यूपी के संभल में सांसद जियाउर्रहमान बर्क के खिलाफ प्रशासन की बड़ी कार्रवाई, घर पर चलेगा बुलडोजर
उत्तर प्रदेश के संभल जिले में सपा सांसद जियाउर्रहमान बर्क के निर्माणाधीन मकान को लेकर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। प्रशासन ने मकान का नक्शा पास न होने का आरोप लगाते हुए नोटिस जारी किया है। इससे पहले इलाके में बुलडोजर कार्रवाई हो चुकी है, जिसे लेकर सांसद ने प्रशासन पर सांप्रदायिक भेदभाव का आरोप लगाया।
उत्तर प्रदेश का संभल जिला इन दिनों सुर्खियों में है। समाजवादी पार्टी (सपा) के सांसद जियाउर्रहमान बर्क के घर को लेकर विवाद बढ़ता जा रहा है। तहसील प्रशासन ने सांसद को एक नोटिस जारी किया है, जिसमें उनके निर्माणाधीन मकान को लेकर सवाल उठाए गए हैं। आरोप है कि यह मकान बिना वैध नक्शा पास कराए बनाया जा रहा है। प्रशासन ने स्पष्ट किया है कि यदि नक्शा वैध नहीं पाया गया तो बुलडोजर कार्रवाई की जाएगी।
क्या है विवाद का पूरा मामला?
जियाउर्रहमान बर्क का निर्माणाधीन मकान संभल जिले के नख़ासा थाना क्षेत्र के दीपा सराय में स्थित है। प्रशासन का कहना है कि मकान का निर्माण बिना नक्शा पास कराए किया जा रहा था, जो नियमों का उल्लंघन है। इसके चलते तहसील प्रशासन ने नोटिस जारी कर सांसद को वैध नक्शा प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है। यह विवाद तब और गर्मा गया जब बुधवार को उसी इलाके में प्रशासन ने एक बुलडोजर कार्रवाई की थी। बिजली के खंभे पर अवैध कब्जे के खिलाफ यह कार्रवाई की गई थी, जिसमें स्थानीय प्रशासन ने डीएम और एसपी की मौजूदगी में अतिक्रमण हटवाया।
दीपा सराय चौक पर स्थित एक बिजली का खंभा, जिसे अवैध रूप से कब्जे में लेकर एक दुकान के अंदर कर दिया गया था, प्रशासन ने उसे बुलडोजर की मदद से मुक्त कराया। डीएम संभल, डॉ. राजेंद्र पेंसिया, और एसपी ने मौके पर निरीक्षण किया और इस अवैध कब्जे को हटाने के निर्देश दिए। साथ ही, इलाके में एक बंद कुएं को भी खोलने का आदेश दिया गया। डीएम ने यह भी स्पष्ट किया कि बिजली विभाग को निर्देश दिए गए हैं कि ट्रांसफार्मर सही जगह पर स्थापित किया जाए और अवैध कब्जों को हटाया जाए।
सांसद जियाउर्रहमान बर्क का बयान
इस पूरे मामले पर सांसद जियाउर्रहमान बर्क ने तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर लिखा कि मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है और उन्हें बेबुनियाद इल्ज़ामों के तहत जेल में डाला जा रहा है। उन्होंने कहा कि प्रशासन की यह कार्रवाई मुस्लिम समुदाय में डर और असुरक्षा का माहौल पैदा कर रही है। सांसद ने आरोप लगाया कि न केवल पुरुष, बल्कि महिलाएं और बच्चे भी इस कार्रवाई के शिकार हो रहे हैं। उन्होंने इसे ज़ुल्म करार देते हुए कहा कि मासूम लोगों को अपराधी ठहराया जा रहा है।
प्रशासन ने सांसद को नोटिस का जवाब देने के लिए समय दिया है। यदि वे वैध नक्शा प्रस्तुत करने में असमर्थ रहते हैं, तो निर्माण पर बुलडोजर कार्रवाई संभव है। इस मामले ने राजनीतिक और सामाजिक स्तर पर बहस छेड़ दी है। एक तरफ, प्रशासन नियमों के उल्लंघन की बात कर रहा है, तो दूसरी ओर, सांसद इसे समुदाय विशेष के खिलाफ कार्रवाई करार दे रहे हैं।
सांप्रदायिक तनाव और कानून व्यवस्था पर सवाल
इस पूरे विवाद ने एक बार फिर उत्तर प्रदेश की कानून व्यवस्था और सांप्रदायिक संतुलन पर सवाल खड़े कर दिए हैं। सांसद का दावा है कि यह कार्रवाई मुस्लिम मोहल्लों को डराने की मंशा से की जा रही है। हालांकि, प्रशासन का कहना है कि कार्रवाई पूरी तरह नियमों के तहत की जा रही है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सांसद के निर्माणाधीन मकान को लेकर प्रशासन क्या निर्णय लेता है और इस मामले का अंत कहां तक पहुंचता है।
यह मामला केवल एक मकान या अतिक्रमण का नहीं है, बल्कि इसके जरिए प्रशासन और राजनीति के जटिल समीकरण भी सामने आ रहे हैं। यह कहानी बताती है कि कैसे एक स्थानीय विवाद राष्ट्रीय बहस का विषय बन सकता है। आने वाले दिनों में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि यह मामला कैसे सुलझता है और इसके सामाजिक व राजनीतिक प्रभाव क्या होते हैं।