नहीं चलेगा ‘बाबा का बुलडोज़र’ ? सुप्रीम कोर्ट लगाएगा रोक !
उत्तरप्रदेश में देखो तो माफियाओं पर बुलडोज़र दहाड़ रहा है। मध्यप्रदेश की तरफ़ जाओ तो यहां भी अपराधियों के अवैध साम्राज्य को बुलडोज़र से ढहाया जा रहा है। राजस्थान में भी दबंगई दिखाने वालों की अकड़ बुलडोज़र ही ढीली कर रहा है। तो क्या अब पूरे देश में बुलडोज़र नीति को लागू कर देना चाहिए ? ये सवाल जब आम जनता से पूछो तो वो कहती है हां….यही सवाल जब नेताओं से पूछो तो वो कहते हैं कि ये न्याय नहीं अन्याय का बुलडोज़र है। दिलचस्प बात तो ये है कि वैसे भले ही राजनीतिक दलों के दिल मिले ना मिलें लेकिन इस बुलडोज़र एक्शन पर सारे के सारे विरोधी ताल से ताल ठोक रहे हैं।
अभी कुछ वक़्त पहले की ही तो बात है जब प्रियंका गांधी वाड्रा भी बुलडोज़र एक्शन के बंद होने की पैरवी करती नज़र आई थी। सोशल मीडिया पर मैडम ने लंबा चौड़ा पोस्ट करते हुए लिखा था- अगर कोई किसी अपराध का आरोपी है तो उसका अपराध और उसकी सजा सिर्फ अदालत तय कर सकती है। लेकिन आरोप लगते ही आरोपी के परिवार को सजा देना, उनके सिर से छत छीन लेना, कानून का पालन न करना, अदालत की अवहेलना करना, आरोप लगते ही आरोपी का घर ढहा देना- यह न्याय नहीं है। यह बर्बरता और अन्याय की पराकाष्ठा है। कानून बनाने वाले, कानून के रखवाले और कानून तोड़ने वाले में फर्क होना चाहिए। सरकारें अपराधी की तरह व्यवहार नहीं कर सकतीं। कानून, संविधान, लोकतंत्र और मानवता का पालन सभ्य समाज में शासन की न्यूनतम शर्त है। जो राजधर्म नहीं निभा सकता, वह न तो समाज का कल्याण कर सकता है, न ही देश का। बुल्डोजर न्याय पूरी तरह अस्वीकार्य है, यह बंद होना चाहिए।
मतलब शर्म आनी चाहिए ऐसे नेताओं को जो खुल्लमखुल्ला माफियाओं का समर्थन करते हैं और सरकार की नीतियों पर सवाल उठाते हैं। सिर्फ़ प्रियंका ही नहीं ऐसे नेताओं की लंबी फ़ेहरिस्त हैं और….इनमें ख़ुद बीजेपी के कई नेता भी शामिल हैं। खैर अयोध्या में 12 साल की बच्ची से रेप करने वाले मोइद खान की अवैध संपत्ति पर बुलडोज़र चला तो सपा के पेट में दर्द हुआ। समाजवादियों का दर्द ऐसा छलका की बीजेपी को ख़ासकर योगी को भर भरकर कोसा।
छतरपुर में हाजी शाहजाद के महल रूपी घर को ज़मींदोज़ किया गया तो विपक्षी दलों के सीने पर साँप लोट गया। हाँ, जब हाजी शाहजाद का नाम उस भीड़ की अगुवाई करने में आया जिसने पुलिस थाने पर पथराव किया था तब किसी ने चुप्पी नहीं तोड़ी राजस्थान के उदयपुर में जब एक हिंदू लड़के की हत्या कर दी गई तब कोई नहीं बोला लेकिन जैसे ही आऱोपी के घर पर बुलडोज़र पहुँचा विरोधी दलों के साथ साथ जमीयत उलेमा ए हिंद के पैरों तले की जमीन जैसे खिसक गई।
तभी तो जमीयत उलेमा ए हिंद सीधा पहुँच गया सुप्रीम कोर्ट और याचिका लगा डाली कि भाई ऐसे बुलडोज़र एक्शन पर जल्द से जल्द रोक लगाई जाए। आपको जानकर ताज्जुब होगा कि जमीयत उलेमा ए हिंद ने जो अर्ज़ी लगाई है उसके ज़रिए कोर्ट से आरोपियों के घरों पर सरकारी बुलडोज़र चलाने पर रोक लगाने की मांग की है। इस अर्ज़ी में यूपी, राजस्थान और एमपी की घटनाओं का हवाला दिया गया है, वही घटना जो ऊपर मैंने आपको अभी बताई। अर्ज़ी के ज़रिए ये कहा गया है कि अल्पसंख्यकों को निशाना बनाया जा रहा है। अर्ज़ी में ये भी कहा गया है कि शासन और प्रशासन आरोपियों को अपना बचाव करने का मौक़ा ही नहीं देती, पहले ही बुलडोज़र चल जाता है। ओह अच्छा अब रेप करने वालों को भी सफ़ाई देने का मौक़ा चाहिए खैर जमीयत उलेमा ए हिंद से ऐसी उम्मीद तो नहीं थी। बहरहाल, सुप्रीम कोर्ट मामले की सुनवाई 2 सितंबर को करेगा। देखना होगा कि बुलडोज़र पर रोक लगती है या फिर नहीं।