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यूपी में मदरसों को बड़ी चुनौती, योगी सरकार ने किया खेल !

अब सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार ने एक हलफ़नामा दाखिल किया है जिससे बावाल मचा हुआ है। दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार ने मदरसा बोर्ड द्वारा स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई पर सवाल खड़े किए हैं। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि यूपी मदरसा बोर्ड द्वारा स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर दी जाने वाली कामिल और फाजिल डिग्री के आधार पर युवाओं को नौकरी नहीं मिल सकती है।
यूपी में मदरसों को बड़ी चुनौती, योगी सरकार ने किया खेल !
उत्तर प्रदेश में अवैध मदरसों पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने कड़े कदम उठाए हैं। सर्वे कराया गया तमाम नियमों में कड़ाई की गई। ताकि बच्चों को अच्छी शिक्षा मिल सके। और अब सुप्रीम कोर्ट में यूपी सरकार ने एक हलफ़नामा दाखिल किया है जिससे बवाल  मचा हुआ है। दरअसल, उत्तर प्रदेश सरकार ने Madarse बोर्ड द्वारा स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर की पढ़ाई पर सवाल खड़े किए हैं। सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में कहा है कि यूपी मदरसा बोर्ड द्वारा स्नातक और स्नातकोत्तर स्तर पर दी जाने वाली कामिल और फाजिल डिग्री के आधार पर युवाओं को न तो राज्य सरकार में नौकरी मिल पाती है और न ही भारत सरकार में नौकरी नहीं मिल सकती है।


यानि की मदरसे में मिलने वाली शिक्षा व्यापक ही नहीं है। रिपोर्टर के मुताबिक़ हलफ़नामे में ये भी कहा गया कि हां कई ऐसी बातें भी सिखाई जा रही हैं, जो बच्चों को दूसरे धर्मों के प्रति उदार नजरिया अपनाने से रोक कर उन्हें कट्टरता की तरफ बढ़ा रही हैं। राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग यानि NCPCR ने सुप्रीम कोर्ट में यूपी के मदरसा एक्ट को असंवैधानिक घोषित करने के इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ दायर याचिका दायर की है।इलाहाबाद हाई कोर्ट ने यूपी मदरसा शिक्षा बोर्ड अधिनियम, 2004 को मौलिक अधिकारों और धर्म निरपेक्षता के सिद्धांतों का उल्लंघन बताते हुए रद्द कर दिया था। साथ ही राज्य सरकार को मदरसा में पढ़ने वाले छात्रों को मुख्यधारा के स्कूल में समायोजित करने का आदेश दिया था। सरकार ने मदरसों की शिक्षा को लेकर नियमों में कड़ाई की है। धार्मिक शिक्षा देने वाले संस्थानों को एक सिलेबस के दायरे में लाने का निर्णय लिया गया है। साथ ही, मदरसा संस्थानों में पढ़ाई करने वाले छात्रों से लेकर पढ़ाने वाले मौलवी तक पर नजर है। हर मदरसा को उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड से मान्यता लेना अनिवार्य किया गया है। बिना मान्यता वाले मदरसों पर कार्रवाई की तैयारी है। इन स्थितियों ने मदरसा संचालकों को अगल रास्ता अख्तियार करने को मजबूर कर दिया है। प्रदेश के 513 मदरसों ने जिस तरह से मान्यता को सरेंडर करने का निर्णय लिया है और बोर्ड की ओर से इसको मंजूरी दी गई है, वह स्थिति को साफ कर रहा है।

 यूपी में बड़ी संख्या में मदरसे 


उत्तर प्रदेश में बड़ी संख्या में मदरसे चलाए जाते हैं। साल 2018-19 तक भारत में 24,010 मदरसे थे, जिनमें से 19,132 मान्यता प्राप्त मदरसे थे और बाकी 4,878 गैर-मान्यता प्राप्त थे। ये जानकारी तत्कालीन अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने 3 फरवरी, 2020 को राज्यसभा में दी थी। देश के 60% मदरसे उत्तर प्रदेश में थे, इनमें 11,621 मान्यता प्राप्त, और 2,907 गैर-मान्यता प्राप्त मदरसे थे। दूसरे नंबर पर राजस्थान है, जबकि दिल्ली, असम, पंजाब, तमिलनाडु और तेलंगाना सहित कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में कोई मान्यता प्राप्त मदरसा नहीं था।

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