हिंडनबर्ग ने अदाणी के बाद अब SEBI की चेयरपर्सन माधवी पर लगाए आरोप, जानिए
माधवी पुरी बुच SEBI की चेयरपर्सन हैं, SEBI शेयर बाज़ार का अंपायर है, अदाणी मामले की जाँच कर रहा हैं, हिंडनबर्ग ने ही अडानी ग्रुप पर आरोप लगाए थे, जाँच में कुछ ख़ास मिला नहीं,अब हिंडनबर्ग ने SEBI चेयरपर्सन माधवी पर ही आरोप लगाया है
मैं वित्तीय मामलों का जानकर नहीं, पर हिंडनबर्ग के ताज़ा आरोपों को जितना मैं समझ सका, उसे आसान शब्दों में रखने की कोशिश कर रहा हूं ।
माधवी पुरी बुच SEBI की चेयरपर्सन हैं। SEBI शेयर बाज़ार का अंपायर है । अदाणी मामले की जाँच कर रहा हैं। हिंडनबर्ग ने ही अडानी ग्रुप पर आरोप लगाए थे। जाँच में कुछ ख़ास मिला नहीं, अब हिंडनबर्ग ने SEBI चेयरपर्सन माधवी पर ही आरोप लगाया है ।
हिंडनबर्ग का ताजा आरोप ये है कि SEBI चेयरपर्सन माधवी पुरी के पैसे मॉरीशस के उसी फंड में लगे थे, जिसका इस्तेमाल अदाणी के भाई विनोद कर रहे थे ।
माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल 2015 में सिंगापुर में रहते थे। हिंडनबर्ग के मुताबिक़ तब उन्होंने मॉरीशस के IPE Plus Fund में पैसे लगाए थे। गौतम अदाणी के भाई विनोद के पैसे भी इसमें लगे थे ।यह फंड India Infoline IIFL का था। इसे अनिल आहूजा चला रहे थे। आहूजा अदाणी ग्रुप के डायरेक्टर रह चुके हैं।
माधवी अप्रैल 2017 में SEBI की डायरेक्टर नियुक्त की गई। मार्च 2017 में धवल बुच ने कंपनी को लिखा कि अब वो ही इस अकाउंट को चलाएँगे, उनकी पत्नी का इससे कोई लेना देना नहीं है। माधवी ने फ़रवरी 2018 फंड को मेल लिखा कि धवल अपने यूनिट्स बेचना चाहते हैं। उन्हें क़रीब नौ लाख डॉलर वापस मिल गए।
हिंडनबर्ग का आरोप है कि इसी फंड का इस्तेमाल विनोद अदाणी ने अदाणी ग्रुप के शेयरों के दाम बढ़ाने में किया है। कैसे? इस बारे में हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में कुछ नहीं बताया गया है।
हिंडनबर्ग ने पिछले साल जनवरी में जो रिपोर्ट निकाली थी उसमें आरोप लगाया कि अदाणी ग्रुप अपने ही शेयरों में पैसे लगाकर भाव बढ़ाता है। ये काम मॉरीशस के फंड के ज़रिए होता है। अब हिंडनबर्ग ने ऐसे ही एक फंड को SEBI प्रमुख से जोड़ दिया है।
माधवी पुरी बुच और उनके पति धवल ने कहा है कि आरोप ग़लत है। उन्होंने कहा कि उनकी ज़िंदगी और पैसे के लेनदेन खुली किताब हैं। SEBI को उनके निवेश की सारी जानकारी दी गई है। अगर कोई और जानकारी भी चाहिए तो हम देने के लिए तैयार है।
भारत के विपक्षी दल SEBI पर अदाणी की जाँच में ढिलाई का आरोप लगाते हुए पहले भी सुप्रीम कोर्ट गए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने इसकी CBI जाँच की माँग ख़ारिज कर दी थी और कहा था कि SEBI जांच में किसी प्रकार की खामी नज़र नहीं आई।