STF ने एक लाख के इनामी बदमाश Mangesh Yadav को ठोका तो Akhilesh Yadav को आया गुस्सा
गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंजा जिला सुल्तानपुर
दिनदहाड़े लूट की वारदात को अंजाम देकर बदमाशों ने सीधे पुलिस को चुनौती दे दी थी। फिर क्या था। योगी की पुलिस भी इन आरोपियों को दबोचने के लिए एक्शन में आ गई। और जल्द ही यह खबर आई कि तीन आरोपियों को एनकाउंटर के दौरान पुलिस ने दबोच लिया। तीनों के पैर में गोली लगी थी। इन तीनों आरोपियों को दबोचने के बाद पुलिस के सामने एक और मुख्य आरोपी मंगेश यादव को सलाखों के पीछे पहुंचाने की सबसे बड़ी चुनौती थी। जिसके लिए एसटीएफ पिछले कई दिनों से दबिश दे रही थी। तभी खबर मिली कि एक लाख का इनामी बदमाश मंगेश यादव अपने एक साथी के साथ लखनऊ-वाराणसी के रास्ते से जौनपुर जाने की फिराक में है। भनक लगते ही एसटीएफ ने दोनों को घेर लिया। तो वहीं खुद को घिरा पाते ही बदमाशों ने फायर झोंक दिया। जिस पर एसटीएफ ने भी गोली चला दी। जिसमें एक बदमाश मंगेश यादव बुरी तरह घायल हो गया। जिसे पुलिस वालों ने अस्पताल पहुंचाया लेकिन इलाज से पहले ही उसने दम तोड़ दिया। जबकि एक बदमाश मौके से फरार हो गया।
एनकाउंटर में मारा गया एक लाख का इनामी बदमाश मंगेश यादव जौनपुर जिले का रहने वाला था। उस पर चोरी और लूट के मुकदमे दर्ज हैं। बदमाश के पास से पुलिस ने 315 बोर का तमंचा, 32 बोर की पिस्टल, बाइक और लूटे गए गहने बरामद किए हैं। तो वहीं अब इस एनकाउंटर पर सवाल उठने लगे हैं। क्योंकि जिस बदमाश को मारा गया है, उसका नाम मंगेश यादव है। शायद यही वजह है कि सपाई मुखिया अखिलेश यादव बुरी तरह भड़क गए हैं और एक लंबे चौड़े पोस्ट में लिखा-
"लगता है सुल्तानपुर की डकैती में शामिल लोगों से सत्ता पक्ष का गहरा संपर्क था, इसीलिए तो नकली एनकाउंटर से पहले ‘मुख्य आरोपी’ से संपर्क साधकर सरेंडर करा दिया गया और अन्य पक्षीय लोगों के पैरों पर सिर्फ दिखावटी गोली मारी गई और ‘जात’ देखकर जान ली गई। जब मुख्य आरोपी ने सरेंडर कर दिया है, तो लूट का सारा माल भी पूरा वापस होना चाहिए और सरकार को मुआवजा अलग से देना चाहिए क्योंकि ऐसी घटनाओं का जो मानसिक आघात होता है उससे उबरने में बहुत समय लगता है, जिससे व्यापार की हानि होती है, जिसकी क्षतिपूर्ति सरकार करे। नकली एनकाउंटर रक्षक को भक्षक बना देते हैं, समाधान नकली एनकाउंटर नहीं, असली कानून-व्यवस्था है। भाजपा राज अपराधियों का अमृतकाल है, जब तक जनता का दबाव और आक्रोश चरम सीमा पर नहीं पहुंच जाता है, तब तक लूट में हिस्सेदारी का काम चलता रहता है और जब लगता है जनता घेर लेगी, तो नकली एनकाउंटर का ऊपरी मरहम लगाने का दिखावा होता है। जनता सब समझती है कि कैसे कुछ लोगों को बचाया जाता है और कैसे लोगों को फंसाया जाता है।"
एसटीएफ ने एक लाख के इनामी डकैत मंगेश यादव का एनकाउंटर किया तो अखिलेश यादव ने जात देखकर जान लेने का आरोप लगा दिया। वैसे आपको बता दें, पुलिस ने इस डकैती को अंजाम देने वाले दस आरोपियों की लिस्ट जारी की है, जिन पर यूपी पुलिस ने एक लाख का इनाम घोषित किया है। ये आरोपी हैं
एक लाख के इनामी बदमाश अनुज प्रताप सिंह, फुरकान, अरबाज, विनय शुक्ला, मंगेश यादव, अंकित यादव, अजय यादव, अरविंद यादव, विवेक सिंह, दुर्गेश प्रताप सिंह
डकैती को अंजाम देने वाले इन आरोपियों की लिस्ट बता रही है कि इनमें सिर्फ मंगेश यादव ही अकेला यादव नहीं था। अजय यादव, अरविंद यादव, अंकित यादव जैसे आरोपी भी थे, जिन्होंने मिलकर डकैती को अंजाम दिया। पुलिस को अगर जात देखकर ही एनकाउंटर करना था तो फिर इन तीनों आरोपियों का भी एनकाउंटर कर देती। लेकिन फिलहाल दस आरोपियों में से सिर्फ एक आरोपी मंगेश यादव का ही एनकाउंटर किया गया। वह भी इसलिये किया गया क्योंकि उसने पुलिस पर फायरिंग की थी। वैसे एक बात और आपको बता दें, इससे पहले पुलिस कर्मियों की जान लेने वाले विकास दुबे को जब एनकाउंटर में मारा गया था, तो उस वक्त भी विकास दुबे के लिए हमदर्दी जताने वालों की कमी नहीं थी। लोगों ने तो यहां तक कह दिया था कि विकास दुबे ब्राह्मण था इसलिये उसे मारा गया। और अब डकैती डालने वाले मंगेश यादव का एनकाउंटर किया गया तो अखिलेश यादव जैसे बड़े नेता ये आरोप लगा रहे हैं कि जात देखकर जान ली गई।