RSS को लेकर Modi सरकार का एक फैसला, विपक्ष को क्यों लग रही मिर्ची
Modi सरकार ने इंदिरा गांधी सरकार का 58 साल पुराना फैसला पलटा तो खुश हो गये RSS समर्थक तो वहीं कांग्रेस को देखिये कैसे लगी मिर्ची
RSS : RSS यानी राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ। जिसकी चर्चा को भारत की राजनीति का अभिन्न अंग माना जाता है। वैसे तो हर चुनाव में बीजेपी पर सियासी विरोधियों के हमलों में RSS का नाम जरूर आता है। लेकिन इस बार RSS पर चर्चा की वजह है मोदी सरकार का एक आदेश। ये वो आदेश है, जिसमें 58 साल पुराने फैसले को पलटा गया है। दरअसल ये पूरा मामला कांग्रेस नेता जयराम रमेश के एक सोशल मीडिया पोस्ट से शुरू हुआ। जिसमें उन्होंने सरकारी आदेश की कॉपी और 58 साल पुराने आदेश की कॉपी दोनों को ही शेयर किया। जिसमें उन्होंने जिक्र किया है कि 9 जुलाई के आदेश में सरकारी कर्मचारियों के RSS की गतिविधियों में भाग लेने से संबंधित जानकारी दी गई है। सबसे पहले सरकार का वो आदेश दिखाते हैं, जो RSS से जुड़ा हुआ है।
RSS को लेकर सरकारी आदेश क्या है ?
9 जुलाई 2024 को केंद्र सरकार की ओर से आदेश जारी ।अब सरकारी कर्मचारी RSS कार्यक्रम में शामिल हो सकते हैं ।डिपार्टमेंट ऑफ़ पर्सनल एंड ट्रेंनिंग की तरफ से आदेश जारी । आदेश पर डिप्टी सेक्रेट्री गवर्नमेंट ऑफ इंडिया के हस्ताक्षर हैं ।
आरएसएस को लेकर विपक्ष की ओर से पहले से ही सवाल खड़े किए जाते रहे हैं। आपको बता दें कि देश में जब इंदिरा गांधी की सरकार थी। उसी वक्त में आरएसएस को लेकर एक आदेश आया था। जिसमें ये साफ साफ कहा गया था कि सरकारी कर्मचारी इससे नहीं जुड़ सकते हैं।
RSS को लेकर इंदिरा सरकार का फैसला क्या था ?
पहले सरकारी कर्मचारियों के RSS से जुड़ने पर रोक थी। 30 नवंबर 1966 को ये आदेश जारी किया गया था। उस वक्त देश की इंदिरा गांधी सरकार ने आदेश दिया था ।RSS को धर्मनिरपेक्ष समाज के लिए अच्छा नहीं माना गया ।
तब दलील दी थी गई थी कि आरएसएस की वजह से कर्मचारियों की तटस्थता प्रभावित हो सकती है। सिर्फ इतना ही नहीं, केंद्र सरकार ने आदेश में..सिविल सेवा (आचरण) नियम, 1964 का हवाला देते हुए ये प्रतिबंध लगाया था। लेकिन इसके बाद देश में जब जनता पार्टी की सरकार बनी तो साल 1977 में इस प्रतिबंध को हटा दिया गया। लेकिन इसके 3 साल बाद देश में फिर से 1980 में इंदिरा गांधी सत्ता में लौटीं तो इस कानून को प्रभाव में लाया गया। उस वक्त से लेकर अब तक ये कानून सभी कर्मचारियों पर लागू था।
जिस RSS को लेकर विपक्ष इतना हंगामा काटता है। उन्हें ये भी जानना चाहिए कि किन आपदाओं में संघ ने अहम भूमिका निभाई है। कैसे आजादी के बाद से आजतक संघ के सदस्य कई मौकों पर मुश्किल परिस्थितियों में भी मुस्तैद रहे।
मुश्किल परिस्थितियों में संघ की भूमिका
1962: चीन के साथ युद्ध में सेना की मदद में स्वंयसेवक पहुंचे।1962: युद्ध के बाद पंडित नेहरू ने RSS की तारीफ़ की ।1962: स्वंयसेवकों को 1963 की गणतंत्र दिवस परेड में बुलाया। 1965: पाकिस्तान से युद्ध में भी संघ के स्वयंसेवक आगे आए । 1971: ओडिशा में आए भयंकर चक्रवात में स्वंयसेवकों ने काम किया । 2001: गुजरात के भुज में भूकंप के दौरान भी मदद ।2013: केदारनाथ त्रासदी में भी स्वयंसेवकों ने मदद की ।
जिस RSS को लेकर अभी चर्चा जोरों पर है। उसी RSS की तरफ से किए गए सामाजिक काम की प्रशंसा इंदिरा गांधी से लेकर पंडित नेहरू तक कर चुके हैं। ये अलग बात है कि दोनों ने कभी RSS की विचारधारा का समर्थन नहीं किया। संघ को अब करीब 99 साल हो चुके हैं। इसकी स्थापना 27 सितंबर 1925 को विजयदशमी के दिन की गई थी। इस दौरान संघ ने कई उतार चढ़ाव देखे हैं। जिस संघ को मदद के लिए जाना जाता है। उसी संघ पर कई बार कड़े फैसले लिए गए।
संघ पर कब-कब बैन लगा ?
महात्मा गांधी की हत्या के बाद RSS पर बैन लगा। 18 महीने तक संघ पर प्रतिबंध लगा रहा । RSS पर दूसरी बार इमरजेंसी के दौर में बैन लगा। RSS इमरजेंसी के खिलाफ खड़ा हो गया था । 2 साल तक संघ पर प्रतिबंध लगा रहा । 1992 में तीसरी बार RSS पर प्रतिबंध लगा । फिर 4 जून 1993 को RSS से प्रतिबंध हटाया ।
विवाद चाहे जितना रहा हो। राजनीति चाहे जितनी हुई हो। लेकिन ये भी सच है कि संघ ने करीब करीब हर साल तरक्की की है। RSS की चर्चा के बगैर हिन्दुस्तान में मौजूदा राजनीति की कल्पना भी नहीं हो सकती है। ऐसे में ये भी जान लेते हैं कि संघ का संख्या बल कितना है।
संघ के बारे में जानिए
RSS अब 99 साल पुराना संगठन हो चुका है । साल 2021 तक 90 लाख से ज्यादा लोग संघ से जुड़े थे। देश में 55,000 से ज्यादा जगहों पर शाखाएं लगती हैं।
दुनिया के 35 देशों में RSS का नेटवर्क है। 2010 के बाद शाखाओं में 50% से भी ज्यादा वृद्धि हुई है।
तो मोदी सरकार का ये फैसला, इतना बताने के लिए काफी है कि। विपक्ष औऱ संघ के खिलाफ खड़े लोग चाहे जितनी बातें कर लें। लेकिन संघ को लेकर ये फैसला साफ कर दिया है कि संघ के खिलाफ अब तक जितने फैसले लिए गए। वो गलत थे। यही कारण है कि विपक्ष को जबरदस्त मिर्ची लगी हुई है