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बिहार में फिर से पार्टी को मजबूत बनाने में नए कांग्रेस प्रभारी को कई चुनौती से निपटना होगा

कांग्रेस ने दिल्ली चुनाव में निराशाजनक परिणाम के बाद पार्टी ने कई राज्यों में अपने प्रभारी बदल दिए हैं। इस बदलाव के तहत मोहन प्रकाश को बदलते हुए पार्टी ने कृष्णा अल्लावरु को बिहार कांग्रेस का नया प्रभारी बनाया है।
बिहार में फिर से पार्टी को मजबूत बनाने में नए कांग्रेस प्रभारी को कई चुनौती से निपटना होगा
दिल्ली विधानसभा चुनाव के बाद सियासी पार्टियों की नजर बिहार के आगामी विधानसभा चुनाव पर है। बिहार में एनडीए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के नेतृत्व में चुनाव लड़ेगी। वही, विपक्ष की इंडिया गठबंधन में भले ही आरजेडी, कांग्रेस साथ चुनाव लड़ने तैयारी में हो लेकिन ख़ुद की पार्टी की जमीन को मजबूत करने के लिए कांग्रेस पार्टी ने महत्वपूर्ण कदम उठाए है। दरअसल, कांग्रेस ने दिल्ली चुनाव में निराशाजनक परिणाम के बाद पार्टी ने कई राज्यों में अपने प्रभारी बदल दिए हैं। इस बदलाव के तहत मोहन प्रकाश को बदलते हुए पार्टी ने कृष्णा अल्लावरु को बिहार कांग्रेस का नया प्रभारी बनाया है। 

पार्टी को मजबूत करने में लगी कांग्रेस 

प्रभारी बनाए जाने के बाद बिहार के बड़े नेताओं ने कृष्णा अल्लावरु को बधाई दी है। कांग्रेस के राहुल गांधी के करीबी माने जाने वाले कृष्णा कांग्रेस के विश्वास पर कितना खरे उतरेंगे, यह तो भविष्य में पता चलेगा लेकिन, इतना तय है कि उनकी बिहार की राह आसान नहीं होने वाली है। बिहार में इस साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। फिलहाल पार्टी राजद नेतृत्व वाले महागठबंधन के साथ खड़ी नजर आ रही है। वही सूत्रों की माने तो कांग्रेस बिहार चुनाव के दौरान भी आक्रामक रवैय्या अपना सकती है अगर चुनाव में पार्टी को महगठबंधन में उचित सीट आरजेडी देने से इनकार करती है। बताते चले कि दिल्ली विधानसभा चुनाव के दरम्यान कांग्रेस पार्टी ने अकेले चुनाव लड़ने के एलान किया था। इससे पहले महाराष्ट्र में भी कांग्रेस ने सीट बँटवारे को लेकर अपनी मांग पर अड़ी हुई थी। राजनीतिक जानकारों की माने तो कांग्रेस पार्टी के राजनीति करने का वर्तमान अंदाज भविष्य में पार्टी को फ़ायदा पहुंचा सकता है। 

खोई जमीन तलाशने की कोशिश 

कांग्रेस बिहार में पिछले कई सालों से अपनी खोई जमीन की तलाश में है, लेकिन उसे अब तक सफलता नहीं मिली है। वर्ष 2015 के विधानसभा चुनाव में पार्टी ने 27 सीटें जीतकर अपनी मजबूती का दावा भी पेश किया था, लेकिन पांच साल बाद हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस मात्र 19 सीटें ही जीत सकी। पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस महागठबंधन में शामिल होकर राज्य के 243 विधानसभा सीटों में से 70 सीटों पर चुनाव लड़ी और उसके मात्र 19 प्रत्याशी ही विजयी हो सके। कांग्रेस के नेता एक बार फिर 70 सीटों की मांग कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि कृष्णा अल्लावरु को ऐसे समय में बिहार कांग्रेस का प्रभार मिला है, जब कुछ ही महीने बाद राज्य में विधानसभा का चुनाव होना है। बेहद कम समय में न केवल उन्हें पार्टी और संगठन को मजबूती देने पर काम करना होगा, बल्कि राजद के साथ सीट बंटवारे पर भी सामंजस्य बिठाना होगा। बताया जा रहा है कि राजद इस बार किसी हाल में कांग्रेस को 70 सीट देने के पक्ष में नहीं है। ऐसे में लालू यादव और तेजस्वी यादव से तालमेल बनाना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी। 

कांग्रेस के एक नेता ने नाम नहीं प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि बिहार में कांग्रेस को पुरानी पटरी पर लाने के लिए बड़े परिवर्तन की आवश्यकता है, केवल प्रभारी बदलने से कुछ नहीं होगा। पार्टी के कार्यकर्ता भी हताशा और निराशा में हैं। कांग्रेस की स्थिति यह है कि प्रदेश अध्यक्ष अब तक प्रदेश की कमिटी की घोषणा नहीं कर पाए हैं। ऐसे में नए कांग्रेस प्रभारी को बिहार में कई मोर्चों पर लड़ाई लड़नी होगी। 
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