Delhi Judge Controversy: अग्निकांड से खुला जज का बड़ा राज, SC ने लिया ये एक्शन… कौन हैं जस्टिस यशवंत वर्मा?

दिल्ली हाईकोर्ट के जज हैं जस्टिस यशवंत वर्मा...जो अचानक चर्चा में आ गए। बात उठी थी उनके ट्रांसफर की...सवाल उठे कि उनका ट्रांसफर क्यों ? इसका जवाब एक ऐसे राज के साथ मिला जिसने सभी को हैरान कर दिया।
क्या है पूरा मामला?
14 मार्च होली का दिन था...लिहाजा दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशंवत वर्मा भी छुट्टी मना रहे थे। वे घर से बाहर थे। तभी घर में अचानक आग लग गई। परिवार के बाकी लोगों ने आनन-फानन में फायर ब्रिगेड को बुला लिया। फायर ब्रिगेड की टीम मौके पर पहुंची, आग पर काबू पा लिया गया। आग बुझाने के बाद टीम जस्टिस यशवंत शर्मा के घर नुकसान का जायजा ले रही थी। तभी कर्मचारियों को एक कमरे में भारी मात्रा में कैश मिला। इसके बाद आग तो ठंडी पड़ गई थी गई लेकिन न्यायपालिका में भ्रष्टाचार से जुड़ी चिंगारी भड़क उठी। बात ऊपर तक पहुंची। पुलिस के आलाधिकारियों ने गृह मंत्रालय को इसकी जानकारी दी। इसके बाद चीफ जस्टिस संजीव खन्ना ने बड़ा एक्शन लेते हुए जस्टिस यशवंत शर्मा के ट्रांसफर के आदेश जारी कर दिए। पांच सदस्यीय कॉलेजियम कमेटी में यशवंत शर्मा को इलाहाबाद हाईकोर्ट ट्रांसफर करने का फैसला लिया गया। वहीं, पुलिस की टीम ने कैश बरामद कर लिया। इस घटना के बाद न्यायपालिका में भ्रष्ट्राचार का मुद्दा उठने लगा।
कॉलेजियम की बैठक में क्या हुआ ?
केंद्र सरकार ने चीफ जस्टिस घटना को कैश कांड की पूरी जानकारी दी
5 वरिष्ठ जजों की कॉलेजियम बैठक बुलाई गई
कॉलेजियम में जस्टिस यशवंत वर्मा का ट्रांसफर तुरंत इलाहाबाद हाईकोर्ट करने का फैसला हुआ
बैठक में इस बात पर भी सहमति बनी कि ट्रांसफर काफी नहीं आगे भी कार्रवाई होनी चाहिए
कॉलेजियम के कुछ सदस्यों का सुझाव था कि जस्टिस वर्मा का इस्तीफा मांगा जाना चाहिए
इस्तीफे से इंकार करते हैं तो उन्हें हटाने के लिए महाभियोग की प्रक्रिया भी अपनाई जा सकती है
वहीं, जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ इन हाउस जांच भी हो सकती है। कॉलेजियम की बैठक में माना गया कि ये मामला न्यायपालिका की छवि को धूमिल करने वाला है।
कौन हैं यशवंत वर्मा
जस्टिस यशवंत वर्मा 2006 से अपनी पदोन्नति तक इलाहाबाद हाई कोर्ट के विशेष वकील रहे
इससे पहले उन्होंने 2012-2013 तक यूपी के मुख्य स्थायी वकील का पद भी संभाला
जस्टिस वर्मा 13 अक्टूबर, 2014 में इलाहाबाद हाईकोर्ट के जज नियुक्त हुए
1 फ़रवरी, 2016 को वर्मा को स्थायी न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया
11 अक्टुबर 2021 में यशवंत वर्मा का दिल्ली हाईकोर्ट में ट्रांसफर हुआ
दिल्ली हाई कोर्ट के जजों की वरिष्ठ श्रेणी में तीसरे नंबर पर थे यशवंत वर्मा
कपिल सिब्बल ने उठाए सवाल
जस्टिस यशवंत वर्मा से जुड़े इस कैश कांड के बाद समाजवादी पार्टी के नेता और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन के अध्यक्ष कपिल सिब्बल ने भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा, न्यायपालिका के अंदर भ्रष्टाचार का मुद्दा बहुत गंभीर है। मुझे लगता है अब समय आ गया है कि सुप्रीम कोर्ट को इस मुद्दे पर विचार करना चाहिए कि नियुक्ति प्रक्रिया कैसे होनी चाहिए ? इसे और अधिक पारदर्शी होना चाहिए।
दिल्ली हाईकोर्ट के जज के घर बेहिसाब पैसे का हिसाब तो जांच के बाद ही मिल पाएगा। लेकिन तमाम सवाल हैं जैसे जस्टिस यशवंत वर्मा के खिलाफ केस चलेगा या नहीं ? क्या महज ट्रांसफर कर मामला दबा दिया जाएगा। भ्रष्टाचार के एंगल से जांच कब शुरू होगी ? देखना अहम होगा की क्या एक्शन के नाम पर ट्रांसफर कर पल्ला झाड़ लिया गया या आगे भी कोई बड़ा कदम उठाया जाएगा ? जब न्यायधीश के ही भ्रष्टाचार में लिप्त होने की बात सामने आ रही है तो जनता किस पर भरोसा करेगी। ये पूरा मामला न्याय तंत्र पर बड़े सवाल उठाता है।