CM योगी के बयान पर अखिलेश यादव ने किया पलटवार कहा-'लाल रंग देखकर सांड भी भड़कता है'
उत्तर प्रदेश की राजनीति में नेताओं के बीच ज़ुबानी जंग लगातार चलती रहती है, गुरुवार को सीएम योगी आदित्याथ ने समाजवादी पार्टी पर हमलावर होते हुए बयान दिया था कि 'लाल टोपी काले कारनामे' है, अब इस पर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने पलटवार किया है।

उत्तर प्रदेश की राजनीति में सीएम योगी और सपा प्रमुख अखिलेश यादव के बीच लगातार ज़ुबानी जंग चलती रहती है। ऐसे में दस सीटों पर होने वाले उपचुनाव को लेकर एक बार फिर से राज्य का सियासी पारा आसमान छूता दिखाई दे रहा है। गुरुवार को कानपुर पहुंचे मुख्यमंत्री योगी ने समाजवादी पार्टी पर हमलावर होते हुए बयान दिया था कि 'लाल टोपी वाले काले कारनामे' के लिए जाने जाते है। तो जैसे ही योगी आदित्यानाथ का ये बयान सामने आया तो सभी को इस बात का इंतज़ार था कि अखिलेश यादव इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते है या इसे ऐसे ही जाने देते है लेकिन अब अखिलेश यादव की इस पूरे बयान पर प्रतिक्रिया सामने आई है। उन्होंने सीएम योगी का बिना नाम पलटवार करते हुए कहा अच्छा-बुरा कोई रंग नहीं, बल्कि नज़रिया है।
दरअसल, मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने गुरुवार को कानपुर में एक जनसभा को संबोधित किया था जिसमें उन्होंने सपा के साथ-साथ उसके गठबंधन के साथी कांग्रेस पर भी निशाना साधा। सीएम योगी ने आरोप लगाया कि कांग्रेस और सपा की पहचान दंगा और आराजकवादी रही है। इसके बाद ही अखिलेश यादव ने बकायदे रंगो का महत्व बताते हुए अपनी प्रतिक्रिया दी उन्होंने कहा की "हर रंग प्रकृति से ही प्राप्त होता है और सकारात्मक लोग किसी भी रंग को नकारात्मक नहीं मानते हैं।‘लाल रंग’ मिलन का प्रतीक होता है। जिनके जीवन में प्रेम-मिलन, मेल-मिलाप का अभाव होता है वो अक्सर इस रंग के प्रति दुर्भावना रखते हैं।"
अखिलेश यादव ने बिना नाम लिए CM योगी को बताया रंगों का महत्व
समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने CM योगी आदित्यानाथ के "सपा की टोपी 'लाल' है लेकिन इसका कर्म 'काले' है" बयान के एक दिन बाद ही पलटवार करने हुए बिना नाम लिए CM योगी पर बयान दिया है। सपा प्रमुख ने अपने सोशल मीडिया एक्स पर एक पोस्ट में रंगों और उनके महत्व के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा की। अखिलेश यादव ने अपने पोस्ट में लिखा कि "जनता की संसद का प्रश्नकाल! प्रश्न - लाल और काले रंग को देखकर भड़कने के क्या-क्या कारण हो सकते हैं? दो-दो बिंदुओं में अंकित करें। उत्तर -रंगों का मन-मानस और मनोविज्ञान से गहरा नाता होता है। यदि कोई रंग किसी को विशेष रूप से प्रिय लगता है तो इसके विशेष मनोवैज्ञानिक कारण होते हैं और यदि किसी रंग को देखकर कोई भड़कता है तो उसके भी कुछ नकारात्मक मनोवैज्ञानिक कारण होते हैं।" इसके साथ ही अखिलेश यादव ने लाल और काले रंग के बारे में भी विस्तार से बताते हुए लिखा कि ""प्रश्नगत ‘लाल’ और ‘काले’ रंग के संदर्भ में क्रमवार, इसके कारण निम्नवत हो सकते हैं: ‘लाल रंग’ मिलन का प्रतीक होता है। जिनके जीवन में प्रेम-मिलन, मेल-मिलाप का अभाव होता है वो अक्सर इस रंग के प्रति दुर्भावना रखते हैं।"लाल रंग के बारे में सपा नेता ने लिखा कि "लाल रंग शक्ति का धारणीय रंग है, इसीलिए कई पूजनीय शक्तियों से इस रंग का सकारात्मक संबंध है लेकिन जिन्हें अपनी शक्ति ही सबसे बड़ी लगती है वो लाल रंग को चुनौती मानते हैं। इसी संदर्भ में ये मनोवैज्ञानिक-मिथक भी प्रचलित हो चला कि इसी कारण शक्तिशाली सांड भी लाल रंग देखकर भड़कता है।
’काला रंग’ भारतीय संदर्भों में विशेष रूप से सकारात्मक है जैसे बुरी नज़र से बचाने के लिए घर-परिवार के बच्चों को लगाया जानेवाला ‘काला’ टीका और सुहाग के प्रतीक मंगलसूत्र में काले मोतियों का प्रयोग। जिनके जीवन में ममत्व या सौभाग्य तत्व का अभाव होता है, मनोवैज्ञानिक रूप से वो काले रंग के प्रति दुर्भावना पाल लेते हैं।"। वही काले रंग के बारे मने बताया कि "’काला रंग’ भारतीय संदर्भों में विशेष रूप से सकारात्मक है जैसे बुरी नज़र से बचाने के लिए घर-परिवार के बच्चों को लगाया जानेवाला ‘काला’ टीका और सुहाग के प्रतीक मंगलसूत्र में काले मोतियों का प्रयोग। जिनके जीवन में ममत्व या सौभाग्य तत्व का अभाव होता है, मनोवैज्ञानिक रूप से वो काले रंग के प्रति दुर्भावना पाल लेते हैं। पश्चिम में काला रंग ‘नकारात्मक शक्तियों और राजनीति का प्रतीक रहा जैसे तानाशाही फासीवादियों की काली टोपी। मानवता और सहृदयता विरोधी फासीवादी विचारधारा जब अन्य देशों में पहुँची तो उसके सिर पर भी काली टोपी ही रही। नकारात्मकता और निराशा का रंग भी काला ही माना गया है अत: जिनकी राजनीतिक सोच ‘डर’ और ‘अविश्वास’ जैसे काले-विचारों से फलती-फूलती है, वो इसे सिर पर लिए घूमते हैं।"
इसके आगे आपे इस लंबे पसोट में अखिलेश यादव ने लिखा कि "उन्होंने आगे कहा, "सच तो ये है कि हर रंग प्रकृति से ही प्राप्त होता है और सकारात्मक लोग किसी भी रंग को नकारात्मक नहीं मानते हैं। रंगों के प्रति सकारात्मक विविधता की जगह; जो लोग नकारात्मक विघटन-विभाजन की दृष्टि रखते हैं, उनके प्रति भी बहुंरगी सद्भाव रखना चाहिए क्योंकि ये उनका नहीं, उनकी प्रभुत्ववादी एकरंगी संकीर्ण सोच का कुपरिणाम है। ऐसे लोगों के मन-हृदय को परिवर्तित करने के लिए बस इतना समझाना होगा कि ‘काले रंग की अंधेरी रात के बाद ही लालिमा ली हुई सुबह’ का महत्व होता है, ये पारस्परिक रंग-संबंध ही जीवन में आशा और उत्साह का संचार करता है। "
पूर्व मुख्यमंत्री ने निष्कर्ष निकालते हुए कहा, "अच्छा-बुरा कोई रंग नहीं; नज़रिया होता है।"
वार-पलटवार पर सबकी नज़र
बतातें चले कि यूपी की दस सीटों पर उपचुनाव होने है। ऐसे में इस चुनाव में सबकी निगाहें टिकी हुई है और यही वजह है की जनता के बीच नेताओं ने माहौल तैयार करना बाई शुरू कर दिया है। एक तरफ़ जहाँ सीएम योगी जनता को अपने बयानों से सपा का कार्यकाल याद दिला रह है तो वही दूसरी तरफ़ अखिलेश यादव भी लोकसभ चुनाव से गदगद है और वो भी हर बयान पर पलटवार करते हुए दिखाई दे रहे है। ग़ौरतलब है कि लोकसभ चुनाव 2024 के नतीजों को देखे तो डबल इंजन की सरकार और विकास कार्यों का हवाला देते हुए भी यूपी में बीजेपी को भारी नुक़सान का सामना करना पड़ा था। सपा के खाते में 36, BJP-33, कांग्रेस-6 , RLD-2, एक सीट आज़ाद समाज पार्टी और एक सीट अपना दल अनुप्रिया पटेल को मिली थी।