Modi सरकार के एक अधिनियम की वजह से बुरे फंसे Abdullah, सरकार में नहीं शामिल हुई Congress !
Omar Abdullah ने मुख्यमंत्री पद की शपथ तो ले ली लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बावजूद उमर अब्दुल्ला लगता है बुरी तरह से फंस गये हैं क्योंकि मोदी सरकार ने साल 2019 में एक ऐसा दांव चला था जिसकी कीमत आज उमर अब्दुल्ला को चुकानी पड़ रही है !
विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता Omar Abdullah ने जम्मू कश्मीर की सत्ता तो हासिल कर ली।और 16 अक्टूबर को मुख्यमंत्री पद की शपथ भी ले ली। लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बावजूद उमर अब्दुल्ला लगता है बुरी तरह से फंस गये हैं। क्योंकि मोदी सरकार ने साल 2019 में एक ऐसा दांव चला था। जिसकी कीमत आज उमर अब्दुल्ला को चुकानी पड़ रही है।
दरअसल 90 सीटों वाले जम्मू कश्मीर में नेशनल कॉन्फ्रेंस और कांग्रेस के गठबंधन को 48 सीटों पर जीत मिली है। जिसके दम पर उमर अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर की सत्ता तो हासिल कर ली।और मुख्यमंत्री भी बन गये। लेकिन बात जब मंत्री पद के बंटवारे की आई तो सीएम अब्दुल्ला के माथे से पसीने छूटने लगे। क्योंकि खुद उनकी पार्टी के पास 42 विधायक हैं। और कांग्रेस के पास 6 विधायक हैं। ऐसे में सबसे बड़ी समस्या उनके लिये यही है कि वो किसे मंत्री बनाएं। और किसे ना बनाएं। क्योंकि मोदी सरकार ने जब साल 2019 में जम्मू कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाया था। उसी दौरान जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 भी संसद से पास करवाया था। जिसके मुताबिक। "केंद्र शासित प्रदेश में मुख्यमंत्री समेत मंत्रियों की संख्या विधानसभा की सीटों के 10 फीसदी से ज्यादा नहीं हो सकती, ऐसे में जम्मू कश्मीर विधानसभा की 90 सीटों के लिए चुनाव हुए थे और उपराज्यपाल की ओर से 5 विधायकों के मनोनयन को भी जोड़ लें तो सदन में विधायकों की संख्या 95 पहुंचती है और 10 फीसदी वाली कैप भी है, तो फिर ऐसे में मंत्रिमंडल में सदस्यों की कुल संख्या 9.5 यानि अधिकतम 10 ही हो सकती है"
अब सीएम अब्दुल्ला के सामने सबसे बड़ी चुनौती यही है कि उनके पास सिर्फ दस मंत्री बनाने की ही पॉवर है। ऐसे में गठबंधन के साथियों की नाराजगी कैसे दूर करें।क्योंकि कांग्रेस पहले से ही दो मंत्री पद मांग रही थी। जबकि एक विधायक वाली आम आदमी पार्टी भी अपने लिए एक मंत्री पद मांग रही है। गठबंधन में मची इसी खींचतान को देखते हुए उमर अब्दुल्ला ने बीच का रास्ता निकाला। और खुद सीएम पद की शपथ ली। जबकि पांच विधायकों को मंत्री पद की शपथ दिलाई। यानि कुल छ विधायकों ने शपथ ली। जिनमें एक निर्दलीय विधायक सतीश शर्मा हैं। जबकि बाकी के पांच नेशनल कॉन्फ्रेंस के विधायक हैं। और अभी भी 4 मंत्री पद उमर अब्दुल्ला ने खाली छोड़ा है। माना जा रहा है ये सीटें सीएम अब्दुल्ला ने कांग्रेस और आम आदमी पार्टी के लिए छोड़ी है।अगर वो मान जाते हैं तो उन्हें दी जाएगी। लेकिन फिलहाल तो कांग्रेस ने दो मंत्री पद नहीं मिलने पर सरकार में शामिल होने से इंकार कर दिया।
हालांकि बाहर से सरकार को समर्थन देने का ऐलान किया है। यानि उमर अब्दुल्ला ने जम्मू कश्मीर ने के मुख्यमंत्री पद की शपथ तो ले ली। लेकिन मंत्री पद को लेकर इंडिया गठबंधन में झगड़ा अभी भी बरकरार नजर रहा है। और इसकी सबसे बड़ी वजह मोदी सरकार की ओर से पास किये गये जम्मू कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम 2019 को माना जा रहा है। जिसके मुताबिक अब्दुल्ला सिर्फ दस मंत्री ही बना सकते हैं। तो वहीं ये भी कहा जा रहा है कि अब्दुल्ला सीएम तो बन गये। लेकिन असली ताकत एलजी मनोज सिन्हा के पास ही होगी। जिन्हें मोदी सरकार ने नियुक्त किया है।