सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला! 'ब्रेकअप की वजह से नहीं हो सकता रेप केस', क्या है पूरा मामला?
देश में हजारों-लाखों ऐसे केसेस हैं। जहां महिलाओं द्वारा पुरुषों पर शादी का झांसा देकर बलात्कार का आरोप लगा है। ऐसे कई मामलों में युवक या तो जेल में है या फिर मामला कोर्ट में चल रहा है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक ऐसे ही मामले में बड़ा फैसला आया है। जहां युवक को कोर्ट द्वारा राहत मिली है। तो चलिए आपको इस मामले की पूरी कहानी और कोर्ट द्वारा दिए गए फैसले के बारे में बताते हैं।
क्या है पूरा मामला?
यह पूरा मामला साल 2019 का है। जहां एक पीड़ित महिला द्वारा आरोपी पर शादी का झांसा देकर यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था। महिला ने अपने बयान में कहा था कि आरोपी ने उसे यौन संबंध बनाने की और परिवार को नुकसान पहुंचाने की धमकी दी है।
जिसके बाद पीड़ित महिला द्वारा दर्ज शिकायत के बाद आईपीसी से संबंधित धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया था। यह मामला पहले दिल्ली हाईकोर्ट में पहुंचा। जहां कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
दोनों के बीच आपसी सहमति से मधुर संबंध बने
दिल्ली हाई कोर्ट ने याचिका खारिज करते हुए कहा था कि "दोनों पार्टियों के बीच संबंध आपसी सहमति से बने थे। कोर्ट ने यह भी कहा था कि अभियोजन का पक्ष अगर मान भी लिया जाए। तो यह निष्कर्ष नहीं निकाला जा सकता कि शिकायतकर्ता सिर्फ शादी के किसी वादे के चलते यौन संबंधों में शामिल रही। वह भी यह देखते हुए कि दोनों अब शादीशुदा है। दोनों ही अपने जीवन में खुश है। ऐसे में कोर्ट ने इस मामले को पूरी तरीके से रद्द कर दिया था।
सिर्फ ब्रेकअप की वजह से रेप केस नहीं हो सकता - सुप्रीम कोर्ट
बता दें कि शादी का झांसा देकर आरोपों का सामना कर रहे एक युवक पर सुप्रीम कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। जहां युवक को कोर्ट की तरफ से बड़ी राहत मिली है। मामले की सुनवाई कर रहे जस्टिस बीवी नागरत्न और जस्टिस कोटेश्वर सिंह की बेंच ने कहा कि "सहमति से किसी भी कपल के बीच बन रहे रिश्ते के बीच सिर्फ ब्रेकअप हो जाने पर आपराधिक कार्रवाई नहीं की जा सकती"। जब तक रिश्ता शादी तक नहीं पहुंचता। तो सहमति से बने रिश्ते को आपराधिक रंग नहीं दिया जा सकता। कोर्ट ने शिकायतकर्ता के उस आरोप का भी जवाब दिया। जिसमें उसने कहा था कि आरोपी ने उसके घर का एड्रेस पता कर लिया था और उससे जबरन शारीरिक संबंध बना रहा था। कोर्ट की बेंच ने कहा कि अगर शिकायतकर्ता द्वारा खुद पते की जानकारी नहीं दी जाती। तो फिर आरोपी एड्रेस का पता कैसे लगा पाता। बता दें कि पीड़िता ने दिल्ली हाईकोर्ट की तरफ से याचिका खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था। जिस पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है। यह पूरा मामला साल 2019 का है। करीब 6 साल बाद इस पर फैसला आया है।
सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए फैसले से हजारों लोगों को मिल सकती है राहत
सुप्रीम कोर्ट द्वारा सुनाए गए इस फैसले के बाद देश में हजारों ऐसे केसेस है। जहां शिकायतकर्ता द्वारा इस तरह के आरोप अपने पार्टनर पर लगाए गए हैं। ऐसे में इन मामलों में भी सुनवाई और मामले की जांच पड़ताल के बाद कोर्ट आरोपियों को राहत दे सकती है।