सनातन धर्म पर केरल सीएम का तीखा हमला, ब्राह्मणवादी जाति, व्यवस्था और महाभारत पर उठाए सवाल
केरल के सीएम ने सनातन धर्म पर तीखा हमला करते हुए कहा कि "सनातन धर्म सार्वभौमिक कल्याण की बात करता है। लेकिन इसके लिए "गाय और ब्राह्मणों की भलाई के शर्त को जोड़ दिया जाता है। यह धर्म जातिगत सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए ब्राह्मणवादी वर्चस्व को बढ़ावा देता है।
केरल के मुख्यमंत्री ने सनातन धर्म पर तीखा हमला बोला है। उन्होंने सनातन धर्म और जाति व्यवस्था पर कई टिप्पणी की है। मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने मंगलवार को सिवागिरी माधोम में 92वें तीर्थ
सिवागिरी यात्रा के उद्घाटन समारोह के दौरान सामाजिक सुधार का संदेश देते हुए यह बात कही। इसके अलावा दलितों और पिछड़ों के लिए न्याय की मांग की।
श्री नारायण गुरु ने वंशानुगत व्यवसायों को को चुनौती दी
केरल सीएम पिनाराई विजयन ने सिवागिरी यात्रा के दौरान कहा कि वर्णाश्रम धर्म वंशानुगत व्यवसायों को महामंडित करता है। लेकिन श्री नारायण गुरु ने वंशानुगत व्यवसायों को चुनौती दी। ऐसे में गुरु को सनातन धर्म का समर्थक कैसे कहा जा सकता है? उन्होंने सिवागिरी माधोम मंदिर द्वारा मंदिर में प्रवेश करने से पहले भक्तों को शर्ट उतारने की प्रथा को भी खत्म करने को कहा। वहीं सिवागिरी माधोम के अध्यक्ष स्वामी सच्चितानंद ने इस प्रथा को पुराने समय का अवशेष करार दिया। उन्होंने कहा कि उनकी बातों ने श्री नारायण गुरु के सुधारवादी विचारों और उनके संदेश को प्रतिबिंबित किया।
अन्य मंदिरों में भी इस दिशा में कदम उठाए जाएंगे
सीएम विजयन ने बताया कि, "श्री नारायण गुरु से जुड़े मंदिरों ने इस प्रथा को पहले ही छोड़ दिया है। हम उम्मीद जता रहे हैं कि अन्य मंदिरों में भी इस दिशा में कदम उठाए जाएंगे।" विजय ने श्री नारायण गुरु को सनातन धर्म के समर्थन के रूप में प्रस्तुत करने पर भी निंदा की। उनका कहना है कि, "सनातन धर्म और वर्णाश्रम धर्म में कोई विशेष अंतर नहीं है। यह दोनों सामाजिक व्यवस्था को जाति आधारित रूप से बांधते हैं और सभी निम्न वर्गों के लिए सामाजिक उन्नति के रास्ते बंद कर देते हैं।"
सनातन धर्म पर किया तीखा हमला
केरल के सीएम ने सनातन धर्म पर तीखा हमला करते हुए कहा कि सनातन धर्म सार्वभौमिक कल्याण की बात करता है। लेकिन इसके लिए "गाय और ब्राह्मणों की भलाई के शर्त को जोड़ दिया जाता है। यह धर्म जातिगत, सामाजिक व्यवस्था को बनाए रखने के लिए ब्राह्मणवादी वर्चस्व को बढ़ावा देता है। उन्होंने महाभारत में न्याय के अस्पष्टता पर भी सवाल खड़े किए। उनका कहना है कि महाभारत उस युग की रचना है जब समाज आदिवासी व्यवस्था से जातिगत राजनीति में बदल रहा था। श्री नारायण गुरु ने इस ग्रंथ की न्याय के प्रति अस्पष्टता पर कठोर सवाल उठाए। महाभारत स्वयं यह तय नहीं करता कि धर्म क्या है? बल्कि धर्म को लेकर संदेह और प्रश्न खड़े करता है। हम ऐसे समय में जी रहे हैं। जब सनातन हिंदुत्व को अत्यंत श्रेष्ठ और गौरवशाली बताने की कोशिश की जा रही है। इसे सभी सामाजिक समस्याओं का समाधान बताया जा रहा है। "लोकाः समस्ताः सुखिनो भवन्तु" जैसे नारे का अर्थ निश्चित रूप से सकारात्मक है। लेकिन यह सार्वभौमिक खुशी की कामना करता है। इसे केवल हिंदुत्व की विशेषता के रूप में प्रस्तुत करना एक प्लानिंग का हिस्सा है।
केरल सीएम ने दलितों और पिछड़ों के लिए की न्याय की मांग
केरल सीएम का कहना है कि हमारे देश में आज भी ग्रामीण इलाकों में दलितों, पिछड़ों और अल्पसंख्यकों पर लगातार अत्याचार हो रहे हैं। इन अत्याचारों को राजनीतिक और प्रशासनिक संरक्षण मिलता है। जिसकी वजह से अपराधी कानून की गिरफ्त में आने से बच जाते हैं। श्री नारायण गुरु का मानवतावादी संदेश सामाजिक समानता और न्याय का मार्ग दिखाता है। सभी लोग सामाजिक सुधारों के लिए सिवागिरी के नेतृत्व का अनुसरण करें।