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Akhilesh ने Rahul Gandhi को थमा दी BJP के गढ़ वाली सीट, अब कैसे जीतेगी Congress ?

हरियाणा में मिली करारी के बाद अब इंडिया गठबंधन में शामिल पार्टियां भी लगता है कांग्रेस को हल्के में लेने लगी हैं। इसीलिये सबसे पहले जम्मू कश्मीर में सीएम उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस की दो मंत्री पद की मांग नहीं मानी। जिसकी वजह से कांग्रेस को सत्ता से बाहर होना पड़ा। तो वहीं अब उत्तर प्रदेश में सपाई मुखिया अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस के साथ कुछ ऐसा ही किया जिसे देख कर आप भी दंग रह जाएंगे !
Akhilesh ने Rahul Gandhi को थमा दी BJP के गढ़ वाली सीट, अब कैसे जीतेगी Congress ?
लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और समाजवादी पार्टी एक साथ मैदान में उतरी थी। और अस्सी सीटों में से 43 सीटों पर जीत का परचम लहरा दिया। जिसके बाद तो मानो कांग्रेस हवा में उड़ने लगी थी। और कांग्रेस नेता राहुल गांधी तो पीएम मोदी के 56 इंच की छाती वाले बयान का मजाक उड़ाते हुए यहां तक कह दिया था कि।
"पीएम मोदी के आत्मविश्वास में कमी आई है, आज उनसे जो भी विपक्ष कराना चाहता है वह कराता है, जो 56 इंच की छाती वाले नरेंद्र मोदी पहले थे अब वो वैसे नहीं हैं, लोकसभा में उनके सामने खड़ा होता हूं तो मुझे साफ दिखता है कि उनका आत्मविश्वास खत्म हो गया है, वे कानून लाते हैं, हम उनके सामने खड़े हो जाते हैं और वो कानून पास नहीं कर पाते हैं"


लोकसभा चुनाव में 99 सीटें जीतने के बाद राहुल गांधी कुछ इसी तरह से पीएम मोदी का मजाक उड़ाया करते थे।लेकिन हरियाणा चुनाव में जनता ने कांग्रेस को ऐसा पटका। कि एक बार फिर कांग्रेस अगले पांच साल तक हरियाणा की सत्ता से दूर हो गई। हरियाणा में मिली करारी के बाद अब इंडिया गठबंधन में शामिल पार्टियां भी लगता है कांग्रेस को हल्के में लेने लगी हैं। इसीलिये सबसे पहले जम्मू कश्मीर में सीएम उमर अब्दुल्ला ने कांग्रेस की दो मंत्री पद की मांग नहीं मानी।जिसकी वजह से कांग्रेस को सत्ता से बाहर होना पड़ा। तो वहीं अब उत्तर प्रदेश में सपाई मुखिया अखिलेश यादव ने भी कांग्रेस के साथ कुछ ऐसा ही किया। एक तरफ जहां यूपी कांग्रेस अध्यक्ष पांच सीटें मांग रहे थे। तो वहीं दूसरी तरफ अखिलेश यादव ने उन्हें 10 में सिर्फ दो सीटों का झुनझुना थमा दिया। बात यहीं खत्म नहीं होती। दो सीटें भी कांग्रेस को ऐसी दी है। जहां जीतना कांग्रेस के लिए मुश्किल ही नहीं। नामुमकिन नजर रहा है।

गाजियाबाद विधानसभा सीट


सबसे पहले बात करते हैं गाजियाबाद विधानसभा सीट की। ये सीट गाजियाबाद लोकसभा क्षेत्र में आती है। और साल 2009 जब ये सीट अस्तित्व में आई। तब से लेकर आज तक चार बार चुनाव हुए और चारों चुनाव में बीजेपी प्रचंड बहुमत के साथ जीत हासिल की। इसी बात से गाजियाबाद में बीजेपी का दबदबा समझ सकते हैं। इतना ही नहीं।

गाजियाबाद विधानसभा सीट।
सपा ने कांग्रेस को जो गाजियाबाद विधानसभा सीट दी है।
उस सीट पर सपा ने आखिरी बार साल 2004 में जीत दर्ज की।
जबकि कांग्रेस ने साल 2002 में यहां से जीत हासिल की थी।
2007 में बीजेपी नेता सुनील कुमार शर्मा ने जीत हासिल की।
2012 में बीएसपी नेता सुरेश बंशल ने यहां जीत दर्ज की।
2017, 2022 में बीजेपी नेता अतुल गर्ग ने जीत हासिल की।

गाजियाबाद विधानसभा सीट पर सपा ने बीस साल पहले जीत हासिल की थी। यही वजह है कि अखिलेश यादव ने बीजेपी के गढ़ वाली ये सीट धीरे से कांग्रेस को थमा दी।जहां से जीतना कांग्रेस के लिए आसान नहीं लग रहा है।

खैर विधानसभा सीट

अब बात करते हैं खैर विधानसभा सीट की। जिस अलीगढ़ लोकसभा क्षेत्र में खैर विधानसभा सीट आती है। उस लोकसभा सीट पर खुद समाजवादी पार्टी ने कभी जीत हासिल नहीं की। यहां तक कि कांग्रेस ने भी आखिरी बार साल 2004 में जीत हासिल की थी। 2014, 2019 और 2024 में लगातार तीन बार बीजेपी ने जीत हासिल की। इतना ही नहीं इसी अलीगढ़ लोकसभा क्षेत्र में आने वाली खैर विधानसभा सीट पर भी सपा कभी जीत हासिल नहीं कर पाई। जबकि कांग्रेस ने भी 1980 में खैर सीट पर जीत हासिल की थी। इसी बात से समझ सकते हैं कि अखिलेश यादव ने खैर सीट ही कांग्रेस को क्यों दी।

खैर विधानसभा सीट

खैर विधानसभा सीट पर अब तक 16 बार चुनाव हो चुके हैं।
कांग्रेस ने आखिरी बार 1980 में यहां से जीत हासिल की थी।
पिछले 44 साल से कांग्रेस यहां जीत हासिल नहीं कर पाई है।
समाजवादी पार्टी भी खैर विधानसभा सीट कभी जीत नहीं पाई।
2017 और 2022 में बीजेपी ने इस सीट से जीत हासिल की है।

तो ये आंकड़ा देख कर आप समझ गये होंगे कि अखिलेश यादव ने खैर सीट ही कांग्रेस को क्यों दी। क्योंकि खुद सपा यहां से कभी जीत हासिल नहीं कर पाई। और कांग्रेस भी 44 साल पहले खैर सीट से जीत हासिल की थी। जबकि साल 2017 से ही इस सीट पर बीजेपी का कब्जा रहा है। इसी बात से समझ सकते हैं कि अखिलेश यादव ने खैर सीट कांग्रेस को क्यों दी। बात चाहे गाजियाबाद की हो या खैर विधानसभा सीट की दोनों ही सीटों पर बीजेपी का दबदबा रहा है और इस बार भी योगी के नेतृत्व में बीजेपी दोनों सीट पर जीत का परचम लहरा सकती है। और ये बात शायद अखिलेश यादव भी अच्छी तरह से जानते थे। इसीलिये उन्होंने दोनों सीटें कांग्रेस को दे दी। इसी बात से समझ सकते हैं कि अखिलेश कैसे कांग्रेस के साथ खेल कर रहे हैं। वैसे आपको क्या लगता है। यूपी की नौ सीटों पर होने जा रहे उपचुनाव में कौन बाजी मारेगा। 
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