अमित शाह ने कई राज्यों के मुख्यमंत्रियो की बुलाई बैठक, जानिए किन मुद्दों पर करेंगे बात
उग्रवाद पर लगाम लगाने के लिए गृहमंत्री अमित शाह सोमवार को उग्रवाद प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करेंगे और उन राज्यों के हालात की समीक्षा कर राज्य सरकार द्वारा की गई करवाइयों की रिपोर्ट भी देखेंगे।
हरियाणा और जम्मू-कश्मीर विधानसभा के ख़त्म होते ही केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह एक बार फिर से उग्रवादियों के ख़िलाफ़ एक्शन मोड में आ गए है। उग्रवाद पर लगाम लगाने के लिए गृहमंत्री अमित शाह सोमवार को उग्रवाद प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ बैठक करेंगे और उन राज्यों के हालात की समीक्षा कर राज्य सरकार द्वारा की गई करवाइयों की रिपोर्ट भी देखेंगे। ये बैठक राजधानी दिल्ली के वज्ञान भवन में होने वाली है जिसमें वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों से कई अन्य मुद्दों पर भी गृहमंत्री बात करेंगे।
दरअसल, केंद्र सरकार ने मार्च 2026 तक देश के तमाम राज्यों से वामपंथी उग्रवाद को ख़त्म करने के लक्ष्य रखा है और इसके लिए प्रतिबद्ध होकर गृहमंत्री अमित शाह लगातर काम भी कर रहे है। इसके लिए केंद्र सरकार राज्यों को हर संभव मदद भी मुहैय्या करवा रही है। ऐसे में आज गृहमंत्री अमित शाह की बैठक के नेतृत्व में होने वाली इस बैठक में आंध्र प्रदेश, बिहार, छत्तीसगढ़, झारखंड, तेलंगाना, ओडिशा, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शामिल होंगे। वही वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों को गति देने में राज्यों का सहयोग कर रहे केन्द्रीय मंत्रालयों के 5 केन्द्रीय मंत्री और उनके विभाग से जुड़े अधिकारी भी शाह की इस महत्वपूर्ण बैठक में उपस्थित रहेंगे। इनके अवाला केंद्रीय सशस्त्र पुलिस और राज्यों के सीनियर अधिकारीस समेत उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार भी बैठक में इन राज्यों के लिए बैठक में कई बातों को गृहमंत्री के समक्ष रखेंगे।
बताते चले की केंद्रीय गृहमंत्री ने अमित शाह नेवामपंथी उग्रवाद प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों के साथ पिछली बैठक 6 अक्टूबर 2023 को दिल्ली में की थी। जिसमें उन्होंने वामपंथी उग्रवाद के उन्मूलन के लिए उचित निर्देश दिए थे। वही केंद्र सरकार ने इस बता का दावा किया था की पीएम मोदी के नितीयों के कारण 2010 की तुलना में 2023 में हिंसा में 72 प्रतिशत की कमी और उग्रवाद के चलते मृत्यु के आँकड़े में 86 प्रतिशत की कमी आई। सरकार की माने तो उग्रवाद के ख़िलाफ़ अब लड़ाई अंतिम दौर में पहुंच चुकी है।सरकारी आँकड़ों के मुताबिक़ साल 2024 के पहले नौ महीनों में 202 माओवादी को मारे गए हैं, जबकि 723 ने आत्मसमर्पण किया है। इसके साथ ही 2024 में वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित जिलों की संख्या घटकर महज़ 38 रह जाएगी।