रुपये का निवेश किया है। पहले दुर्गम चोटियों पर बसे गांव अपने को भारत का अंतिम गांव मानते थे, मोदी जी ने एक बड़े सरल शब्द से भारत के अंतिम गांव को भारत का पहला गांव बनाने का काम किया है। 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि मोदी जी ने आतंकवाद के खिलाफ जीरो टोलरेंस नीति को धार देने के लिए एक मजबूत कानूनी आधार दिया है। 2 अगस्त 2019 में NIA एक्ट में संशोधन कर नए अपराधों को शामिल करने के साथ ही NIA को विदेश में भी जांच का अधिकार मिला है। UAPA में भी संशोधन करने के साथ ही आतंकवादियों की संपत्ति जब्त करने और व्यक्तियों को भी आतंकवादी घोषित करने का अधिकार मिला है। उन्होंने कहा कि De-radicalization  के प्रयासों को भी कानूनी ताकत देने का काम हुआ। श्री शाह ने कहा कि Multi Agency Centre (MAC) को भी revamp किया गया है। MAC के अंदर साइबर सुरक्षा, नार्को टेररिजम, गन रनिंग, ओरगनाइजड़ क्राइम और उभरते हुए कटरपंथी hotspot को MAC के रिपोर्टिंग का हिस्सा बनाया गया, इसके साथ ही नेशनल मेमोरी बैंक भी बनाया गया। 
श्री अमित शाह ने कहा कि 57 व्यक्तियों को आतंकवादी और 23 एसोसिएशन को विधि विरुद्ध संगठन (unlawful association) घोषित किया है। 2019 से 2024 के बीच में हुरियत के सबसे serious  टाइप के 14 संगठन प्रतिबंधित कर दिए गए। उन्होंने कहा कि जिस हुर्रियत को एक जमाने में पाकिस्तान से बात करने के लिए एक मीडिएटर की तरह इस्तेमाल करते थे, उसको हमने समाप्त कर दिया है। गृह मंत्री ने कहा कि सरकार ने Popular Front of India (PFI) पर प्रतिबंध लगाया और एक साथ देश के 24 राज्यों में रेड डालकर PFI के एक-एक सदस्य को जेल की सलाखों के पीछे पहुँचा दिया । 
उन्होंने कहा कि वामपंथी उग्रवाद, कश्मीर में आतंकवाद, फेक इंडियन करेन्सी नोट, नार्को टेरर लिंक, खालिस्तान समर्थक उग्रवाद, radicalization के प्रयास, फाइनेंनसिंग और अवैध हथियारों की तस्करी जैसे 25 आयामों को NIA के तहत कानूनी आधार देकर इन पर कानून का शिकंजा कसने का काम किया। श्री शाह ने कहा कि देश की सुरक्षा के विरुद्ध ह्यूम्न ट्रैफिकिंग का उपयोग, साइबर आतंकवाद, विस्फोटक पदार्थ अधिनियम का उपयोग, आर्मस एक्ट में संशोधन से हमने एक सर्कल पूरा करने का काम किया है। जहां से भी खतरा हो सकता था उन सभी 25 आयामों को एक सर्कल में लाकर NIA  के अधीन किया है। 

श्री अमित शाह ने कहा कि NIA में 1244 पद सृजित किए, 16 नए ब्रांच ऑफिस खोले और दो नए जोनल कार्यालय खोले गए हैं। उन्होंने कहा कि 652 मामलों में से एक भी मामले को सर्वोच्च अदालत तक अनुचित घोषित नहीं किया गया है। 652 मामले में से 516 में चार्जशीट दायर किए गए, 157 मामलों में फैसला आ गया है और 150 मामलों में सजा दी गई है। उन्होंने कहा कि इस प्रकार 95 प्रतिशत दोषसिद्धि दर हासिल की गई है और दुनियाभर की एंटी टेरर एजेंसी में NIA की दोषसिद्धि दर सबसे ऊंची है। गृह मंत्री ने कहा NIA ने DRDO के साथ समझौता कर केमिकल, न्यूकलियर, बायोलोजिकल टेरिरिजम के मामले के भी तैयारी शुरु की है। श्री शाह ने कहा कि NIA के अधिकारों को अंतराष्ट्रीय एक्सपोजर देने के लिए एग्रीमेंट भी किए है और NIA और Central Forensic Science Laboratory के साथ एक अनुबंध कर CSFL में टेरिरिजम के खिलाफ एक नया वर्टिकल भी शुरु करने का काम किया है। 

गृह मंत्री ने कहा कि इसके साथ-साथ MAC को भी सृढ़ढ किया है। मोदी जी के नेतृत्व में सरकार आने के बाद MAC में counter terrorism की एक अलग व्यवस्था की गई है जिसमें 72 हजार रिपोर्ट जनरेट हुए है। इस जानकारी को गोपनीय रखने के लिए एक बहुत अच्छे कम्युनिकेशन चैनल से इसे जिले और पुलिस स्टेशन तक पहुंचाने की व्यवस्था भी 10 साल के अंदर ही खड़ी हुई है। श्री शाह ने कहा कि NATGRID के माध्यम से कई सारे आरोपियों को पकड़ने के लिए 35 से ज्यादा डेटा को एक ही जगह पर एकत्रित कर हमने इस लड़ाई को और पुख्ता किया है।
 
श्री अमित शाह ने कहा कि ड्रग्स एक गंभीर समस्या है लेकिन ये लड़ाई अकेले सरकार नहीं लड़ सकती है। उन्होंने कहा कि मोदी  सरकार की यह नीति है कि जो ड्रग लेता है वो इस समस्या का पीड़ित है और ड्रग का व्यपार करने वाला गुनहगार है । 

गृह मंत्री ने कहा कि हमने whole of government, whole of nation, अप्रोच अपनाई है। केंद्र सरकार के गृह, वित्त, शिक्षा, स्वास्थ्य और समाज कल्याण मंत्रालयों के साथ ही सभी राज्य सरकारे भी साथ मिलकर  इस बुराई के खिलाफ लड़ रहे है। हमने top to bottom और bottom to top अप्रोच के साथ जांच का नया प्रयोग शुरु किया है। ड्रग की एक पुडिया भी मिलती है तो वह देश में कहाँ से आई उसकी पूरी जांच होती है, इस एक Individual केस नहीं माना जाता। उन्होंने कहा कि अंतराष्ट्रीय सीमा में अगर ड्रग पकड़ा जाती है तो वह पुडिया बन कर कहां तक जाने वाला थी इसकी पूरी जांच होती है और हमे इसके बहुत अच्छे नतीजे भी मिले है। श्री शाह ने कहा कि इस चुनौती का व्यक्तिगत स्तर, राष्ट्रीय स्तर, देश के आर्थिक नुकसान और देश की सुरक्षा पर चतुषकोणीय दुष्प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि ड्रग मनी का नक्सलवाद, आतंकवाद, अलगावाद में उपयोग, crypto currency के चलन में वृद्धि और crypto currency का ड्रग में उपयोग जैसे बहुकोणीय हमले को देखकर इसी तरह की नीति अपनाई है। 
केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि वर्ष 2019 में गृह मंत्रालय ने 4 स्तरीय NCORD मैकेनिज़्म का गठन किया और पिछले 5 साल में अब तक NCORD की 7 शीर्षस्तरीय, 5 कार्यकारी स्तरीय, 191 राज्यस्तरीय और 6150 ज़िलास्तरीय बैठकें हो चुकी हैं। उन्होंने कहा कि ड्रग्स पर प्रहार के अच्छे परिणाम आए हैं। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हमारे पड़ोस के दो क्षेत्रों को गोल्डन ट्रायंगल और गोल्डन क्रिसेंट के नाम से जाना जाता था, लेकिन हमने प्रयास किए और अब पूरी दुनिया ने इन्हें डेथ ट्रांयगल और डेथ क्रेसेंट के नाम से स्वीकार करना शुरू किया है। गृह मंत्री ने कहा कि ये नज़रिए में बदलाव का परिणाम है। उन्होंने कहा कि ड्रग्स एक व्यापार नहीं है बल्कि पूरी दुनिया के युवाओं के लिए खतरा है और नस्लें बरबाद करने का साधन है। 

श्री अमित शाह ने कहा कि वर्ष 2004 से 2014 के दौरान 25 लाख किलोग्राम ड्रग्स जब्त की गई जबकि 2014 से 2024 के दौरान ये बढ़कर एक करोड़ किलोग्राम से ज्यादा हो गई। 2004 से 2014 के दौरान 40 हज़ार करोड़ रूपए की ड्रग्स पकड़ी गई, जबकि 2014 से 2024 के बीच 1 लाख 50 हज़ार करोड़ रूपए मूल्य की ड्रग्स पकड़ी गई है। उन्होंने कहा कि गत 5 साल में 14 हज़ार करोड़ रूपए मूल्य की 23 हज़ार किलोग्राम सिंथेटिक ड्रग्स नष्ट की गई है। श्री शाह ने कहा कि 2004 से 2014 के दौरान 10 साल में 3 लाख 36 करोड़ किलोग्राम ड्रग्स को जलाया गया जबकि 2014 से 2024 के दौरान 31 लाख किलोग्राम ड्रग्स को जलाया। उन्होंने कहा कि देशभर में सिंथेटिक ड्रग्स बनाने की कुल 72 प्रयोगशालाएं पकड़कर नष्ट की हैं। पिछली सरकार के कार्यकाल में नारकोटिक्स के 1 लाख 73 हज़ार मामले दर्ज किए गए थे, मोदी सरकार ने 6 लाख 56 हज़ार मामले दर्ज किए हैं। 

गृह मंत्री ने कहा कि हमारी सरकार का लक्ष्य है कि न तो एक भी ग्राम ड्रग्स कहीं से भारत में आने देंगे और न ही यहां से होकर कहीं जाने देंगे। उन्होंने कहा कि ड्रग्स की समस्या को केन्द्र सरकार अकेले नहीं हल कर सकती बल्कि इसमें देश के हर नागरिक को योगदान देना चाहिए। श्री शाह ने कहा कि ड्रग्स के कारोबार से पैसा कमाने वाले और इस पैसे को आतंकी गतिविधियों में लगाने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने कहा कि मोदी सरकार एक कंप्लीट ड्रोनरोधी सॉल्यूशन प्राप्त करने के बहुत नज़दीक है और अगले 6 माह में ही आत्मनिर्भर भारत के प्रतीक के रूप में एक पूर्ण स्वदेशी ड्रोनरोधी मॉड्यूल हमारे सामने होगा। 

केन्द्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि आज़ादी के 75 साल बाद तक अंग्रेज़ों की संसद द्वारा, उनके शासन को मज़बूत और सुरक्षित रखने के लिए बनाए गए आपराधिक कानून चले आ रहे थे। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी ने लाल किले की प्राचीर से पंच प्रण की घोषणा की जिनमें गुलामी के प्रतीकों से मुक्ति भी शामिल था। उन्होंने कहा कि 1 जुलाई 2024 से तीन नए आपराधिक कानूनों – भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 – को पूरे देश में लागू किया गया। श्री शाह ने कहा कि अगले 3 साल में ये नए कानून हर राज्य के हर पुलिस स्टेशन में शत-प्रतिशत लागू हो जाएंगे जिसके बाद देश में किसी भी केस में सुप्रीम कोर्ट तक 3 साल में न्याय प्राप्त हो सकेगा। उन्होंने कहा कि ये नए आपराधिक कानून 21वीं शताब्दी का सबसे बड़ा रिफॉर्म है और तकनीक की दृष्टि से हमारे कानून विश्वभर में आधुनिक हैं। श्री शाह ने कहा कि तीन नए कानूनों के पूरी तरह लागू होने के बाद दोष सिद्धि दर में हम दुनिया के देशों के समकक्ष पहुंचेंगे और आगे भी निकलेंगे।  
श्री अमित शाह ने कहा कि इन नए आपराधिक कानूनों में फॉरेंसिक साइंस को बहुत महत्व दिया गया है और 7 वर्ष से अधिक सज़ा वाले हर अपराध में फॉरेंसिक साइंस लैब की विज़िट को अनिवार्य कर दिया गया है। नए कानूनों में पुलिस, प्रॉसीक्यूशन और न्यायपालिका के लिए कानूनी प्रावधानों के तहत समयसीमा तय की गई है। गृह मंत्री ने कहा कि घोषित अपराधी की अनुपस्थिति में अब ट्रायल चल सकेगा। उन्होंने कहा कि 5 हज़ार रूपए से कम की चोरी के लिए सामुदायिक सेवा का प्रावधान किया गया है। भारत के बाहर की संपत्ति भी अब कुर्क होगी। डायरेक्टर ऑफ प्रॉसीक्यूशन को पुलिस से अलग कर दिया गया है। 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि नए आपराधिक कानूनों में मॉब लिंचिंग का नया अपराध जोड़ा गया है और इनमें संगठित अपराध को पहली बार व्याख्यायित किया गया है। उन्होंने कहा कि नए कानून पीड़ित-केन्द्रित हैं और इनमें पीड़ित को अपनी बात रखने का अधिकार दिया गया है। इन कानूनों में पुलिस की जवाबदेही को भी सुनिश्चित किया गया है और सर्च तथा जब्ती की रिकॉर्डिंग को अनिवार्य किया गया है। श्री शाह ने कहा कि अंग्रेज राजद्रोह का कानून बनाकर गए थे, हमने राजद्रोह के कानून को देशद्रोह में बदला है और अब देश के खिलाफ कोई नहीं बोल सकता। आज तक आतंकवाद की कोई व्याख्या ही नहीं की गई थी, लेकिन इन कानूनों में पहली बार आतंकवाद को परिभाषित किया गया है। उन्होंने कहा कि सभी राज्यों ने इन नए आपराधिक कानूनों को स्वीकार लिया है। श्री शाह ने कहा कि हम आने वाले दिनों में अलग-अलग पड़े डेटा को सॉफ्टवेयर के माध्यम से एक दूसरे के साथ संवाद करने वाला बनाने के लिए भी पहल कर चुके हैं।

श्री अमित शाह ने कहा कि साइबर अपराध को रोकने के लिए Indian Cybercrime Coordination Centre (I4C) बनाया गया है और प्रधानमंत्री मोदी जी ने I4C को पुख्ता करने के लिए कई पहल की हैं। उन्होंने कहा कि वर्तमान में कुल 7 वर्टिकल्स में ICJS 1.0 (Inter-operable Criminal Justice System) और ICJS 2.0 काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि CCTNS (Crime & Criminal Tracking Network System)  में 17,771 पुलिस स्टेशन जोड़ दिए गए हैं और 34 करोड़ 1 लाख पुलिस रिकॉर्ड आज हमारे पास डेटा पर उपलब्ध हैं। ई-कोर्ट में 22 हज़ार अदालतों को जोड़ लिया गया है और  ई-प्रिज़न में 2.2 करोड़ कैदियों का डेटा उपलब्ध है, 1361 जेलों को जोड़ दिया गया है। ई-प्रॉसीक्यूशन में 1 करोड़ 93 लाख से अधिक प्रॉसीक्यूशन केसों की सामग्री उपलब्ध है। ई-फ़ॉरेंसिक में 28 लाख  70 हज़ार से अधिक फॉरिंसिक देश की 117 लैब का जमा हो चुका है, नफीस में 1 करोड़ 12 लाख फिंगरप्रिंट का डेटा है और NIDAAN (National Integrated Database on Arrested Narco-Offenders) में 8 लाख 11 हज़ार से अधिक नार्को ऑफेंडर का डेटा उपलब्ध है। उन्होंने कहा कि ये सारा डेटा अलग-अलग पड़ा है लेकिन अब हम आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस का उपयोग कर इस सारे डेटा को एक दूसरे के साथ जोड़कर क्राइम को कंट्रोल और रेस्ट्रिक्ट करने के लिए कई सारे एनालिसिस उपलब्ध कराएंगे। उन्होंने कहा कि लगभग 6 माह में ये सब पूरा हो जाएगा और इसके बाद अपराधियों को बचने की जगह नहीं मिलेगी। 

केन्द्रीय गृह मंत्री ने कहा कि हमने फॉरेंसिक साइंस के क्षेत्र में चतुष्कोणीय रणनीति अपनाई है - इन्फ्रास्ट्रक्चर में मज़बूती, विशेषज्ञों की मैनपावर का निर्माण, दुनियाभर की अद्यतन फॉरेंसिक तकनीक की उपलब्धता और शोध एवं अनुसंधान को बढ़ावा देना। 

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