मुस्लिमों की टोपी क्यों नहीं पहनते हैं Modi और Yogi, जवाब सुनकर दंग रह जाएंगे !

योगी क्यों नहीं लगाते गोल टोपी?
तन पर भगवा, कानों में कुंडल और कड़क मिजाज, कुछ ऐसे ही हैं उत्तर प्रदेश की सत्ता संभाल रहे योगी आदित्यनाथ, जो मुख्यमंत्री के साथ-साथ गोरखनाथ मठ के महंत भी हैं, और लगातार पांच बार लोकसभा चुनाव जीतने के साथ ही लगातार दूसरी बार बतौर मुख्यमंत्री यूपी की सत्ता भी संभाल रहे हैं. लेकिन इसके बावजूद मुस्लिमों का वोट बैंक साधने के लिए कभी किसी कार्यक्रम में गोल टोपी नहीं लगाई. क्योंकि सीएम योगी कहते हैं कि...
गोल टोपी पर क्या बोले योगी?
"मेरी आस्था मेरे साथ है, मैं जबरन पाखंड क्यों करूं, जो मेरी आस्था होगी मैं वही तो बोलूंगा, मैं उन लोगों में नहीं हूं जो चोरी-छिपे टीका लगाते हों, चोटी रखते हों और फिर किसी सम्मेलन में जाकर गोल टोपी लगा कर लोगों को भरमाने का काम भी करते हों, नहीं मैं टीका लगाता हूं तो टीका ही लगाऊंगा, रक्षा सूत्र बांधूंगा तो रक्षा सूत्र ही बांधूंगा, गोल टोपी नहीं लगाना है तो नहीं लगाना है, मेरी आस्था राम में है तो मैं मंदिर ही जाऊंगा, अनावश्यक रूप से दूसरे को भ्रम में नहीं रखूंगा."
साल 2021 में सीएम योगी से जब पूछा गया कि वो मुस्लिमों की गोल टोपी क्यों नहीं पहनते हैं, तो उन्होंने कुछ इसी तरह से बेबाक अंदाज में जवाब दिया और डंके की चोट पर कहा कि मैं टीका लगाता हूं तो टीका ही लगाऊंगा, मैं जबरन पाखंड नहीं करता. इस एक बयान से सीएम योगी ने एक बात तो साफ कर दी कि वो एक हिंदू हैं, और हिंदू होने के नाते ना तो कभी मुस्लिमों की गोल टोपी लगाई, और ना ही भविष्य में कभी लगाएंगे.
गोल टोपी पर क्या बोले मोदी?
अब बात करते हैं देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की, जो सबका साथ, सबका विकास और सबका विश्वास के एजेंडे पर सरकार चलाते हैं, तो वहीं मुसलमानों के कई कार्यक्रम में भी शरीक हो चुके हैं, लेकिन कभी किसी कार्यक्रम में उन्होंने मुस्लिमों की गोल टोपी नहीं लगाई. क्योंकि पीएम मोदी सनातन धर्म की परंपराओं का पालन करते हैं और दूसरों की परंपराओं का सम्मान भी करते हैं. इसीलिए बात जब मुसलमानों की टोपी लगाने की आई तो मोदी ने साफ कह दिया कि मैं तो चाहता हूं कि मुसलमानों की टोपी के साथ खिलवाड़ करने वालों को सजा होनी चाहिए.
मुस्लिमों की गोल टोपी पर नरेंद्र मोदी ने ये बयान उस वक्त दिया था, जब वो देश के प्रधानमंत्री नहीं, गुजरात के मुख्यमंत्री हुआ करते थे, और प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर लोक सभा चुनाव लड़ रहे थे. और मुस्लिमों की टोपी को लेकर उनसे सवाल दरअसल इसलिए किया गया था, क्योंकि साल 2011 में तत्कालीन सीएम नरेंद्र मोदी ने एक इमाम की ओर से दी गई मुस्लिम टोपी पहनने से इंकार कर दी थी. हालांकि प्रधानमंत्री बनने के बाद पीएम मोदी अब हर साल अजमेर शरीफ चादर भी भेजते हैं, और मस्जिदों में भी जाते हैं.