बुलडोजर से बौखलाईं प्रियंका को अयोध्यावासी ने जमकर उधेड़ा !
बुलडोज़र 2017 से पहले तक आप और हम इसे JCB कहते हैं। कहीं कोई निर्माण हो रहा हो कहीं से मलबा उठाना हो या कुछ तोड़ना हो तो इस मशीन का इस्तेमाल होता था। होता तो आज भी है लेकिन माफियाओं के अवैध अतिक्रमण को ध्वस्त करने में अपराधियों पर लगाम लगाने में हर उस पीड़ित को इंसाफ़ दिलाने में जिसके साथ अन्याय हुआ हो। योगी सरकार में ये एक्शन शुरु हुआ ही था की अखिलेश को ये रास नहीं आया। तंज कसते कसते अकसर योगी को बुलडोज़र बाबा कहने लगे। नेता जी की देखादेखी उनके समर्थक भी बुलडोज़र बाबा कहकर योगी को चिढ़ाने लगे हालांकि 2022 विधानसभा चुनावों के नतीजे देखकर अखिलेश समेत पूरी सपा की सिट्टी पिट्टी गुम हो गई। बस फिर क्या अखिलेश और उनकी टीम ने ये फ़ैसला लिया कि अब से कोई भी योगी को बुलडोज़र बाबा नहीं कहेगा क्योंकि ये तो योगी के पक्ष में जा चुका था।
बस फिर क्या जाने अंजाने ही सही सपा की तरफ़ से योगी को जो नाम मिला वो ऐसा चला कि आज पूरी दुनिया में कहीं भी बुलडोज़र की कार्यवाही हो जाए। कहा यही जाता है कि योगी बाबा का बुलडोज़र फ़लां जगह भी पहुँच गया। लेकिन हाय रे बेचारी विपक्षी पार्टियां सारी चीजों का तोड़ निकाल पा रही हैं लेकिन योगी और उनकी एनकाउंटर नीति, ऑपरेशन लंगड़ा, बुलडोज़र नीति माफियाओं के ख़िलाफ़ उनके कड़क तेवर इसका तोड़ नहीं निकल रहा लिहाज़ा विपक्षियों ने अब इसका खुल्लम खुल्ला विरोध करना शुरु कर दिया है।
चिढ़ का आलम ये है कि जो Indirectly राजनीति में सक्रिय नेता हैं वो भी इस पर बढ़चढ़कर बोल रहे हैं। जैसे की प्रियंका गाधी मैडम को भी बुलडोज़र एक्शन से बहुत दिक़्क़त है। फिर चाहे ये बुलडोज़र यूपी में चला हो या फ़िर किसी और बीजेपी शासित राज्य में। अभी हाल ही की तो बात है जिस शहज़ाद हाजी ने सरेआम थाने पर पत्थरबाज़ी की, तीन पुलिसवालों को घायल किया। उसपर जब मध्यप्रदेश की मोहन यादव की सरकार ने बुलडोज़र चलाया तो प्रियंका आगबबूला हो गईं। प्रियंका ने कहा-अगर कोई किसी अपराध का आरोपी है तो उसका अपराध और उसकी सजा सिर्फ अदालत तय कर सकती है। लेकिन आरोप लगते ही आरोपी के परिवार को सजा देना, उनके सिर से छत छीन लेना, कानून का पालन न करना, अदालत की अवहेलना करना, आरोप लगते ही आरोपी का घर ढहा देना- यह न्याय नहीं है। यह बर्बरता और अन्याय की पराकाष्ठा है, कानून बनाने वाले, कानून के रखवाले और कानून तोड़ने वाले में फर्क होना चाहिए, सरकारें अपराधी की तरह व्यवहार नहीं कर सकतीं, कानून, संविधान, लोकतंत्र और मानवता का पालन सभ्य समाज में शासन की न्यूनतम शर्त है, जो राजधर्म नहीं निभा सकता, वह न तो समाज का कल्याण कर सकता है, न ही देश का, बुल्डोजर न्याय पूरी तरह अस्वीकार्य है, यह बंद होना चाहिए।
मतलब कोई थाने पर पथराव कर दे उस पर इनसे नहीं बोला जाता लेकिन अपराधियों के ख़िलाफ़ कोई एक्शन हो जाए तो सारे विपक्षी दल जैसे बौखला जाते हैं। बुलडोज़र एक्शन से बौखलाईं प्रियंका गांधी को अब यूपी के एक शख़्स ने जमकर उधेड़ा है। सिर्फ़ प्रियंका ही नहीं बल्कि राहुल गांधी की परिपक्वता पर भी सवाल खड़े कर दिए हैं।सुना आपने किस तरह से ये शख़्स बुलडोज़र एक्शन को लेकर सवाल उठा रही हैं प्रियंका को खरी खोटी सुना रहा है।