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फोन पर राहुल के खिलाफ सुनी डिबेट तो CM ऑफिस ने ड्राइवर-कंडक्टर को थमा दिया नोटिस!

शिमला में सरकारी बस में डिबेट सुनने को लेकर ड्राइवर और कंडक्टर को एचआरटीसी प्रबंधन द्वारा नोटिस जारी किया है और उनसे तीन दिन के भीतर जवाब तलब किया गया है. दरअसल, मामला ढली से संजौली जा रही परिवहन निगम बस का है. 5 नवंबर को शिमला के ढली से संजौली रूट पर चल रही एचआरटीसी बस में एक व्यक्ति अपने मोबाइल पर तेज आवाज में एक ऑडियो प्रोग्राम चला रहा था.
फोन पर राहुल के खिलाफ सुनी डिबेट तो CM ऑफिस ने ड्राइवर-कंडक्टर को थमा दिया नोटिस!

भारत में एक ऐसा राज्य है, जहां कांग्रेस की सरकार है और यह राज्य रोज नए क्रांतिकारी फैसले ले रहा है।लोगों को ओल्ड पेंशन स्कीम लागू करने का झांसा देकर सरकार बनाने वाली कांग्रेस इस राज्य में अगर सुरक्षाकर्मी समोसा खा लेते हैं, तो CBI की जांच बैठा देती है। अगर किसी घर में एक से ज्यादा टॉयलेट बने होते हैं, तो उस पर टैक्स लगा देती है। ऐसे क्रांतिकारी फैसले आपने शायद पहले नहीं सुने होंगे। और ना ही यह सुना होगा कि अगर बस में कोई व्यक्ति डिबेट सुन रहा है, तो उसके खिलाफ बस के ड्राइवर-कंडक्टर को नोटिस भेजा जा सकता है कि भाई, आपकी बस में राहुल गांधी के खिलाफ कोई डिबेट आखिर कोई कैसे सुन सकता है?

क्या यह बिल्कुल वैसा नहीं लग रहा जैसा कि नॉर्थ कोरिया में हर घर में किम जोंग की तस्वीर होना ज़रूरी है?कहा जाता है कि उस तस्वीर पर धूल भी नहीं जम सकती, और अगर इंस्पेक्शन टीम को लगा कि फोटो सही तरीके से नहीं लगी है, या उस पर धूल भी जम गई है, तो आपको भयानक सजा से गुजरना पड़ सकता है। अब वापस हिमाचल पर लौटते हैं…

अगर हिमाचल प्रदेश की सरकारी बस में कोई व्यक्ति डिबेट सुन रहा है, और उसमें किसी पार्टी का प्रवक्ता राहुल गांधी की आलोचना कर रहा है या कुछ कह भी रहा है, तो इसमें गलत क्या है? डिबेट का नाम ही इसी चीज का है कि हर पार्टी अपने विपक्षी को गलत बताती है और खुद को सही। लेकिन कांग्रेस सरकार को यह बिल्कुल भी पसंद नहीं आया। कतई नहीं। और ड्राइवर-कंडक्टर को नोटिस भेजकर जवाब मांग लिया। और अगर तीन दिन के भीतर जवाब नहीं दिया गया, तो फिर कानूनी कार्रवाई भी की जाएगी।

हैरानी की बात यह है कि इस मामले की शिकायत सीधे मुख्यमंत्री के कार्यालय में की गई, और फिर सीएम ऑफिस से एचआरटीसी को इस पर संज्ञान लेने के लिए कहा गया। एचआरटीसी ने इस मामले पर जांच बैठा दी। इसी जांच को लेकर बीजेपी ने हिमाचल की कांग्रेस सरकार पर राज्य को देशभर में शर्मसार करने का आरोप लगाया। पूर्व मंत्री सुखराम चौधरी ने कहा कि कांग्रेस फेल है, विकास ठप है, और जनता त्रस्त है। एचआरटीसी मामले में शिमला लोकल डिपो ने अब बस के चालक और परिचालक से तीन दिन के भीतर लिखित में स्पष्टीकरण मांगा। एक परिवार की इतनी अंधभक्ति हो गई कि आप छोटे-छोटे लोगों को परेशान कर रहे हैं? पहले हिमाचल प्रदेश में समोसे की जांच तो शांत नहीं हुई, अब चालक और परिचालकों पर भी जांच शुरू हो गई है।

कांग्रेस जब इस तरह की जांच बैठाती है, तो सवाल उठते हैं कि क्या हिमाचल प्रदेश कांग्रेस की सरकार आने के बाद लोकतांत्रिक नहीं रह गया?

क्या इस प्रदेश में कांग्रेस की तानाशाही चल रही है? ये बहुत सारे सवाल हैं जो सुक्खु सरकार से पूछे जा रहे हैं। इन सवालों की लिस्ट में धर्मशाला से बीजेपी विधायक सुधीर शर्मा का नाम भी जुड़ता है। उन्होंने इस मामले को हास्यास्पद बताया है। सुधीर शर्मा का कहना है कि प्रदेश में रोज नया कुछ ना कुछ ऐसा हास्यास्पद मामला सामने आता है, जिससे देश के अंदर हिमाचल चर्चा और हंसी का विषय बन जाता है। एक चिट्ठी मुख्यमंत्री कार्यालय से निकलती है और एचआरटीसी को जाती है। इसमें कहा गया कि ढली से संजौली जा रही बस के अंदर कोई व्यक्ति अपने फोन पर डिबेट सुन रहा था, जिसमें नेता विपक्ष राहुल गांधी और अन्य लोगों के बारे में कुछ कहा जा रहा था। इसको लेकर जांच बिठाई गई और आदेश दिए गए कि चालक से जवाब तलब किया जाए।

अब इस सरकार का समोसा कांड भी समझ लीजिए।

दरअसल, मुख्यमंत्री CBI के एक कार्यक्रम में पहुंचे थे। मीटिंग में चाय-नाश्ते की भी व्यवस्था की गई थी। मुख्यमंत्री और उनके मेहमानों के लिए महंगे समोसे मंगाए गए थे। उन समोसों को स्टाफ ने सीएम की सुरक्षा में लगे जवानों को खिला दिया। हालांकि यह बस एक गलतफहमी थी, लेकिन लापरवाही का आरोप लगाते हुए इसे सरकार विरोधी कृत्य कह दिया गया। हालांकि यह पहला कृत्य नहीं था। यही सरकार एक टॉयलेट सीट पर 25 रुपए का टैक्स वसूलने की भी तैयारी कर चुकी थी, लेकिन जब फजीहत होनी शुरू हुई तो नोटिफिकेशन को ही वापस ले लिया।

तो हिमाचल की सुक्खु सरकार अनोखे फैसले लेने के लिए अपनी पहचान बना चुकी है। तो अगर आप हिमाचल जाते हैं या हिमाचल में रहते हैं, तो कृपया सावधानी बरतें और बस में कांग्रेस के खिलाफ कोई बयान या डिबेट ना सुनें, वरना जवाब देना पड़ सकता है।


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