Advertisement

Afzal Guru की फांसी गलत थी, आतंकि के साथ खड़े उमर अब्दुल्ला !

नेशनल कॉन्फ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अफजल गुरु को फांसी देने में जम्मू-कश्मीर सरकार की कोई भूमिका नहीं थी. उन्होंने कहा कि इससे कोई उद्देश्य पूरा नहीं हुआ है,फांसी देना समाधान नहीं है
Afzal Guru की फांसी गलत थी, आतंकि के साथ खड़े उमर अब्दुल्ला !

13 दिसंबर 2001 का वो काला दिन तो आपको याद ही होगा, जब देश की संसद पर हमला किया गया था। इस काले दिन का काला अध्याय लिखने वाले अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को फांसी पर लटका दिया गया। फांसी पर लटकाने का फैसला इस देश की सबसे बड़ी अदालत ने सुनाया था। फांसी के फंदे पर लटकाने का फैसला किसका था, ये याद रखिएगा, क्योंकि आगे आपको समझ आएगा कि देश में चल क्या रहा है।

उमर अब्दुल्ला—जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री और पिता जी भी जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री रह चुके हैं—अब लंबे वक्त से सत्ता से दूर हैं। सत्ता की मलाई नहीं चाट पा रहे हैं, तो कुछ भी करके सत्ता हथियाने का पूरा मन बना चुके हैं। उमर अब्दुल्ला और फारूक अब्दुल्ला की जोड़ी लगातार पाकिस्तान प्रेम दिखाती आई है और पाकिस्तान से बातचीत की वकालत करती आई है। अब नौबत यहां तक आ गई है कि अफजल गुरु की फांसी पर सवाल उठा दिए हैं। एक टीवी इंटरव्यू में बात करते हुए उमर अब्दुल्ला ने कहा कि अफजल गुरु को फांसी देने में जम्मू-कश्मीर सरकार की कोई भूमिका नहीं थी और कहा कि इससे "कोई उद्देश्य पूरा नहीं हुआ"। उन्होंने कहा, "दुर्भाग्यपूर्ण बात यह थी कि जम्मू-कश्मीर सरकार का अफजल गुरु की फांसी से कोई लेना-देना नहीं था। अन्यथा, आपको राज्य सरकार की अनुमति से ऐसा करना पड़ता, जिसके बारे में मैं आपको स्पष्ट शब्दों में बता सकता हूं कि ऐसा नहीं हुआ। हम ऐसा नहीं करते। मुझे नहीं लगता कि उसे फांसी देने से कोई उद्देश्य पूरा हुआ। हम फांसी के खिलाफ हैं और अदालतों की अचूकता पर विश्वास नहीं करते। सबूतों ने हमें बार-बार दिखाया है, भले ही भारत में न हो, लेकिन अन्य देशों में, जहां आपने लोगों को फांसी दी है और पाया है कि आप गलत थे।"

अब आप इस बयान को गौर से देख लीजिए। इनका साफ तौर पर कहना है कि अफजल की फांसी गलत थी, और इससे कुछ हासिल नहीं हुआ। तो इसका मतलब यह है कि आतंकवादी इस देश में घुसते रहे, लोगों को मारते रहे, और हम उन्हें पाकिस्तान वापस भेज दें या फिर जेलों में बैठाकर चिकन बिरयानी खिलाएं। पाकिस्तान के साथ मेल-जोल बनाकर चले, वे हमारे सैनिकों की बस पर हमले करें, सोते हुए सैनिकों को बेरहमी से मार दें, आम लोगों की टारगेट किलिंग करें—वे कुछ भी करें क्योंकि वे उमर अब्दुल्ला के "भाईचारे वाले देश" से आते हैं और भारत आंख बंद कर बैठे रहे। ठीक वैसे ही जैसे मनमोहन सिंह यासीन मलिक से हाथ मिलाते दिखते हैं। आतंकवादी ठाठ से पीएम आवास में आए, फोटो खिंचवाए और चले गए, क्योंकि उन्होंने काफिरों को मारा है। वैसे भी कांग्रेस पार्टी के साथ उनका पुराना नाता है और अब एक बार फिर से गठबंधन कर चुनाव लड़ रहे हैं।

अब एक और समझ लीजिए। नेशनल कांफ्रेंस को तो सत्ता की मलाई चाटनी है, इसलिए अपने वोटरों को खुश कर रही है। उसका तो इतिहास ही यही है। लेकिन राहुल गांधी इस बयान पर चुप हैं, मानो फेविकोल पी लिया हो। या फिर ऐसा भी हो सकता है कि अमेरिका जाकर भारत को भूल गए हों और एंजॉय करने में मस्त हों, देश कैसे बांटना है उसकी रणनीति बना रहे हों। राहुल ने इस बयान पर एक शब्द नहीं बोला। वैसे बोलेंगे भी कैसे, माताजी जब बाटला हाउस में मारे गए आतंकियों के लिए बाल्टी भर आंसू बहा सकती हैं तो बेटा चुप तो रह ही सकता है। हालांकि इस मामले पर कांग्रेस नेता सलमान खुर्शीद ने बोलने की हिम्मत जरूर दिखाई और बोलते ही यह दिखा दिया कि आतंकवादियों का साथ देने वाली पार्टी का साथ देने में उन्हें जरा भी अफसोस नहीं है। सलमान खुर्शीद कहते हैं, "हम यहां इस पर चर्चा क्यों कर रहे हैं? यह चुनाव का वक्त है। लोग बयान देते हैं। मैं यहां इस पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता। जहां चुनाव हो रहा है, वहां बयान दिया गया है। चुनाव के बयान जिस राज्य में हैं, वही उसके बारे में जवाब आएंगे। मैं कुछ जवाब दूंगा फिर आप मेरे बयान पर किसी और से पूछेंगे।"

अगर आपको याद न हो तो ये वही सलमान खुर्शीद हैं जिनकी भतीजी ने लोकसभा चुनाव में यूपी में समाजवादी पार्टी के लिए प्रचार करते हुए मुसलमानों को वोट जिहाद के लिए भड़काया था। तो यही उनका इतिहास है। और ये लोग अपने इतिहास पर कायम हैं। एक मिनट के लिए सोच लीजिए कि अगर जम्मू-कश्मीर में इन लोगों की सरकार बन गई तो फिर जम्मू-कश्मीर को कैसे दहलाया जाएगा। क्योंकि आज भी ये लोग धारा-370 हटाने की मांग करते हैं, आतंकवादियों के परिवारों को मुआवजा और सरकारी नौकरी देने की बात कर रहे हैं। और इन मुद्दों पर राहुल गांधी फेविकोल का सेवन करते बैठे हैं।

Advertisement

Related articles

Advertisement